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दिल्ली हाईकोर्ट का एसिड बैटरी की अनुमति देने से इनकार, जानें क्या कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने ई रिक्शा में एसिड बैटरी की अनुमति देने से इनकार (refuses to allow acid battery) कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि एसिड बैटरी की अनुमति नहीं दे सकते हैं तकनीक के साथ आगे बढ़ें.

दिल्ली हाईकोर्ट ने एसिड बैटरी की अनुमति देने से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने एसिड बैटरी की अनुमति देने से इनकार किया
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Published : Oct 21, 2022, 1:16 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने ई रिक्शा चालक और मालिक की ओर से दाखिल एक याचिका को खारिज कर दिया. याचिका में ई रिक्शा में लिथियम बैटरी के साथ-साथ लेड एसिड बैटरी के उपयोग की अनुमति के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ई रिक्शा में केवल लिथियम बैटरी का ही इस्तेमाल हो सकता है. दिल्ली सरकार ने इसको लेकर नियम बनाए हैं.

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कोर्ट ने याचिका को प्रायोजित बताया : दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिका को प्रायोजित और प्रेरित जनहित याचिका बताते हुए याचिका खारिज कर दी. याचिका में कहा गया है कि ई रिक्शा के कुछ ड्राइवर या बोनाफाइड खरीददार वाहन में लगे लिथियम बैटरी की भारी लागत के कारण ई रिक्शा खरीदने में सक्षम नहीं हैं. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने कहा, "पीआईएल एक प्रायोजित याचिका प्रतीत होती है. ये सभी बैटरी बहुत खतरनाक बैटरी हैं, हम तकनीक के साथ आगे बढ़ रहे हैं और आप कह रहे हैं कि पुराने की अनुमति दें, तो आप कहेंगे कि बीएस- III वाहनों को अनुमति दें, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता विशाल खन्ना ने तर्क दिया कि हमारे घरों में और हमारे ड्राइंग रूम में ऐसी ही लेड एसिड बैटरी का उपयोग किया जा रहा है.

बैटरी के उपयोग की अनुमति दें : उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने ई रिक्शा/ई-कार्ट मालिकों के खिलाफ पक्षपात किया है, क्योंकि भारत का कोई अन्य राज्य ई-रिक्शा/ई-कार्ट में लीड एसिड बैटरी के बजाय लिथियम आयन बैटरी के उपयोग के लिए इस तरह के आंशिक नियम नहीं बना रहा है. इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि ई रिक्शा और ई कार्ट वाहन खरीदने वाले कई ड्राइवर अब अपने वाहनों की बैटरी से संबंधित समस्याओं को बता रहे हैं. इसलिए याचिका में ई रिक्शा और ई कार्ट में पहले से मौजूद पारंपरिक लीड एसिड बैटरी के उपयोग की अनुमति देने या ई रिक्शा और ई-कार्ट में लीड एसिड और लिथियम बैटरी दोनों प्रकार की बैटरी की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने ई रिक्शा चालक और मालिक की ओर से दाखिल एक याचिका को खारिज कर दिया. याचिका में ई रिक्शा में लिथियम बैटरी के साथ-साथ लेड एसिड बैटरी के उपयोग की अनुमति के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ई रिक्शा में केवल लिथियम बैटरी का ही इस्तेमाल हो सकता है. दिल्ली सरकार ने इसको लेकर नियम बनाए हैं.

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कोर्ट ने याचिका को प्रायोजित बताया : दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिका को प्रायोजित और प्रेरित जनहित याचिका बताते हुए याचिका खारिज कर दी. याचिका में कहा गया है कि ई रिक्शा के कुछ ड्राइवर या बोनाफाइड खरीददार वाहन में लगे लिथियम बैटरी की भारी लागत के कारण ई रिक्शा खरीदने में सक्षम नहीं हैं. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने कहा, "पीआईएल एक प्रायोजित याचिका प्रतीत होती है. ये सभी बैटरी बहुत खतरनाक बैटरी हैं, हम तकनीक के साथ आगे बढ़ रहे हैं और आप कह रहे हैं कि पुराने की अनुमति दें, तो आप कहेंगे कि बीएस- III वाहनों को अनुमति दें, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता विशाल खन्ना ने तर्क दिया कि हमारे घरों में और हमारे ड्राइंग रूम में ऐसी ही लेड एसिड बैटरी का उपयोग किया जा रहा है.

बैटरी के उपयोग की अनुमति दें : उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने ई रिक्शा/ई-कार्ट मालिकों के खिलाफ पक्षपात किया है, क्योंकि भारत का कोई अन्य राज्य ई-रिक्शा/ई-कार्ट में लीड एसिड बैटरी के बजाय लिथियम आयन बैटरी के उपयोग के लिए इस तरह के आंशिक नियम नहीं बना रहा है. इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि ई रिक्शा और ई कार्ट वाहन खरीदने वाले कई ड्राइवर अब अपने वाहनों की बैटरी से संबंधित समस्याओं को बता रहे हैं. इसलिए याचिका में ई रिक्शा और ई कार्ट में पहले से मौजूद पारंपरिक लीड एसिड बैटरी के उपयोग की अनुमति देने या ई रिक्शा और ई-कार्ट में लीड एसिड और लिथियम बैटरी दोनों प्रकार की बैटरी की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई है.

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