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'ट्रांसजेंडर भी इसी समाज का हिस्सा है', DU की छात्रा कर रही हैं ट्रांसजेंडरों पर रिसर्च - transgender

दिल्ली विश्वविद्यालय की एमफिल की छात्रा आकांक्षा ट्रांसजेंडर टॉपिक पर रिसर्च कर रही हैं. आकांक्षा का कहना है कि ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी समाज भी इसी समाज का हिस्सा है.

ट्रांसजेंडर
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Published : Jun 14, 2019, 7:19 PM IST

नई दिल्ली: ट्रांसजेंडर का नाम सुनते ही हमारे सामने एक ऐसी सच्चाई आती है, जिसकी नागरिकता कुछ सालों पहले तक अवैध मानी जाती थी, मतलब उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था. इसी टॉपिक पर दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल की एक छात्रा रिसर्च कर रही हैं. उनका कहना है कि अब इस तबके को भी समान अधिकार मिलने चाहिए.

ईटीवी भारत से की खास बातचीत
एमफिल की छात्रा आकांक्षा ने बताया कि जब हमने इस विषय पर रिसर्च करने को लेकर सवाल किया तो उनका साफ कहना था कि ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी समाज भी इसी समाज का हिस्सा है, क्योंकि एक हाथ की सभी उंगलियां एक समान नहीं होती, ठीक उसी प्रकार ट्रांसजेंडर भी बाकी लोगों के समान ना होकर एक ही समाज का हिस्सा है.

ट्रांसजेंडर

उन्होंने यह भी बताया कि लोगों का नजरिया ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर बदल रहा है. आकांक्षा का साफ तौर पर यही कहना था कि ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी समुदाय को लेकर लोगों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. तभी इनको समाज में समान अधिकार मिल सकते हैं. साथ ही यह अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

अलग-अलग यूनिवर्सिटी में जाकर जानी छात्रों की राय
छात्रा आकांक्षा ने बताया कि शोध के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी, इग्नू समेत कई यूनिवर्सिटी में गईं और वहां से उन्होंने ट्रांसजेंडर छात्रों को लेकर डाटा इकट्ठा किया और छात्रों से बातचीत की.

नई दिल्ली: ट्रांसजेंडर का नाम सुनते ही हमारे सामने एक ऐसी सच्चाई आती है, जिसकी नागरिकता कुछ सालों पहले तक अवैध मानी जाती थी, मतलब उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था. इसी टॉपिक पर दिल्ली विश्वविद्यालय से एमफिल की एक छात्रा रिसर्च कर रही हैं. उनका कहना है कि अब इस तबके को भी समान अधिकार मिलने चाहिए.

ईटीवी भारत से की खास बातचीत
एमफिल की छात्रा आकांक्षा ने बताया कि जब हमने इस विषय पर रिसर्च करने को लेकर सवाल किया तो उनका साफ कहना था कि ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी समाज भी इसी समाज का हिस्सा है, क्योंकि एक हाथ की सभी उंगलियां एक समान नहीं होती, ठीक उसी प्रकार ट्रांसजेंडर भी बाकी लोगों के समान ना होकर एक ही समाज का हिस्सा है.

ट्रांसजेंडर

उन्होंने यह भी बताया कि लोगों का नजरिया ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर बदल रहा है. आकांक्षा का साफ तौर पर यही कहना था कि ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी समुदाय को लेकर लोगों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. तभी इनको समाज में समान अधिकार मिल सकते हैं. साथ ही यह अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

अलग-अलग यूनिवर्सिटी में जाकर जानी छात्रों की राय
छात्रा आकांक्षा ने बताया कि शोध के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी, इग्नू समेत कई यूनिवर्सिटी में गईं और वहां से उन्होंने ट्रांसजेंडर छात्रों को लेकर डाटा इकट्ठा किया और छात्रों से बातचीत की.

Intro:किन्नर शब्द सुनते ही हमारे सामने ऐसे तबके की छवि सामने आती है जिसकी नागरिकता कुछ सालों पहले तक अवैध मानी जाती थी, मतलब की जिस तबके के लोग समाज में रह रहे हैं जी रहे हैं उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था उनकी कोई पहचान ही नहीं थी क्योंकि लोग उन्हें पसंद नहीं करता समाज उन्हें अपने समाज का हिस्सा नहीं मानता, तक कि यह लोग यदि किसी जगह आपको दिख जाए तो लोग इनसे दूर भागते हुए नजर आते हैं लेकिन अब स्थिति बदल रही है और इस तबके के लोगों को समाज में पहचान मिल रही है


Body:एलजीबीपी और ट्रांसजेंडर पर शोध कर रही छात्रा
कॉलेज स्कूलों प्राइवेट सेक्टर आदि में इन लोगों को जगह मिल रही है उनकी पहचान बन रही है वही लोग भी इनको लेकर जागरूक हो रहे हैं और अपने नजरिए को बदल रहे हैं ऐसे ही एक छात्रा से ईटीवी भारत ने बात की जो कि एमफिल की छात्रा है और ट्रांसजेंडर टॉपिक पर ही रिसर्च कर रही हैं जब हमने उनसे इस विषय पर रिसर्च रिसर्च करने को लेकर सवाल किया तो उनका साफ कहना था कि ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी समाज भी इसी समाज का हिस्सा है क्योंकि एक हाथ की सभी उंगलियां एक समान नहीं होती ठीक उसी प्रकार ट्रांसजेंडर भी बाकी लोगों के समान ना होकर एक ही समाज का हिस्सा है

ट्रांसजेंडर समुदाय को समान अधिकार दिलाना मकसद
अच्छे समय की बात की जाए तो जमाना तेजी से आगे बढ़ रहा है कंपटीशन का दौर है हर एक युवा आगे बढ़कर तेजी से नाम कमाना चाहता है और इसके लिए तमाम तरीके के बड़े-बड़े कोर्स ऊपर रिसर्च की जा रही है इसी बीच आकांक्षा जो एमफिल की छात्रा है जो की ट्रांसजेंडर विषय पर ही शोध कर रही हैं जिस पर उनका कहना था कि वह इस विषय पर गहराई से शोध करके ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज में समान अधिकार जलाना चाहती हैं और इसके लिए तमाम लोगों से मिली.


Conclusion:सभी कॉलेजों में जाकर कि छात्रों से बात
M.Phill की छात्रा आकांक्षा ने बताया कि शोध के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी, इग्नू समेत कई यूनिवर्सिटी में गई और वहां से उन्होंने ट्रांसजेंडर छात्रों को लेकर डाटा इकट्ठा किया और छात्रों से बात की यदि एक ट्रांसजेंडर छात्र आपके बीच आकर पढ़ते हैं तो क्या आप उनके साथ आम दूसरे लोगों की तरह ही व्यवहार करेंगे,

समाज में बदल रहा लोगों का नजरिया
आकांक्षा ने बताया जब हम ने छात्रों से और तमाम लोगों से बात की तो लोगों की तरफ से ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर अच्छा रिस्पांस देखने को मिला लोगों ने समुदाय के लोगों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि यह लोग हमारे बीच आकर पढ़ते हैं या हमारे बीच आकर रहते हैं तो हमें इससे कोई आपत्ति नहीं होगी आकांक्षा का साफ तौर पर यही कहना था कि ट्रांसजेंडर और एलजीबीटी समुदाय को लेकर लोगों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है तभी इनको समाज में समान दायरा मिल सकता है साथ ही यह अपने अधिकारों का यूज कर सकते हैं
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