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Delhi High Court: बिना फायर NOC चल रहे कोचिंग सेंटरों को 30 दिनों में बंद करने का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने बिना फायर एनओसी के चल रहे कोचिंग सेंटरों को 30 दिनों में बंद करने का आदेश दिया है. मामले में अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी. दिल्ली अग्निशमन सेवा के अनुसार 583 कोचिंग सेंटर में से सिर्फ 67 के पास ही फायर एनओसी है.

दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Jul 25, 2023, 9:38 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अग्निशमन सेवा विभाग से एनओसी प्रमाण पत्र के बिना चल रहे सभी कोचिंग सेंटरों को बंद करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अग्नि सुरक्षा बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में सभी कोचिंग सेंटरों को दिल्ली मास्टर प्लान, 2021 और अन्य लागू नियमों को पालन करना जरूरी है.

अदालत मुखर्जी नगर में कोचिंग सेंटरों के संचालन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. दिल्ली पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि राजधानी में चल रहे 583 कोचिंग संस्थानों में से केवल 67 के पास ही दिल्ली अग्निशमन सेवा से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) है.

अदालत ने पुलिस, अग्निशमन सेवा विभाग और अन्य प्राधिकारियों से 30 दिनों के भीतर आदेश का पालन करने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को सभी साजो-सामान सहायता प्रदान करने को कहा. अग्निशमन सेवा ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा कि उसने 461 कोचिंग सेंटरों का सर्वेक्षण किया. इस दौरान पाया गया कि इन कोचिंग सेंटरों ने अग्नि निवारक और सुरक्षा उपायों को नहीं अपनाया है. तब अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से ऐसे संस्थानों को बंद करने के लिए कहा था, तो उन्होंने जवाब दिया कि अग्निशमन सेवा विभाग के पास ऐसा करने की शक्ति नहीं है.

एमसीडी के वकील ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की गई है. यहां तक कि सीलिंग के आदेश भी जारी किए गए हैं. जिनके पास फायर एनओसी नहीं है या वे एमपीडी (दिल्ली के लिए मास्टर प्लान) के अनुसार (संचालन) नहीं कर रहे हैं, उन्हें बंद करना होगा. एमपीडी के तहत वैधानिक प्रावधान निश्चित रूप से शर्तों के अधीन कोचिंग सेंटरों को अनुमति देते हैं और अग्नि सुरक्षा जरूरी है यह नोट किया गया. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोचिंग सेंटरों को अग्नि प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए कुछ समय दिया जा सकता है, क्योंकि उनके बंद होने से छात्रों के शैक्षणिक हित प्रभावित हो सकते हैं. अदालत ने निर्देश दिया कि मामले को 10 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. वकील अरुण पंवार दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए.

कोर्ट ने 16 जून को लिया था मामले पर संज्ञान: बता दें, 16 जून को हाई कोर्ट ने मुखर्जी नगर में एक कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना पर संज्ञान लिया था. कोर्ट ने एक समाचार रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए संज्ञान लिया था, जिसमें संस्थान के छात्रों को अपनी जान बचाने के लिए खिड़कियां और रस्सियों से उतरते हुए दिखाया गया था. हाई कोर्ट ने स्थानीय अधिकारियों से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

अधिकारियों के अनुसार, 16 जून को दोपहर 12.27 बजे मुखर्जी नगर में आग लगने की सूचना मिली थी. आग पर काबू पाने कि लिए 11 फायर टेंडरों को मौके पर भेजा गया था. इस दौरान रस्सियों के सहारे इमारत से नीचे उतरते समय कुछ छात्रों को चोटें आई थी. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आग 5 मंजिला इमारत में बिजली मीटर बोर्ड से शुरू हुई.

पुलिस के अनुसार, उस समय कोचिंग सेंटर में लगभग 250 छात्र कक्षाएं ले रहे थे. खिड़कियों से धुआं निकलने पर घबराए छात्रों को रस्सियों की मदद से ऊपरी मंजिल से नीचे उतरते देखा गया. घटनास्थल पर बड़ी भीड़ जमा हो गई थी, जिनमें से कई लोगों ने इस घटना को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किया. इस घटना का कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था.

