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CBI VS CBI: '4 महीने में राकेश अस्थाना पर लगे आरोपों की जांच पूरी हो' - samachar

दिल्ली हाईकोर्ट ने घूसकांड के आरोपों की जांच पूरा करने के लिए सीबीआई को चार महीने और समय दिया है. दरअसल, सीबीआई ने घूसखोरी कांड में जांच पूरा करने के लिए 6 महीने की और मोहलत मांगी थी.

राकेश अस्थाना की जांच के लिए सीबीआई के पास चार महीने
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Published : May 31, 2019, 1:42 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिश्वत मामले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को अनुमति दे दी है. हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वो 4 महीने में जांच पूरी करे. बता दें 22 मई को कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने अस्थाना, डीएसपी देवेन्द्र कुमार और बिचौलिए मनोज प्रसाद के खिलाफ दर्ज मामले में जांच पूरी करने के लिए और मोहलत मांगने की सीबीआई की याचिका को मंजूर कर लिया है. इससे पहले 11 जनवरी को अदालत ने एजेंसी को जांच पूरी करने के लिए 10 सप्ताह का वक्त दिया था. वक्त बीतने के बाद जांच एजेंसी ने अदालत का रुख किया था.

केंद्र सरकार ने दी थी छुट्टी

दरअसल, घूसकांड के बाद सीवीसी की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद दोनों की सीबीआई से छुट्टी कर दी गई थी. इस घूसकांड में राकेश अस्थाना पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके खिलाफ वो कोर्ट पहुंचे थे. कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे.

ये है मामला

राकेश अस्थाना के सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर रहते ही उन पर सतीश साना नाम के व्यक्ति से घूस लेने के आरोप लगे थे. मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े मामले को रफा-दफा करने के लिए घूस लेने के आरोप में उन पर एफआईआर दर्ज हुई थी. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया था. इस गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने अस्थाना पर उगाही और फर्जीवाड़े का मामला भी दर्ज किया था. सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया था.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिश्वत मामले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को अनुमति दे दी है. हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वो 4 महीने में जांच पूरी करे. बता दें 22 मई को कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने अस्थाना, डीएसपी देवेन्द्र कुमार और बिचौलिए मनोज प्रसाद के खिलाफ दर्ज मामले में जांच पूरी करने के लिए और मोहलत मांगने की सीबीआई की याचिका को मंजूर कर लिया है. इससे पहले 11 जनवरी को अदालत ने एजेंसी को जांच पूरी करने के लिए 10 सप्ताह का वक्त दिया था. वक्त बीतने के बाद जांच एजेंसी ने अदालत का रुख किया था.

केंद्र सरकार ने दी थी छुट्टी

दरअसल, घूसकांड के बाद सीवीसी की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद दोनों की सीबीआई से छुट्टी कर दी गई थी. इस घूसकांड में राकेश अस्थाना पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके खिलाफ वो कोर्ट पहुंचे थे. कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे.

ये है मामला

राकेश अस्थाना के सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर रहते ही उन पर सतीश साना नाम के व्यक्ति से घूस लेने के आरोप लगे थे. मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े मामले को रफा-दफा करने के लिए घूस लेने के आरोप में उन पर एफआईआर दर्ज हुई थी. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया था. इस गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने अस्थाना पर उगाही और फर्जीवाड़े का मामला भी दर्ज किया था. सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया था.

Intro:
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिश्वत मामले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वो 4 महीने में जांच पूरी करे। पिछले 22 मई को कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।


Body:पिछले 12 अप्रैल को सुनवाई करते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वो घटित अपराध से संबंधित विस्तृत घटनाओं की टाइमलाइन बताए। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने बताया था कि वो दूसरे देशों को पत्र लिखकर साक्ष्य के लिए अनुरोध करेगा । तब कोर्ट ने कहा था कि आप हमें ये बताएं की आपको दूसरे देशों को पत्र लिखकर साक्ष्य के लिए कब अनुरोध करेंगे।
पिछले 27 मार्च को सीबीआई ने जांच के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया था। पिछले 11 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना और देवेंद्र कुमार की अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त करने और कोई भी निरोधात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। जस्टिस नाजिम वजीरी ने सीबीआई को इस मामले में दस हफ्ते में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था। 
कोर्ट ने कहा था कि सतीश साना ने काफी गंभीर आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने कहा कि धारा 17ए के तहत किसी लोकसेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार और लोकसेवा न करने के मामले में अभियोजन के लिए स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं है।
अस्थाना के खिलाफ केस सतीश साना से जुड़े एक मामले में दर्ज किया गया है । सतीश साना ही वह व्यक्ति है जिसने कुरैशी से जुड़ा अपना केस रफा-दफा कराने के लिए अस्थाना को 3 करोड़ रुपए रिश्वत देने का आरोप लगाया है। साना का नाम आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को रिश्वत देने के आरोप में सामने आया है। साना के मुताबिक उससे रिश्वत की मांग की गई थी। 
एफआईआर के मुताबिक मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद सतीश साना से दुबई में मिले और उसका मामला रफा-दफा कराने का आश्वासन दिलाया । साना दुबई का कारोबारी है। सीबीआई उसके खिलाफ मीट कारोबारी से संबंध को लेकर जांच कर रही है। कुरैशी साल 2014 के बाद से भ्रष्टाचार के केस में कई एजेंसियों के निशाने पर है।


Conclusion:सीबीआई के मुताबिक 2 करोड़ रुपये का घूस सतीश ने खुद को 25 अक्टूबर 2018 तक बचाए रखने के लिए दिया था।10 अक्टूबर 2018 को 25 लाख रुपये चुकाए गए और बाकी के पैसे 16 अक्टूबर 2018 तक चुकाने की बात हुई। सीबीआई ने 16 अक्टूबर को बिचौलिए मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया,जब वह बाकी के पौने दो करोड़ रुपए लेने भारत आया था। आपको बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट मनोज प्रसाद को जमानत दे चुका है।
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