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दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के अतिक्रमित वनों को आरक्षित वन घोषित करने का दिया आदेश, 15 दिसंबर को सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को राजधानी के सभी अतिक्रमित वन क्षेत्रों को आरक्षित वन घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया. इससे पहले एनजीटी ने वर्ष 2021 में अधिसूचना का आदेश दिया था. encroachment free forests

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 8, 2023, 8:29 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट बुधवार को शहर के जंगलों पर अतिक्रमण से संबंधित याचिकाओं के एक समूह पर विचार कर रही थी. इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को राजधानी के सभी अतिक्रमित वन क्षेत्रों को आरक्षित वन घोषित करने के लिए दो सप्ताह के भीतर एक अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने दिल्ली के जंगलों की रक्षा करने में विफलता के लिए दिल्ली सरकार की खिंचाई की और कहा कि दो सप्ताह में अधिसूचना जारी नहीं होने पर मुख्य सचिव को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.

अवमानना का नोटिस जारी: कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि दो सप्ताह के भीतर आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो मुख्य सचिव को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया जाएगा. यदि धारा 20 अधिसूचना के दो सप्ताह के भीतर जारी नहीं की जाती है, तो मुख्य सचिव जीएनसीटीडी अवमानना ​​कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होंगे और उस दिन अवमानना ​​का नोटिस तैयार किया जाएगा. यदि अधिसूचना जारी नहीं की जाती है तो मुख्य सचिव वीसी के माध्यम से अदालत के सामने पेश होंगे.

कोर्ट को बताया गया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 15 जनवरी, 2021 को एक आदेश पारित कर मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि भारतीय वन अधिनियम की धारा 20 के तहत अतिक्रमण रहित वनों को आरक्षित वन घोषित करने की अधिसूचना तीन महीने के भीतर जारी की जाए. एनजीटी ने कहा था कि उसके आदेशों का पालन तीन महीने में किया जाएगा.

कोर्ट को बताया गया कि आदेश के करीब तीन साल बीत जाने के बावजूद ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है. न्यायमूर्ति सिंह ने आदेश का अनुपालन न करने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि यदि सरकार जंगलों की देखभाल नहीं कर सकती है, तो उसे बयान देना होगा कि केवल भगवान ही दिल्ली के नागरिकों की मदद कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना तट पर छठ पूजा प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से किया इनकार

बैठक करने का आदेश: कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि आप असमर्थ हैं तो एक बयान दें और कहे कि भगवान दिल्ली के नागरिकों की मदद करें. बयान में कहे कि हम भगवान की दया पर हैं और सरकार कुछ नहीं कर सकती. यह भी बताया गया कि एनजीटी ने निर्देश दिया था जंगलों से अतिक्रमण हटाने और उनकी बहाली के संबंध में प्रगति की निगरानी के लिए एक निरीक्षण समिति (ओसी) का गठन किया जाए.

समिति की अध्यक्षता महानिदेशक (वन), पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को करनी थी और उसे महीने में कम से कम एक बार बैठक आयोजित करने का आदेश दिया गया था. न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि कम से कम 34 बैठकें होनी चाहिए थी, लेकिन बैठकों के विवरण से पता चलता है कि समिति की बैठक बमुश्किल आधा दर्जन बार हुई. एक और चौंकाने वाला पहलू यह है कि 394 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, केवल 82 हेक्टेयर चार साल की अवधि में मुक्त कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें: Smog Tower Started: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद देश का पहला स्मॉग टावर चालू

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट बुधवार को शहर के जंगलों पर अतिक्रमण से संबंधित याचिकाओं के एक समूह पर विचार कर रही थी. इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को राजधानी के सभी अतिक्रमित वन क्षेत्रों को आरक्षित वन घोषित करने के लिए दो सप्ताह के भीतर एक अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने दिल्ली के जंगलों की रक्षा करने में विफलता के लिए दिल्ली सरकार की खिंचाई की और कहा कि दो सप्ताह में अधिसूचना जारी नहीं होने पर मुख्य सचिव को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.

अवमानना का नोटिस जारी: कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि दो सप्ताह के भीतर आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो मुख्य सचिव को अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया जाएगा. यदि धारा 20 अधिसूचना के दो सप्ताह के भीतर जारी नहीं की जाती है, तो मुख्य सचिव जीएनसीटीडी अवमानना ​​कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होंगे और उस दिन अवमानना ​​का नोटिस तैयार किया जाएगा. यदि अधिसूचना जारी नहीं की जाती है तो मुख्य सचिव वीसी के माध्यम से अदालत के सामने पेश होंगे.

कोर्ट को बताया गया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 15 जनवरी, 2021 को एक आदेश पारित कर मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि भारतीय वन अधिनियम की धारा 20 के तहत अतिक्रमण रहित वनों को आरक्षित वन घोषित करने की अधिसूचना तीन महीने के भीतर जारी की जाए. एनजीटी ने कहा था कि उसके आदेशों का पालन तीन महीने में किया जाएगा.

कोर्ट को बताया गया कि आदेश के करीब तीन साल बीत जाने के बावजूद ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है. न्यायमूर्ति सिंह ने आदेश का अनुपालन न करने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि यदि सरकार जंगलों की देखभाल नहीं कर सकती है, तो उसे बयान देना होगा कि केवल भगवान ही दिल्ली के नागरिकों की मदद कर सकते हैं.

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बैठक करने का आदेश: कोर्ट ने टिप्पणी की कि यदि आप असमर्थ हैं तो एक बयान दें और कहे कि भगवान दिल्ली के नागरिकों की मदद करें. बयान में कहे कि हम भगवान की दया पर हैं और सरकार कुछ नहीं कर सकती. यह भी बताया गया कि एनजीटी ने निर्देश दिया था जंगलों से अतिक्रमण हटाने और उनकी बहाली के संबंध में प्रगति की निगरानी के लिए एक निरीक्षण समिति (ओसी) का गठन किया जाए.

समिति की अध्यक्षता महानिदेशक (वन), पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को करनी थी और उसे महीने में कम से कम एक बार बैठक आयोजित करने का आदेश दिया गया था. न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि कम से कम 34 बैठकें होनी चाहिए थी, लेकिन बैठकों के विवरण से पता चलता है कि समिति की बैठक बमुश्किल आधा दर्जन बार हुई. एक और चौंकाने वाला पहलू यह है कि 394 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, केवल 82 हेक्टेयर चार साल की अवधि में मुक्त कर दिया गया है.

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