नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ महादेव मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है. महाशिवरात्री के मौके पर मंदिर के बाहर देर रात 12:00 बजे से ही भक्तों की कतारें लगनी शुरू हो गई थीं. श्रद्धालु हर हर महादेव और बम भोले का जयकारा लगाते हुए मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं. वहीं मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर शुक्रवार को ही भारी पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी. इसके अलाेवे मंदिर के आसपास सिविल डिफेंस के 350 वालंटियर भी मौजूद हैं.
दरअसल, प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की मान्यता काफी अधिक है, जिसके चलते दिल्ली एनसीआर के लोग ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत से भी श्रद्धालुओं का हुजुम यहां जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर की मान्यता काफी पुरानी है, कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां दशानन रावण के पिता ने पूजा अर्चना की थी. वहीं रावण ने यहां अपना दसवां शीर्ष भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित किया था. इसके साथ ये भी बताया गया है कि प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला हुआ करता था. जहां गाय स्वयंभू दूध देती थी, वहीं पर भगवान दूधेश्वर महादेव स्थापित हैं.
बता दें हर साल कि तरह इस बार भी मंदिर को महाशिवरात्रि के मौके पर दुल्हन की तरह सजाया गया है, इस बार वृंदावन के फूलों से दूधेश्वर नाथ महादेव को सजाया गया है. हिंदू पंचांग में महाशिवरात्रि का दिन को बेहद खास बताया गया है. इस दिन देशभर के श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर वर्त रखते हैं.
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गौरतलब है कि इस दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा और व्रत करते हैं. शिव पुराण के मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि का ये महापर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तारीख को मनाया जाता है, आज ही के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था. इसके आलावे पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव ने इसी पावन रात्रि को संरक्षण और विनाश का भी रचना किया था.
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