नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने लॉकडाउन के दौरान निजी या गैरवित्तीय स्कूलों की ओर से ट्यूशन फीस के अलावा किसी दूसरी फीस को वसूलने पर रोक लगाने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है.
सिंगल बेंच के आदेश में कोई गड़बड़ी नहीं
डिवीजन बेंच ने कहा कि उन्हें सिंगल बेंच के उस आदेश में कोई गड़बड़ी नहीं दिखती है, जिसमें कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान निजी या गैरवित्तीय स्कूलों की ओर से ट्यूशन फीस के अलावा किसी दूसरी फीस की मांग नहीं मांग सकते हैं. सिंगल बेंच ने स्थिति का सही आकलन किया और स्कूल के खर्चों की भी पहचान की. दरअसल जस्टिस प्रतिभा सिंह की सिंगल बेंच ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान निजी या गैरवित्तीय स्कूलों की ओर से ट्यूशन फीस के अलावा किसी दूसरी फीस की मांग करने पर दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय से अपनी शिकायत कर सकते हैं. सिंगल बेंच ने वकील रजत वत्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया था.
ट्यूशन फीस के अलावा दूसरी फीस वसूलने पर रोक
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसने स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावा किसी भी फीस को वसूलने पर रोक लगा दी है. उसके बाद सिंगल बेंच ने दिल्ली सरकार की इस दलील को नोट करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया था. सिंगल बेंच ने कहा था कि स्कूल अपने शिक्षकों और दूसरे स्टाफ को सैलरी देने और आनलाइन क्लासेज आयोजित करने के लिए ट्यूशन फीस का इस्तेमाल कर सकते हैं.
तीन महीने की फीस लेने पर रोक की मांग की थी
रजत वत्स ने अपनी याचिका में कहा था कि निजी स्कूलों की ओर से अप्रैल, मई और जून महीने की फीस लेने पर रोक लगाई जाए. याचिका में कहा गया था कि स्कूलों की ओर से ट्रांसपोर्ट चार्ज, दूसरी गतिविधियों के अलावा दूसरी फीस ली जाती हैं. याचिका में कहा गया था कि चूंकि स्कूल अभी कार्यशील नहीं हैं, इसलिए ट्यूशन फीस भी नहीं ली जाए. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील रमेश सिंह ने कोर्ट को बताया था कि सरकार इस मसले पर काफी संवेदनशील है. उन्होंने कहा था कि पिछले 17 अप्रैल को दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने आदेश दिया था कि ट्यूशन फीस के अलावा कोई दूसरी फीस नहीं ली जाए. छात्रों के अभिभावकों पर आर्थिक तंगी की मार है, ऐसे में वे स्कूलों की फीस देने में सक्षम नहीं हैं.