नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका गुरुवार को खारिज कर दी. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की एकल पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले से ही सर्वोच्च न्यायालय के स्तर से सुनवाई की जा रही है, इसलिए उच्च न्यायालय के लिए इस पर विचार करना उचित नहीं होगा.
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1 जनवरी 2023 तक है पटाखों पर प्रतिबंध : डीपीसीसी ने 14 सितंबर को एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि 1 जनवरी, 2023 तक सभी प्रकार के पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री (ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिलीवरी सहित) और सभी प्रकार के पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा. ग्रीन पटाखों की बिक्री, खरीद और भंडारण में शामिल दो फर्मों की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि डीपीसीसी के निर्देश न्यायिक आदेशों के विपरीत हैं क्योंकि यहां तक कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी स्पष्ट रूप से उन क्षेत्रों में पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी है जहां हवा की गुणवत्ता 'मध्यम' है. याचिका में कहा गया है कि नई दिल्ली में हवा की गुणवत्ता कम से कम 15 अगस्त, 2022 के बाद से मध्यम या बेहतर रही है.इस दृष्टि से, ग्रीन पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की नौबत नहीं है.
तेलंगाना और कलकत्ता हाईकोर्ट के रद्द आदेश का हवाला: अधिवक्ता अमन बंसल और प्रांजल किशोर के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी तेलंगाना और कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेशों को रद्द कर दिया है, जिसने सभी पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. यह तर्क दिया गया था कि दिल्ली पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में अस्थायी पटाखों के लाइसेंस देने के लिए एक विज्ञापन जारी किया था और इस विज्ञापन के साथ-साथ समय-समय पर पारित अदालती आदेशों के आधार पर याचिकाकर्ताओं ने अन्य विक्रेताओं के साथ ग्रीन पटाखों का स्टॉक किया था.
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