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अग्निशमन सेवा विभाग से एनओसी प्रमाण पत्र के बिना चल रहे सभी कोचिंग सेंटरों को बंद करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अग्नि सुरक्षा बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में सभी कोचिंग सेंटरों को दिल्ली मास्टर प्लान, 2021 और अन्य लागू नियमों को पालन करना जरूरी है.

अदालत मुखर्जी नगर में कोचिंग सेंटरों के संचालन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. दिल्ली पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि राजधानी में चल रहे 583 कोचिंग संस्थानों में से केवल 67 के पास ही दिल्ली अग्निशमन सेवा से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) है.

अदालत ने पुलिस, अग्निशमन सेवा विभाग और अन्य प्राधिकारियों से 30 दिनों के भीतर आदेश का पालन करने के लिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को सभी साजो-सामान सहायता प्रदान करने को कहा. अग्निशमन सेवा ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में कहा कि उसने 461 कोचिंग सेंटरों का सर्वेक्षण किया. इस दौरान पाया गया कि इन कोचिंग सेंटरों ने अग्नि निवारक और सुरक्षा उपायों को नहीं अपनाया है. तब अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से ऐसे संस्थानों को बंद करने के लिए कहा था, तो उन्होंने जवाब दिया कि अग्निशमन सेवा विभाग के पास ऐसा करने की शक्ति नहीं है.

एमसीडी के वकील ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की गई है. यहां तक कि सीलिंग के आदेश भी जारी किए गए हैं. जिनके पास फायर एनओसी नहीं है या वे एमपीडी (दिल्ली के लिए मास्टर प्लान) के अनुसार (संचालन) नहीं कर रहे हैं, उन्हें बंद करना होगा. एमपीडी के तहत वैधानिक प्रावधान निश्चित रूप से शर्तों के अधीन कोचिंग सेंटरों को अनुमति देते हैं और अग्नि सुरक्षा जरूरी है यह नोट किया गया. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोचिंग सेंटरों को अग्नि प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए कुछ समय दिया जा सकता है, क्योंकि उनके बंद होने से छात्रों के शैक्षणिक हित प्रभावित हो सकते हैं. अदालत ने निर्देश दिया कि मामले को 10 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. वकील अरुण पंवार दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए.

कोर्ट ने 16 जून को लिया था मामले पर संज्ञान: बता दें, 16 जून को हाई कोर्ट ने मुखर्जी नगर में एक कोचिंग सेंटर में आग लगने की घटना पर संज्ञान लिया था. कोर्ट ने एक समाचार रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए संज्ञान लिया था, जिसमें संस्थान के छात्रों को अपनी जान बचाने के लिए खिड़कियां और रस्सियों से उतरते हुए दिखाया गया था. हाई कोर्ट ने स्थानीय अधिकारियों से स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

अधिकारियों के अनुसार, 16 जून को दोपहर 12.27 बजे मुखर्जी नगर में आग लगने की सूचना मिली थी. आग पर काबू पाने कि लिए 11 फायर टेंडरों को मौके पर भेजा गया था. इस दौरान रस्सियों के सहारे इमारत से नीचे उतरते समय कुछ छात्रों को चोटें आई थी. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आग 5 मंजिला इमारत में बिजली मीटर बोर्ड से शुरू हुई.

पुलिस के अनुसार, उस समय कोचिंग सेंटर में लगभग 250 छात्र कक्षाएं ले रहे थे. खिड़कियों से धुआं निकलने पर घबराए छात्रों को रस्सियों की मदद से ऊपरी मंजिल से नीचे उतरते देखा गया. घटनास्थल पर बड़ी भीड़ जमा हो गई थी, जिनमें से कई लोगों ने इस घटना को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड किया. इस घटना का कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था.

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