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'जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर मनाए जाने वाले बाल दिवस को खत्म कर देंगे'

रविवार को पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा जनकपुरी में सिख समुदाय के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि बाल दिवस को खत्म कर चार साहबजादे के बलिदान के दिन को बाल दिवस मनाने का आदेश पास करेंगे.

'बाल दिवस को खत्म कर देंगे'
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Published : Mar 24, 2019, 9:43 PM IST

नई दिल्ली: चुनाव नजदीक आते ही लोगों की सहानुभूति बटोरने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. इसी क्रम में बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने सिख समुदाय से कहा कि पॉवर मिलेगा तो जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर मनाए जाने वाले बाल दिवस को खत्म कर देंगे. इसकी जगह वे चार साहबजादे के बलिदान दिन को बाल दिवस मनाने का आदेश पास कर देंगे.

उन्होंने कहा कि वे और उनके पिताजी जो दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, वे सिखों के बड़े हिमायती रह चुके हैं. दिल्ली में जब सिख दंगा हुआ था तब वे अपने सभी जानने वालों को घर मे रखे हथियार से सिखों की रक्षा करने की अपील की थी.

'बाल दिवस को खत्म कर देंगे'

प्रवेश वर्मा ने कहा कि सिखों के लिए वे जो कुछ सांसद रहते हुए कर रहे हैं वे इसलिए क्योंकि उन्हें खुशी मिलती है ऐसा कर. चार साहबजादे की कुर्बानी को लेकर जब उन्होंने संसद में करीब डेढ़ सौ सांसदो से पूछा से उनमें से 140 सांसदों को चार साहबजादे के बलिदान के बारे में कुछ पता नहीं था.

तभी उन्होंने निर्णय लिया कि चार साहेबजादों के बलिदान दिन को देश में बाल दिवस के रूप में मनाने के लिए वे अभियान शुरू करेंगे. इसकी शुरुआत ही प्रवेश वर्मा ने सांसदों से हस्ताक्षर कराकर की.

बता दें कि चार साहिबजादे शब्द का इस्तेमाल सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के साथ सुपुत्र साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह व फतेह सिंह को सामूहिक रूप से संबोधित करने के लिए किया जाता है. सरसा नदी पर जब गुरु गोविंद सिंह का परिवार जुदा हो रहा था तो एक ओर जहां बड़े साहेबजादे गुरु गोविंद सिंह के साथ चले गए.

वहीं दूसरी और छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह, फतेह सिंह माता गुजरी के साथ रह गए थे. उनके साथ ना कोई सैनिक था ना कोई उम्मीद थी जिसके सहारे तो परिवार से वापस मिल सकते हैं. ऐसे में मुगलों के साथ लड़ाई में चारों साहेबजादे की मौत हो गईं. सिख धर्म की रक्षा में इन साहेबजादों की

नई दिल्ली: चुनाव नजदीक आते ही लोगों की सहानुभूति बटोरने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. इसी क्रम में बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने सिख समुदाय से कहा कि पॉवर मिलेगा तो जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर मनाए जाने वाले बाल दिवस को खत्म कर देंगे. इसकी जगह वे चार साहबजादे के बलिदान दिन को बाल दिवस मनाने का आदेश पास कर देंगे.

उन्होंने कहा कि वे और उनके पिताजी जो दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, वे सिखों के बड़े हिमायती रह चुके हैं. दिल्ली में जब सिख दंगा हुआ था तब वे अपने सभी जानने वालों को घर मे रखे हथियार से सिखों की रक्षा करने की अपील की थी.

'बाल दिवस को खत्म कर देंगे'

प्रवेश वर्मा ने कहा कि सिखों के लिए वे जो कुछ सांसद रहते हुए कर रहे हैं वे इसलिए क्योंकि उन्हें खुशी मिलती है ऐसा कर. चार साहबजादे की कुर्बानी को लेकर जब उन्होंने संसद में करीब डेढ़ सौ सांसदो से पूछा से उनमें से 140 सांसदों को चार साहबजादे के बलिदान के बारे में कुछ पता नहीं था.

