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मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना मामला : दिल्ली हाई कोर्ट में एक दिसंबर तक सुनवाई टली - NCR के वकीलों को सीएम कल्याण योजना का लाभ

मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ NCR में रहने वाले वकीलों को भी देने के सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई टाल दी है.

मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना
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Published : Sep 30, 2021, 2:52 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ NCR में रहने वाले वकीलों को भी देने के सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर लगी अंतरिम रोक को सुनवाई की अगली तारीख तक बढ़ाते हुए कहा कि इसका वित्तीय प्रभाव होगा. मामले की अगली सुनवाई एक दिसंबर को होगी.




21 सितंबर को कोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी. दिल्ली सरकार की ओर से वकील सत्यकाम ने कहा था कि सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस तो जारी किया गया है, लेकिन आदेश पर रोक नहीं लगाने की वजह से दिल्ली सरकार को उन वकीलों के लिए भी प्रीमियम देना होगा, जो NCR में रहते हैं. अगर इस मामले का फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में भी आता है तो भी फैसला आने तक उसे आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना मामला : कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जारी किया नोटिस


18 अगस्त को सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया था. सिगल बेंच के आदेश को दिल्ली सरकार ने चुनौती दी है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील राजीव नैयर ने कहा कि किन वकीलों को मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ मिले ये नीतिगत मामला है.

उन्होंने कहा कि सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार पर ये जिम्मेदारी डाली है कि वो NCR में रहने वाले वकीलों को भी इस योजना का भी लाभ दें. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार चाहती है कि इस योजना का लाभ दिल्ली में रहने वाले वकीलों को मिले. सुनवाई के दौरान वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि NCR में रहने वाले वकील भी दिल्ली में प्रैक्टिस कर सकते हैं, लेकिन तमिलनाडु और दूसरे राज्यों के वकील दिल्ली में प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं. ऐसे में सिंगल बेंच का फैसला बिल्कुल सही हैं.

ये भी पढ़ें- दिल्ली: 29 हजार वकीलों को बीमा देने के लिए एक हफ्ते में टेंडर आमंत्रित करने का आदेश

पिछले 12 जुलाई को जस्टिस प्रतिभा सिंह की सिंगल बेंच ने कहा था कि मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ केवल दिल्ली में रहने वाले वकीलों तक ही सीमित नहीं होगा. सिंंगल बेंंच ने कहा था कि इस योजना का लाभ दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड उन वकीलों को भी मिलेगा जो NCR में रहते हैं.

इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली बार काउंसिल की याचिका समेत छह याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इनमें कहा गया था कि NCR में रहने वाले दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत वकीलों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए. दिल्ली की मतदाता सूची में शामिल वकीलों को ही मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के वेलफेयर फंड का देने का दिल्ली सरकार का फैसला मनमाना और गैरकानूनी है. इस योजना का मकसद दिल्ली की अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों का कल्याण करना था, लेकिन दिल्ली सरकार की इस अनुशंसा से इस योजना का मकसद ही फेल हो गया है.

ये भी पढ़ें- NCR में रहने वाले वकीलों को भी मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ देने के आदेश पर अंतरिम रोक



सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने बताया था कि दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत 37 हजार 142 वकीलों ने इस योजना के लिए आवेदन दिया था. उसमें से दिल्ली बार काउंसिल ने 29 हजार 98 वकीलों का वेरिफिकेशन किया जो दिल्ली के निवासी हैं. बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के तहत दिल्ली में रहने वाले वकीलों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और दस लाख रुपये का टर्म बीमा देने की घोषणा की थी.

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ NCR में रहने वाले वकीलों को भी देने के सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर लगी अंतरिम रोक को सुनवाई की अगली तारीख तक बढ़ाते हुए कहा कि इसका वित्तीय प्रभाव होगा. मामले की अगली सुनवाई एक दिसंबर को होगी.




21 सितंबर को कोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी. दिल्ली सरकार की ओर से वकील सत्यकाम ने कहा था कि सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस तो जारी किया गया है, लेकिन आदेश पर रोक नहीं लगाने की वजह से दिल्ली सरकार को उन वकीलों के लिए भी प्रीमियम देना होगा, जो NCR में रहते हैं. अगर इस मामले का फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में भी आता है तो भी फैसला आने तक उसे आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा.

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18 अगस्त को सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया था. सिगल बेंच के आदेश को दिल्ली सरकार ने चुनौती दी है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील राजीव नैयर ने कहा कि किन वकीलों को मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ मिले ये नीतिगत मामला है.

उन्होंने कहा कि सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार पर ये जिम्मेदारी डाली है कि वो NCR में रहने वाले वकीलों को भी इस योजना का भी लाभ दें. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार चाहती है कि इस योजना का लाभ दिल्ली में रहने वाले वकीलों को मिले. सुनवाई के दौरान वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि NCR में रहने वाले वकील भी दिल्ली में प्रैक्टिस कर सकते हैं, लेकिन तमिलनाडु और दूसरे राज्यों के वकील दिल्ली में प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं. ऐसे में सिंगल बेंच का फैसला बिल्कुल सही हैं.

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पिछले 12 जुलाई को जस्टिस प्रतिभा सिंह की सिंगल बेंच ने कहा था कि मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ केवल दिल्ली में रहने वाले वकीलों तक ही सीमित नहीं होगा. सिंंगल बेंंच ने कहा था कि इस योजना का लाभ दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड उन वकीलों को भी मिलेगा जो NCR में रहते हैं.

इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली बार काउंसिल की याचिका समेत छह याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इनमें कहा गया था कि NCR में रहने वाले दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत वकीलों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए. दिल्ली की मतदाता सूची में शामिल वकीलों को ही मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के वेलफेयर फंड का देने का दिल्ली सरकार का फैसला मनमाना और गैरकानूनी है. इस योजना का मकसद दिल्ली की अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों का कल्याण करना था, लेकिन दिल्ली सरकार की इस अनुशंसा से इस योजना का मकसद ही फेल हो गया है.

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सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने बताया था कि दिल्ली बार काउंसिल में पंजीकृत 37 हजार 142 वकीलों ने इस योजना के लिए आवेदन दिया था. उसमें से दिल्ली बार काउंसिल ने 29 हजार 98 वकीलों का वेरिफिकेशन किया जो दिल्ली के निवासी हैं. बता दें कि दिल्ली सरकार ने 17 दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना के तहत दिल्ली में रहने वाले वकीलों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और दस लाख रुपये का टर्म बीमा देने की घोषणा की थी.

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