नई दिल्ली: आईआरसीटीसी घोटाला मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में बहस पूरी हो गई. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख सात अगस्त तय की है. सोमवार को बहस के दौरान कोर्ट में दलीलें में पेश करते हुए लालू प्रसाद यादव के वकील ने कहा कि सीबीआई के पास मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे यह साबित किया जा सके कि लालू यादव ने किसी को आईआरसीटीसी का टेंडर दिलाने में कोई भूमिका निभाई थी.
पूर्व रेल मंत्री के वकील ने कहा कि हाई प्रोफाइल मामलों में सीबीआई को पुख्ता सबूतों के साथ आना चाहिए. सिर्फ हवा हवाई बातों के आधार पर आरोप तय करने की मांग नहीं की जा सकती. वहीं सीबीआई के वकील ने कहा आईआरसीटीसी का टेंडर दो अन्य फर्मों को दिलाने के लिए नीति बदलने में लालू यादव की भूमिका थी. मामला वर्ष 2004 से लेकर 2009 के बीच का है जब लालू प्रसाद यादव देश के रेल मंत्री थे. उस समय रेलवे बोर्ड ने देश में संचालित सभी होटलों और ट्रेनों की कैटरिंग सेवा का काम आईआरसीटीसी को सौंप दिया था. इसी दौरान रांची और उड़ीसा के होटलों के टेंडर में गड़बड़ी का मामला सामने आया था.
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वाणिज्यिक भूखंड रिश्वत के रूप में लेने का आरोप: बता दें कि वर्ष 2004 से 2009 के दौरान लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे तो रांची और पुरी में संचालित दो होटलों की देखरेख का काम अचानक सुजाता होटल्स नामक एक निजी कंपनी को दे दिया गया था. विनय कोचर इस कंपनी के मालिक थे. सीबीआई का आरोप है कि दोनों होटलों की देखरेख का काम मिलने के बदले में इन लोगों ने लालू यादव को पटना में तीन एकड़ जमीन दे दी, जो बेनामी संपत्ति थी. वर्ष 2017 में सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित कई अन्य के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज कर लिया था. वहीं ईडी ने वर्ष 2018 में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पीसी गुप्ता, सरला गुप्ता सहित 16 लोगों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.
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