नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो 'अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर' से पीड़ित बच्चों के लिए शिक्षा नीति बनाने पर तेजी से काम करें.
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर डिसेबिलिटी एक्ट 2016 के तहत नहीं आता है. इसलिए इसे लेकर एक नीति बनाने की जरुरत है.
यह याचिका दिल्ली निवासी स्मृति आर सारंगी ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों के लिए एक नीति बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाए.
ऐसे बच्चों के लिए समग्र नीति बनाने पर हुई थी बात
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गौर किया कि इस मसले पर एक बैठक पिछले 24 अप्रैल को आयोजित की गई थी, जिसमें दिल्ली सरकार के शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिवों ने हिस्सा लिया था. बैठक में यह फैसला लिया गया कि विभिन्न विभागों से सूचना एकत्रित कर अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों के लिए एक समग्र नीति बनाया जाए. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वे प्रशासन को इस बारे में अपनी राय से अवगत कराएं.
'ऐसे बच्चे इधर-उधर दौड़ते भागते रहते हैं'
अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चे हाइपरएक्टिव होते हैं. वे हर वक्त बिना थके इधर-उधर भागते-दौड़ते रहते हैं. उनमें पूरे दिन बहुत एनर्जी रहती है. ऐसे बच्चे एक जगह टिक कर बैठ नहीं सकते हैं. उनका ऐसा व्यवहार घर से बाहर भी बना रहता है. इसकी वजह से वे किसी एक काम पर फोकस भी नहीं कर पाते हैं, जिससे उनके विकास पर असर पड़ता है.