नई दिल्ली: पुरानी दिल्ली की जामा मस्जिद के करीब स्थित जगत सिनेमा के पास एक आर्टिस्ट शकील की छोटी सी दुकान है. पिछले 4 दशकों से पेंटर शकील हिंदी, उर्दू, फारसी स्क्रिप्ट और तस्वीरें बनाने का काम कर रहे हैं. अपने इसी पैतृक काम से वो अपना घर चल रहें हैं. आज भी अपनी कला को जिंदा रखे हुए हैं.
4 दशकों से बना रहें है हाथ से पेंटिंग
ईटीवी भारत की टीम ने आर्टिस्ट शकील से उनकी कला के बारे में बात की. शकील बताते हैं कि उनके पित अब्दुल हमीद और उनके दादा भी इसी जगह यही काम करते थे. वक्त के साथ-साथ तकनीक ने भी विकास किया. लेकिन कंप्यूटर के दौर में शकील की पेंटिंग का काम कम जरूर हुआ है, लेकिन उनकी कला आज भी जिंदा है.
पिछले 4 दशकों से वो लोगों को अपनी सेवा दे रहे हैं. लोग दुकानों के बोर्ड, बैनर, पोस्टर, कबरों के कतबे, सींगरियां, तस्वीरें बनवाने उनके पास आते है. ईटीवी भारत से बात करते हुए आर्टिस्ट शकील ने बताया कि पेंटिंग की कला उन्होंने अपने पिता से सीखी थी. उनका बड़ा नाम था. उनके समय में जुगल आर्टिस्ट, निसार आर्टिस्ट और फिदा हुसैन उनके मिलने वालों में से थे.
कोरोना के कारण पड़ा काम पर असर
शकील आर्टिस्ट बताते है कि कंप्यूटर से पहले उनके पास बड़ा काम हुआ करता था. दुकान पर 5 लोग काम करते थे. लेकिन धीरे-धीरे काम कम हो गया. कोरोना के कारण भी काम पर फर्क पड़ा है. वो बताते है कि लोग अब भी उनके पास काम लेके आते है. उर्दू, हिन्दू, फारसी के साथ में सींगरियां और तस्वीरें भी बनाता हूं. विदेशी भी यहां आकर पुरानी बनी हुई चीजों की मांग करते है.