नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) और हंटर सिंड्रोम जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों के इलाज से संबंधित याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को तलब किया है. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि इलाज के लिए और राशि जारी करने के अदालत के बार-बार के आदेश को केंद्रीय मंत्रालय ने स्वीकार नहीं किया है.
कोर्ट ने कहा कि 23 मार्च, 2021 और 30 जनवरी 2023 के आदेशों में यह देखा गया है कि वास्तव में दुर्लभ बीमारियों के लिए बड़ी मात्रा में धनराशि आवंटित की गई थी. हालांकि बजट समाप्त हो गया और राशि जारी नहीं की गई. न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि अदालत एक चरम स्थिति का सामना कर रही है. अगर इलाज के लिए और धन जारी नहीं किया गया, तो लगभग 40 बच्चों को शारीरिक और मानसिक चोट लगने और स्वास्थ्य के बिगड़ने की आशंका है. ऐसी परिस्थितियों में कोर्ट उन 40 बच्चों की चिकित्सा स्थिति पर आंख नहीं मूंद सकता, जो न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता हैं.
अगर उक्त बच्चों को पहले दी गई दवाइयों की और खुराक नहीं दी गई, तो उनकी प्रभावशीलता भी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी. इन परिस्थितियों में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव सुनवाई की अगली तारीख पर शारीरिक रूप से कोर्ट में उपस्थित रहेंगे. कोर्ट ने मामले को 10 मई को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि 15 फरवरी और छह मार्च को केंद्रीय मंत्रालय द्वारा पांच करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन यह राशि आज तक जारी नहीं की गई है.
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न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि अगली तारीख पर अदालत इस बात पर विचार करेगी कि क्या इन मामलों में अवमानना का नोटिस जारी किया जाना चाहिए. अदालत के समक्ष याचिकाएं मरीजों के लिए मुफ्त इलाज की मांग करती हैं, क्योंकि इन बीमारियों का इलाज बहुत महंगा है. इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए जनता से अधिक स्वैच्छिक दान आकर्षित करने के लिए क्राउडफंडिंग को टेलीविजन, रेडियो या किसी अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सार्वजनिक करने पर विचार करे.
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