तभी उन्होंने निर्णय लिया कि चार साहेबजादों के बलिदान दिन को देश में बाल दिवस के रूप में मनाने के लिए वे अभियान शुरू करेंगे. इसकी शुरुआत ही प्रवेश वर्मा ने सांसदों से हस्ताक्षर कराकर की.

बता दें कि चार साहिबजादे शब्द का इस्तेमाल सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के साथ सुपुत्र साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह व फतेह सिंह को सामूहिक रूप से संबोधित करने के लिए किया जाता है. सरसा नदी पर जब गुरु गोविंद सिंह का परिवार जुदा हो रहा था तो एक ओर जहां बड़े साहेबजादे गुरु गोविंद सिंह के साथ चले गए.

वहीं दूसरी और छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह, फतेह सिंह माता गुजरी के साथ रह गए थे. उनके साथ ना कोई सैनिक था ना कोई उम्मीद थी जिसके सहारे तो परिवार से वापस मिल सकते हैं. ऐसे में मुगलों के साथ लड़ाई में चारों साहेबजादे की मौत हो गईं. सिख धर्म की रक्षा में इन साहेबजादों की

Intro:नई दिल्ली. चुनाव नज़दीक आते ही लोगों की सहानुभूति बटोरने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. रविवार को पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा जनकपुरी इलाके में सिख समुदाय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे तो कहा कि जिस दिन उन्हें पावर मिलेगा वो जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर मनाए जाने वाले बाल दिवस को खत्म कर देंगे. इसकी जगह वे चार साहबजादे के बलिदान दिन को बाल दिवस मनाने का आदेश पास कर देंगे.


Body:भाजपा सांसद ने सिख समुदाय से कहा कि वे और उनके पिताजी जो दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, वे सिखों के बड़े हिमायती रह चुके हैं. दिल्ली में जब सिख दंगा हुआ था तब वे अपने सभी जानने वालों को घर मे रखे हथियार से सिखों की रक्षा करने की अपील की थी.

देश के अधिकांश सांसदों को नहीं पता चार साहबजादे की कुर्बानी

प्रवेश वर्मा ने कहा कि सिखों के लिए वे जो कुछ सांसद रहते हुए कर रहे हैं वे इसलिए क्योंकि उन्हें खुशी मिलती है ऐसा कर. चार साहबजादे की कुर्बानी को लेकर जब उन्होंने संसद में करीब डेढ़ सौ सांसदो से पूछा से उनमें से 140 सांसदों को चार साहबजादे के बलिदान के बारे में कुछ पता नहीं था. तभी उन्होंने निर्णय लिया कि चार साहेबजादों के बलिदान दिन को देश मे बाल दिवस के रूप में मनाने के लिए वे अभियान शुरू करेंगे. इसकी शुरुआत ही प्रवेश वर्मा ने सांसदों से हस्ताक्षर कराकर की.

बता दें कि चार साहिबजादे शब्द का इस्तेमाल सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के साथ सुपुत्र साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह व फतेह सिंह को सामूहिक रूप से संबोधित करने के लिए किया जाता है. सरसा नदी पर जब गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार जुदा हो रहा था तो एक ओर जहां बड़े साहेबजादे गुरु जी के साथ चले गए वहीं दूसरी और छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह, फतेह सिंह माता गुजरी के साथ रह गए थे. उनके साथ ना कोई सैनिक था ना कोई उम्मीद थी जिसके सहारे तो परिवार से वापस मिल सकते हैं. ऐसे में मुगलों के साथ लड़ाई में चारों साहेबजादे की मौत हो गईं. सिख धर्म की रक्षा में इन साहेबजादों की कुर्बानी का काफी महत्व है.

समाप्त, आशुतोष झा




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