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मदरसा और गुरुकुल की शिक्षा को रेगुलेट करने की मांग को HC ने किया खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने मदरसों और गुरुकुलों की पढ़ाई को रेगुलेट करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. याचिकाकर्ता का दावा था कि संस्थान के पाठ्यक्रम 18वीं सदी में अटके हुए हैं.

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Published : Jul 29, 2019, 4:57 PM IST

मदरसों और गुरुकुलों की पढ़ाई को रेगुलेट करने की मांग वाली याचिका खारिज etv bharat

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने देश भर के मदरसों और गुरुकुलों में दी जा रही शिक्षा को रेगुलेट करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. याचिका कोलकाता के एक कारोबारी ने दायर की थी.

मदरसों और गुरुकुलों की पढ़ाई को रेगुलेट करने की मांग वाली याचिका खारिज

'18वीं सदी के पाठ्यक्रम'
याचिका में मदरसों और गुरुकुलों में दी जाने वाली शिक्षा को रेगुलेट करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी में करीब 3 हजार मदरसे हैं और करीब तीन लाख साठ हजार छात्र वहां पढ़ते हैं. याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि ये संस्थान जिस पाठ्यक्रम का अनुसरण करते हैं. वो अब भी 18वीं सदी में अटके हुए हैं. यहां पवित्र कुरान, उर्दू और फारसी जैसे विषयों की ही पढ़ाई होती है.

'रोजगार पर गंभीर असर'
याचिका में कहा गया था कि यह उन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के रोजगार की संभावनाओं पर भी गंभीर असर डालता है. इसलिए मदरसों और गुरुकुलों में होने वाली पढ़ाई को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने देश भर के मदरसों और गुरुकुलों में दी जा रही शिक्षा को रेगुलेट करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. याचिका कोलकाता के एक कारोबारी ने दायर की थी.

मदरसों और गुरुकुलों की पढ़ाई को रेगुलेट करने की मांग वाली याचिका खारिज

'18वीं सदी के पाठ्यक्रम'
याचिका में मदरसों और गुरुकुलों में दी जाने वाली शिक्षा को रेगुलेट करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी में करीब 3 हजार मदरसे हैं और करीब तीन लाख साठ हजार छात्र वहां पढ़ते हैं. याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि ये संस्थान जिस पाठ्यक्रम का अनुसरण करते हैं. वो अब भी 18वीं सदी में अटके हुए हैं. यहां पवित्र कुरान, उर्दू और फारसी जैसे विषयों की ही पढ़ाई होती है.

'रोजगार पर गंभीर असर'
याचिका में कहा गया था कि यह उन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के रोजगार की संभावनाओं पर भी गंभीर असर डालता है. इसलिए मदरसों और गुरुकुलों में होने वाली पढ़ाई को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं.

Intro:नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने देश भर के मदरसों और गुरुकुल में दी जा रही शिक्षा को रेगुलेट करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दिया है। याचिका कोलकाता के एक कारोबारी ने दायर की थी।



Body:याचिका में मदरसों और गुरुकुलों में दी जाने वाली शिक्षा को रेगुलेट करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी में करीब 3 हजार मदरसे हैं और करीब 3लाख साठ हजार छात्र वहां पढ़ते हैं।



Conclusion:याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि ये संस्थान जिस पाठ्यक्रम का अनुसरण करते हैं, वो अब भी 18वीं सदी में अटके हुए हैं और पवित्र कुरान, उर्दू और फारसी जैसे विषयों की ही पढ़ाई होती है। याचिका में कहा गया था कि यह उन मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के रोजगार की संभावनाओं पर गंभीर असर डालता है। इसलिए मदरसों और गुरुकुल में होने वाली पढ़ाई को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं।


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