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कोर्ट ने दिल्ली के मंत्री राजकुमार आनंद को किया बरी, COVID प्रोटोकॉल के उल्लंघन का था मामला

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कोरोना प्रोटोकॉल के उलंघन के मामले में दो आप नेताओं को बरी दिया है. इनमें दिल्ली सरकार के मंत्री मंत्री राजकुमार आनंद और पार्षद अंकुश नारंग शामिल है. दोनों पर कोविड प्रोटोकॉल तोड़ कर बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष के आवास के पास विरोध प्रदर्शन करने का आरोप था.

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Published : Jun 23, 2023, 6:10 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़ने के मामले में दिल्ली के मंत्री राज कुमार आनंद और आप पार्षद अंकुश गर्ग को बरी कर दिया है. दोनों नेताओं पर कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता के आवास के पास बिना परमिशन के विरोध प्रदर्शन करने का आरोप था. आप नेताओं पर कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़ने का मामला दर्ज किया गया था.

दिल्ली पुलिस ने उन पर पूर्व अनुमति के बिना नारे लगाते हुए मार्च करने और सामाजिक दूरी न बनाए रखने और मास्क नहीं पहनने का आरोप लगाया था. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) विधि गुप्ता आनंद ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी व्यक्तियों का अपराध साबित करने में विफल रहा. जांच अधिकारी (आईओ) की कि गई जांच में असंख्य खामियां हैं.

आप पार्षद अंकुश गर्ग
आप पार्षद अंकुश गर्ग

आईओ की ओर से सबसे गंभीर चूक घटना का वीडियो रिकॉर्ड पर नहीं लाना है. जबकि वीडियो उन्हें उपलब्ध कराया गया था. आईओ का केवल यह कहना कि उसने अपना मोबाइल फोन बदल लिया है और इसलिए वह वीडियो प्राप्त करने में सक्षम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यह एक कमजोर बहाने से ज्यादा कुछ नहीं लगता है. यह एक अलग सवाल है कि सबसे पुख्ता सबूत मिलने के बावजूद आईओ ने उसे अदालत में पेश क्यों नहीं किया. क्या आईओ के इस आचरण के पीछे का कारण कानूनी प्रक्रियाओं के प्रति अज्ञानता या जांच के प्रति आकस्मिक दृष्टिकोण या कुछ अन्य बाहरी कारक हैं. कोर्ट ने कहा कि आईओ के इस कृत्य ने अभियोजन मामले को कमजोर कर नुकसान पहुंचाया है.

नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़ने के मामले में दिल्ली के मंत्री राज कुमार आनंद और आप पार्षद अंकुश गर्ग को बरी कर दिया है. दोनों नेताओं पर कोरोना महामारी के दौरान दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता के आवास के पास बिना परमिशन के विरोध प्रदर्शन करने का आरोप था. आप नेताओं पर कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़ने का मामला दर्ज किया गया था.

दिल्ली पुलिस ने उन पर पूर्व अनुमति के बिना नारे लगाते हुए मार्च करने और सामाजिक दूरी न बनाए रखने और मास्क नहीं पहनने का आरोप लगाया था. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) विधि गुप्ता आनंद ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी व्यक्तियों का अपराध साबित करने में विफल रहा. जांच अधिकारी (आईओ) की कि गई जांच में असंख्य खामियां हैं.

आप पार्षद अंकुश गर्ग
आप पार्षद अंकुश गर्ग

आईओ की ओर से सबसे गंभीर चूक घटना का वीडियो रिकॉर्ड पर नहीं लाना है. जबकि वीडियो उन्हें उपलब्ध कराया गया था. आईओ का केवल यह कहना कि उसने अपना मोबाइल फोन बदल लिया है और इसलिए वह वीडियो प्राप्त करने में सक्षम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यह एक कमजोर बहाने से ज्यादा कुछ नहीं लगता है. यह एक अलग सवाल है कि सबसे पुख्ता सबूत मिलने के बावजूद आईओ ने उसे अदालत में पेश क्यों नहीं किया. क्या आईओ के इस आचरण के पीछे का कारण कानूनी प्रक्रियाओं के प्रति अज्ञानता या जांच के प्रति आकस्मिक दृष्टिकोण या कुछ अन्य बाहरी कारक हैं. कोर्ट ने कहा कि आईओ के इस कृत्य ने अभियोजन मामले को कमजोर कर नुकसान पहुंचाया है.

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