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बंदरों को पकड़ने से बचना चाहती थी DMC, याचिका खारिज, लगी फटकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने DMC की बंदरों को रिज एरिया में छोड़ने की याचिका खारिज कर दी है. जिसमें हाईकोर्ट के 2007 के फैसले में बदलाव की मांग की गई थी.

कोर्ट ने DMC को लगाई फटकार
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Published : Jul 4, 2019, 10:39 AM IST

Updated : Jul 4, 2019, 2:21 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें बंदरों को पकड़ कर उन्हें रिज एरिया में छोड़ने के लिए हाईकोर्ट के 2007 के फैसले में बदलाव की मांग की गई थी.

कोर्ट ने DMC को लगाई फटकार

चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने कहा कि एक बार जब याचिका का निपटारा हो गया तो उसके खिलाफ अपील या रिव्यू पिटीशन दाखिल करें, फैसले में बदलाव के लिए याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती है.

कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि हम आपकी किसी भी दलील को नहीं सुन सकते हैं. आपने आदेश का पालन नहीं किया या जानबूझकर अनदेखी की.

आपको बता दें कि 14 मार्च 2007 को हाईकोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया कि बंदरों को पकड़कर उन्हें असोला भाटी माइंस सेंचुरी में छोड़ दें.

दरअसल न्यू फ्रेंड्स कालोनी के निवासी बंदरों के आतंक से बहुत परेशान थे. जिसके बाद उनकी ओर से वकील मीरा भाटिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

2007 में हाईकोर्ट के आदेश के पांच साल बाद मीरा भाटिया ने फिर याचिका दायर कर कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार नहीं चाहती है कि दिल्ली को बंदरों के आतंक से मुक्ति मिले.

दिसंबर 2018 में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि हम अपनी तरफ से भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि बंदरों को पकड़ा जाए लेकिन बंदर पकड़ने वालों की कमी की वजह से ऐसा हो नहीं पा रहा है.

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का कहना था कि उसने आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान के वन्यजीव विभागों से भी मदद मांगी थी लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें बंदरों को पकड़ कर उन्हें रिज एरिया में छोड़ने के लिए हाईकोर्ट के 2007 के फैसले में बदलाव की मांग की गई थी.

कोर्ट ने DMC को लगाई फटकार

चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने कहा कि एक बार जब याचिका का निपटारा हो गया तो उसके खिलाफ अपील या रिव्यू पिटीशन दाखिल करें, फैसले में बदलाव के लिए याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती है.

कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि हम आपकी किसी भी दलील को नहीं सुन सकते हैं. आपने आदेश का पालन नहीं किया या जानबूझकर अनदेखी की.

आपको बता दें कि 14 मार्च 2007 को हाईकोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया कि बंदरों को पकड़कर उन्हें असोला भाटी माइंस सेंचुरी में छोड़ दें.

दरअसल न्यू फ्रेंड्स कालोनी के निवासी बंदरों के आतंक से बहुत परेशान थे. जिसके बाद उनकी ओर से वकील मीरा भाटिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

2007 में हाईकोर्ट के आदेश के पांच साल बाद मीरा भाटिया ने फिर याचिका दायर कर कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार नहीं चाहती है कि दिल्ली को बंदरों के आतंक से मुक्ति मिले.

दिसंबर 2018 में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि हम अपनी तरफ से भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि बंदरों को पकड़ा जाए लेकिन बंदर पकड़ने वालों की कमी की वजह से ऐसा हो नहीं पा रहा है.

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का कहना था कि उसने आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान के वन्यजीव विभागों से भी मदद मांगी थी लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

Intro:नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें बंदरों को पकड़ कर उन्हें रिज एरिया में छोड़ने के हाईकोर्ट के 2007 के फैसले में बदलाव की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने कहा कि एक बार जब याचिका का निपटारा हो गया तो उसके खिलाफ अपील या रिव्यू पिटीशन दाखिल करें, फैसले में बदलाव के लिए याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती है।


Body:कोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाते हुए कहा कि हम आपकी किसी भी दलील को नहीं सुन सकते हैं कि आपने आदेश का पालन नहीं किया या जानबूझकर अनदेखी की। आपको बता दें कि 14 मार्च 2007 को हाईकोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को निर्देश दिया था कि बंदरों को पकड़कर उन्हें असोला भाटी माइंस सेंचुरी में छोड़ दें। दरअसल न्यू फ्रेंड्स कालोनी के निवासी बंदरों के आतंक से काफी परेशान थे जिसके बाद उनकी ओर से वकील मीरा भाटिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
2007 में हाईकोर्ट के आदेश के पांच साल बाद मीरा भाटिया ने फिर याचिका दायर कर कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार नहीं चाहती है कि दिल्ली को बंदरों के आतंक से मुक्ति मिले।
दिसंबर 2018 में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि अपनी तरफ से भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि बंदरों को पकड़ा जाए लेकिन बंदर पकड़ने वालों की कमी की वजह से ऐसा हो नहीं पा रहा है।


Conclusion:दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का कहना था कि उसने आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान के वन्यजीव विभागों से भी मदद मांगी थी लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
Last Updated : Jul 4, 2019, 2:21 PM IST
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