नई दिल्लीः अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् द्वारा अपने मुख्यालय में तकनीकी पाठ्य पुस्तक पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित किया गया. यह राजभाषा अधिनियम की सिफारिशों को लागू करने और हिंदी तकनीकी के क्षेत्र में यह अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना है. इस योजना का प्रारंभ 1998 में किया गया था और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (AICTE) तब से प्रतिवर्ष विभिन्न लेखकों को यह पुरस्कार दे रही है, जिसके अंतर्गत परिषद के अध्यक्ष प्रो० टी. जी सीताराम द्वारा वर्ग 2021 की योजना के तहत तकनीकी विषयों की डिग्री, डिप्लोमा आई.टी.आई. तकनीशियन अनुवाद स्तर की पाठ्यपुस्तकों के लेखकों को पुरस्कार प्रदान किए गए.
इस अवसर पर डिग्री स्तरीय मूल लेखन पाठ्यपुस्तक व्यापार लोकाचार नामक पुस्तक के लेखक प्रो. डॉ. नीरज कुमार को 1,25,000 रुपए का प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया. प्रबंध कौशल का विकास के लिए बी.एल गुप्ता को द्वितीय पुरस्कार 75,000 रुपए का पुरस्कार तथा डिजाइन के सिद्धांत नामक पुस्तक के लिए अशोक गोयल और अर्जुन कमल को 50,000 रुपए का (संयुक्त रूप से) तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया है. इसी प्रकार डिप्लोमा स्तर मूल लेखन के लिए सामान्य मैकेनिकल इंजीनियरिंग नामक पुस्तक के लिए दिलीप गांगिल को 75,000 रुपए का प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया, जबकि पॉलिटेक्निक अनुप्रयुक्त रसायन विज्ञान पुस्तक के लिए डॉ. सादिक खान को 50,000 रुपए एवं पर्यावरण अभियांत्रिकी तथा सुरक्षा नामक पुस्तक के लिए के के गुप्ता को 50,000 का (संयुक्त रूप से) द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया गया है.
संरचनात्मक यांत्रिकी पुस्तक के लिए मनोज कुमार वार्ष्णेय को 40,000 रूपये एवं एनालॉग इलेक्ट्रॉनिक परिपथ- पुस्तक के लिए जयन्त कुमार राय और श्री सतीश कुमार ठाकुर को 40,000 रुपये का संयुक्त रूप से तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया. इस प्रकार समारोह में कुल 12 लेखकों को 5,65,000 रुपए की राशि के पुरस्कार प्रदान किए गए. साथ ही इस अवसर पर सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार ने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि तकनीकी और वैज्ञानिक पुस्तकें हिंदी में लिखना एवं लिखवाना एक दुरूह कार्य है. जो लेखक यह कार्य कर रहे हैं, वह हिंदी भाषा की विशिष्ट सेवा है और अत्यधिक सराहनीय कार्य है.
इस अवसर पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष प्रो टी.जी सीताराम ने कहा नई शिक्षा नीति के अंतर्गत आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एवं शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के आवाहन पर हिंदी के साथ-साथ अन्य सभी 22 भारतीय भाषाओं के माध्यम से तकनीकी शिक्षा प्रदान किया जाना आरम्भ किया जाएगा और इसके लिए पुस्तकें लिखवाने और अनुवादित करवाने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है.