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एम्स दिल्ली का ऐप वजन और मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने में करेगा मदद, दूर होंगी समस्याएं

AIIMS Delhi: एम्स दिल्ली एक निजी कंपनी के साथ मिलकर एक ऐप विकसित कर रहा है. यह मोबाइल एप लोगों को अपने वजन को नियंत्रित रखने और मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक रखने में मदद करेगा.

एम्स दिल्ली
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 24, 2023, 4:02 PM IST

नई दिल्ली: आजकल लोगों में फिटनेस को लेकर जागरुकता देखने को मिल रही है. इसके लिए लोग जिम का सहारा ले रहे हैं. अधिकतर मोटापा वाले लोगों को खुद को फिट रखने को लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. मोटापे की वजह से लोगों को अन्य तरह की बीमारियों का भी खतरा बना रहता है. इसके अलावा लोगों में तनाव एवं अन्य मानसिक समस्याएं भी आमतौर पर देखने को मिल रही है, जो उनके स्वास्थ्य और जीवनशैली को प्रभावित कर रही है. इन सब समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए एम्स दिल्ली एक निजी कंपनी के साथ मिलकर एक ऐप विकसित कर रहा है.

यह मोबाइल एप लोगों को अपने वजन को नियंत्रित रखने और मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक रखने में मदद करेगा. एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर यतन पाल सिंह बलहारा ने बताया कि वजन प्रबंधन उद्योग को वर्तमान में फिटनेस सेंटर, जिम्नेजियम, डाइटीशियन तरह-तरह की सलाह देकर चला रहे हैं. इन सभी का लक्ष्य वजन कम करना होता है. लेकिन, इनमें से कोई भी लोगों का तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं का समाधान करने की सलाह नहीं देता है. इसलिए एम्स ने इस तरह का ऐप तैयार करने की दिशा में काम शुरू किया है. यह ऐप बहुत ही कम लागत वाला और पूरी तरह से मेड इन इंडिया है. कुछ जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद इस ऐप का परीक्षण किया जाएगा. यह परीक्षण फरवरी तक पूरा होने की संभावना है.

ऐप में तीसरी पीढ़ी की प्रक्रिया आधारित थेरेपी (सीबीडी) तकनीक शामिल है, जो लोगों के वजन और मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन का निदान करने में उपयोगी साबित होगी. मनोचिकित्सा विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ रोहित वर्मा ने बताया कि ऐप को चिकित्सकीय रूप से मंजूरी मिलने के बाद इसे एक मेडिकल डिवाइस के रूप में उपयोग किया जाएगा. इससे तनाव जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के साथ-साथ मोटापे के दीर्घकालिक प्रबंधन में गेम चेंजर होने की उम्मीद है. इसके साथ ही ऐप के क्लीनिकल मॉड्यूल के एपीआई को अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के लिए भी खोला जाएंगा, जिनका उपयोग उनके रोगियों के स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए भी किया जा सकेगा.

डॉ रोहित ने बताया कि युवाओं को कई भ्रामक विज्ञापनों के द्वारा भी वजन कम करने के प्रति आकर्षित किया जाता है, जो उनकी सेहत के लिए हानिकारक भी साबित होता है. इन सभी समस्याओं का समाधान इस ऐप के प्रयोग द्वारा संभव हो सकेगा. बता दें कि इससे पहले एम्स नेत्र रोगियों के लिए भी एक मोबाइल एप विकसित करने पर काम कर रहा है, जिसकी मदद से नेत्र रोगियों के उपचार और देखभाल को बेहतर बनाने में अस्पताल को मदद मिलेगी. यह ऐप एक कैमरा सिस्टम के साथ आएगा. इसके इस्तेमाल से मरीज डॉक्टर के साथ अपनी आंख की तस्वीर साझा कर सकेंगे और डॉक्टर से परामर्श कर सकेंगे.

नई दिल्ली: आजकल लोगों में फिटनेस को लेकर जागरुकता देखने को मिल रही है. इसके लिए लोग जिम का सहारा ले रहे हैं. अधिकतर मोटापा वाले लोगों को खुद को फिट रखने को लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. मोटापे की वजह से लोगों को अन्य तरह की बीमारियों का भी खतरा बना रहता है. इसके अलावा लोगों में तनाव एवं अन्य मानसिक समस्याएं भी आमतौर पर देखने को मिल रही है, जो उनके स्वास्थ्य और जीवनशैली को प्रभावित कर रही है. इन सब समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए एम्स दिल्ली एक निजी कंपनी के साथ मिलकर एक ऐप विकसित कर रहा है.

यह मोबाइल एप लोगों को अपने वजन को नियंत्रित रखने और मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक रखने में मदद करेगा. एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर यतन पाल सिंह बलहारा ने बताया कि वजन प्रबंधन उद्योग को वर्तमान में फिटनेस सेंटर, जिम्नेजियम, डाइटीशियन तरह-तरह की सलाह देकर चला रहे हैं. इन सभी का लक्ष्य वजन कम करना होता है. लेकिन, इनमें से कोई भी लोगों का तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं का समाधान करने की सलाह नहीं देता है. इसलिए एम्स ने इस तरह का ऐप तैयार करने की दिशा में काम शुरू किया है. यह ऐप बहुत ही कम लागत वाला और पूरी तरह से मेड इन इंडिया है. कुछ जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद इस ऐप का परीक्षण किया जाएगा. यह परीक्षण फरवरी तक पूरा होने की संभावना है.

ऐप में तीसरी पीढ़ी की प्रक्रिया आधारित थेरेपी (सीबीडी) तकनीक शामिल है, जो लोगों के वजन और मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन का निदान करने में उपयोगी साबित होगी. मनोचिकित्सा विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ रोहित वर्मा ने बताया कि ऐप को चिकित्सकीय रूप से मंजूरी मिलने के बाद इसे एक मेडिकल डिवाइस के रूप में उपयोग किया जाएगा. इससे तनाव जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान के साथ-साथ मोटापे के दीर्घकालिक प्रबंधन में गेम चेंजर होने की उम्मीद है. इसके साथ ही ऐप के क्लीनिकल मॉड्यूल के एपीआई को अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के लिए भी खोला जाएंगा, जिनका उपयोग उनके रोगियों के स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए भी किया जा सकेगा.

डॉ रोहित ने बताया कि युवाओं को कई भ्रामक विज्ञापनों के द्वारा भी वजन कम करने के प्रति आकर्षित किया जाता है, जो उनकी सेहत के लिए हानिकारक भी साबित होता है. इन सभी समस्याओं का समाधान इस ऐप के प्रयोग द्वारा संभव हो सकेगा. बता दें कि इससे पहले एम्स नेत्र रोगियों के लिए भी एक मोबाइल एप विकसित करने पर काम कर रहा है, जिसकी मदद से नेत्र रोगियों के उपचार और देखभाल को बेहतर बनाने में अस्पताल को मदद मिलेगी. यह ऐप एक कैमरा सिस्टम के साथ आएगा. इसके इस्तेमाल से मरीज डॉक्टर के साथ अपनी आंख की तस्वीर साझा कर सकेंगे और डॉक्टर से परामर्श कर सकेंगे.

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