नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सीएजी (CAG) की रिपोर्ट विधानसभा पटेल पर रखने का मुद्दा गर्मा रहा है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंप दी है. मगर जब तक यह विधानसभा पटल पर नहीं रखी जाताी, तब तक यह सार्वजनिक नहीं हो सकती. इसलिए विपक्ष लगातार दबाव बना रहा है कि यह रिपोर्ट विधानसभा का सत्र बुलाकर सदन में पेश की जाए.
इस संबंध में कई पत्राचार के बाद आज बीजेपी के सभी विधायक विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल से मुलाकात करेंगे. विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि सरकार सीएजी की 14 रिपोर्ट पेश करने से क्यों भाग रही है? ये समझ में नहीं आता है.
LG ने सीएम आतिशी को लिखा है पत्र
उन्होंने कहा 'उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने को लेकर मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखा है. ताकि सीएजी रिपोर्ट सदन में पेश की जा सके. रिपोर्ट पेश करने के लिए बीजेपी लगातार मांग कर रही है. विधानसभा के सितंबर, नवंबर और दिसंबर में बुलाए गए सत्र में विपक्ष लगातार सरकार पर सीएजी की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को लेकर दबाव बनाता रहा. लेकिन सदन में जब बीजेपी विधायक अपनी बात शुरू करते थे, तब उनका माइक बंद किया कर दिया जाता था.'

जानबूझकर दबाई गई CAG रिपोर्ट्स- विजेंद्र गुप्ता
विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली की जनता को यह जानने का पूरा हक है कि उनके पैसे का उपयोग कैसे हुआ. सीएजी रिपोर्ट को दबाने का यह जानबूझकर किया गया प्रयास वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार को छिपाने की साजिश है. आम आदमी पार्टी सरकार ने सीएजी की अहम रिपोर्ट को 497 दिनों तक जानबूझकर दबाए रखा और केवल दिल्ली हाई कोर्ट के संभावित प्रतिकूल आदेशों के दबाव में इन्हें प्रस्तुत किया. इन रिपोर्ट को आखिरी क्षण में प्रस्तुत करना साफ दिखाता है कि सरकार जवाबदेही से बचने और वित्तीय गड़बड़ियों को छिपाने के प्रयास में लगी थी. उपराज्यपाल सचिवालय ने शनिवार को दिल्ली सरकार से 497 दिनों से लंबित 14 सीएजी रिपोर्ट की सूची जारी करते बताया था कि आप सरकार की वित्त मंत्री व मुख्यमंत्री आतिशी ने सचिवालय में प्रस्तुत किया गया है.
बीजेपी विधायकों का आरोप है कि सीएजी रिपोर्ट को दबाने का यह मामला इसलिए और गंभीर हो जाता है क्योंकि इनमें से 14 में से 11 रिपोर्ट्स उस समय की हैं जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे. ये रिपोर्ट सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन, दिल्ली परिवहन निगम की कार्यप्रणाली, दिल्ली में शराब की आपूर्ति और नियमन, राज्य के वित्तीय मामलों और राजस्व, आर्थिक, सामाजिक और सामान्य क्षेत्रों से संबंधित अहम मुद्दों को कवर करती हैं.
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