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Delhi Liquor Scam: दलीलें काम न आने पर मुश्किल में सिसोदिया, अब HC का दरवाजा खटखटाएगी AAP

दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली की एक अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी है. वहीं अब आम आदमी पार्टी सिसोदिया की जमानत के लिए हाईकोर्ट में अपील करेगी.

मुश्किल में सिसोदिया
मुश्किल में सिसोदिया
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Published : Apr 1, 2023, 11:46 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. दरअसल, आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज केस में पत्नी की बीमारी का हवाला देने और सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ संलिप्तता में कोई खास सबूत नहीं होने की उनकी दलील भी जमानत लेने के लिए काम नहीं आई. हालांकि अदालत ने उनकी इन दलीलों को आधार विहीन बताते हुए उन्हें मामले में आपराधिक साजिश का वास्तुकार (आर्किटेक्ट) तक बता दिया. बहरहाल, सिसोदिया के वकील अब उनकी जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करेंगे.

शुक्रवार को कोर्ट में अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सिसोदिया ने पत्नी के मेडिकल को भी जमानत के लिए आधार बनाया. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी की न्यूरोलॉजिकल मानसिक बीमारी करीब 20 साल पुरानी है, लेकिन उसके बारे में जो दस्तावेज पेश किए गए वो केवल 2022-23 के ही हैं. बीमारी इतनी गंभीर नहीं है कि आवेदक को जमानत दे दी जाए. कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में वह इस मामले में आपराधिक साजिश के प्रमुख सूत्रधार हैं.

सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज: अदालत ने कहा कि उनकी रिहाई से जारी जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसकी प्रगति 'गंभीर रूप से बाधित' हो सकती है. विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने 34 पन्ने के आदेश में कहा कि वह इस समय सिसोदिया को रिहा करने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि अभियोजन पक्ष की चर्चा से यह स्पष्ट है कि आवेदक ने आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी भूमिका निभाई थी. अतः अभियोजन पक्ष की ओर से लगाए गए आरोपों और उनके समर्थन में अब तक एकत्र किए गए सबूतों के अनुसार आवेदक को प्रथम दृष्टया उक्त आपराधिक साजिश का सूत्रधार माना जा सकता है. इसलिए आरोपित की ओर से दायर की गई यह जमानत याचिका खारिज की जाती है.

ये भी पढ़ें: Punjab News: सिद्धू पटियाला जेल से आज होंगे रिहा, मीडिया से करेंगे बात

सिसोदिया की बरकरार रहेंगी मुश्किलें: सिसोदिया पहले यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि वह भागने वाले नहीं हैं. साथ ही सीबीआई को शराब नीति से संबंधित अनियमितताओं की जांच में उनके खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है. हालांकि इस पर सीबीआई ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सिसोदिया के भागने का जोखिम तो नहीं है, लेकिन वह निश्चित रूप से गवाहों को प्रभावित करने और सबूतों को नष्ट करने की स्थिति में हैं. गौरतलब है कि सिसोदिया और अन्य सहयोगियों पर शराब के कारोबारियों से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के बदले उन्हें आबकारी नीति में लाभ पहुंचाने का आरोप है. इस पैसे को सिसोदिया ने अन्य सहयोगियों की मदद से ठिकाने लगाया.

ये भी पढ़ें: Violence on Ram Navami : ममता बनर्जी पर स्मृति ईरानी का हमला, कहा- पत्थरबाजों को दी क्लीन चिट

नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. दरअसल, आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज केस में पत्नी की बीमारी का हवाला देने और सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ संलिप्तता में कोई खास सबूत नहीं होने की उनकी दलील भी जमानत लेने के लिए काम नहीं आई. हालांकि अदालत ने उनकी इन दलीलों को आधार विहीन बताते हुए उन्हें मामले में आपराधिक साजिश का वास्तुकार (आर्किटेक्ट) तक बता दिया. बहरहाल, सिसोदिया के वकील अब उनकी जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करेंगे.

शुक्रवार को कोर्ट में अपनी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सिसोदिया ने पत्नी के मेडिकल को भी जमानत के लिए आधार बनाया. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी की न्यूरोलॉजिकल मानसिक बीमारी करीब 20 साल पुरानी है, लेकिन उसके बारे में जो दस्तावेज पेश किए गए वो केवल 2022-23 के ही हैं. बीमारी इतनी गंभीर नहीं है कि आवेदक को जमानत दे दी जाए. कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में वह इस मामले में आपराधिक साजिश के प्रमुख सूत्रधार हैं.

सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज: अदालत ने कहा कि उनकी रिहाई से जारी जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसकी प्रगति 'गंभीर रूप से बाधित' हो सकती है. विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने 34 पन्ने के आदेश में कहा कि वह इस समय सिसोदिया को रिहा करने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि अभियोजन पक्ष की चर्चा से यह स्पष्ट है कि आवेदक ने आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण और बड़ी भूमिका निभाई थी. अतः अभियोजन पक्ष की ओर से लगाए गए आरोपों और उनके समर्थन में अब तक एकत्र किए गए सबूतों के अनुसार आवेदक को प्रथम दृष्टया उक्त आपराधिक साजिश का सूत्रधार माना जा सकता है. इसलिए आरोपित की ओर से दायर की गई यह जमानत याचिका खारिज की जाती है.

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सिसोदिया की बरकरार रहेंगी मुश्किलें: सिसोदिया पहले यह कहते हुए जमानत मांगी थी कि वह भागने वाले नहीं हैं. साथ ही सीबीआई को शराब नीति से संबंधित अनियमितताओं की जांच में उनके खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है. हालांकि इस पर सीबीआई ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सिसोदिया के भागने का जोखिम तो नहीं है, लेकिन वह निश्चित रूप से गवाहों को प्रभावित करने और सबूतों को नष्ट करने की स्थिति में हैं. गौरतलब है कि सिसोदिया और अन्य सहयोगियों पर शराब के कारोबारियों से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के बदले उन्हें आबकारी नीति में लाभ पहुंचाने का आरोप है. इस पैसे को सिसोदिया ने अन्य सहयोगियों की मदद से ठिकाने लगाया.

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