नई दिल्ली/गाजियाबाद: यूपी की योगी सरकार प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों को स्थापित कर रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए लागातार काम कर रही है. उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट के दौरान साइन हुए एमओयू को धरातल पर उतारने की कवायद की जा रही है. गाजियाबाद में भूमि की कीमतें काफी अधिक है. ऐसे में निवेशकों के लिए सस्ती दरों पर जमीन उपलब्ध कराना भी एक बड़ी चुनौती है.
उपायुक्त उद्योग श्रीनाथ पासवान ने बताया पश्चिमी प्रदेश में गाजियाबाद निवेश की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण जिला है. यूपी इन्वेस्टर्स सबमिट के तहत गाजियाबाद में एक लाख सोलह हजार करोड़ का निवेश प्रस्तावित है. यूपी इन्वेस्टर्स सबमिट के माध्यम से साइन हुए एमओयू में से 220 प्रोजेक्ट धरातल पर उतारने शुरू हो गए है. जिसके माध्यम से गाजियाबाद में तकरीबन 35000 करोड़ का निवेश हो रहा है.
लैंड एलॉटमेंट में की जा रही मदद: इन्वेस्टर्स सबमिट के दौरान साइन हुए एमओयू में से जो प्रोजेक्ट अभी धरातल पर नहीं उतर पाए हैं. उनको धरातल पर उतरने के लिए लगातार निवेशकों से संपर्क किया जा रहा है. साथ ही विभिन्न विभागों के माध्यम से कवायद पूरी कराकर कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा रहा है. लैंड एलॉटमेंट समेत अन्य विभागीय कार्यवाही को पूरा करवाया जा रहा है.
एक लाख को रोजगार: श्रीनाथ पासवान के मुताबिक, 220 प्रोजेक्ट के माध्यम से हो रहे 35000 करोड़ के निवेश से गाजियाबाद में तकरीबन एक लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. 'गाजियाबाद वन जिला वन प्रोडक्ट' के तहत इंजीनियरिंग गुड्स का निर्माण करता है. बड़ी संख्या में यहां इंजीनियरिंग गुड्स का निर्माण करने वाली औद्योगिक इकाइयां है. 220 प्रोजेक्ट्स में से अधिकतर एमएसएमई औद्योगिक इकाइयां हैं, जिसमें बड़ी संख्या में टेक्सटाइल यूनिट्स भी शामिल है.
भूमि उपलब्ध कराना चुनौती: अधिकारियों के मुताबिक, गाजियाबाद में नई औद्योगिक इकाइयों के लिए भूमि उपलब्ध कराना चुनौती है. क्योंकि भूमि की कीमत यहां काफी अधिक है. निवेशकों द्वारा सस्ती भूमि की डिमांड की जा रही है. सरकार की निजी औद्योगिक पार्क योजना समेत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से निवेशकों को भूमि उपलब्ध करा रही है.
MSME देगा रोजगार: एक्सपर्ट्स का मानना है कि निवेशक औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने के लिए भूमि में अधिक निवेश करने से बचते हैं. दरअसल, भूमि एक फिक्स्ड ऐसेट है अगर निवेशक भूमि में मोटा इन्वेस्टमेंट करेंगे तो उनकी एक बड़ी रकम लंबे समय के लिए ब्लॉक हो जाती है. वहीं, एक्सपर्ट बताते हैं कि बड़ी औद्योगिक इकाइयों की तुलना में छोटी औद्योगिक इकाइयां ज्यादा रोजगार के साधन उपलब्ध कराती है. क्योंकि बड़ी औद्योगिक इकाइयों में अधिकतर काम ऑटोमेशन मोड पर होता है, जबकि छोटी इकाइयों में ऑटोमेशन के बजाय हाथ से कम होता है.