हैदराबाद: आज यानी 23 जुलाई से टोक्यो ओलंपिक 2020 का आगाज हो गया है. ऐसे में हम आपको टोक्यो ओलंपिक 1964 की कहानी बताने जा रहे हैं, क्योंकि टोक्यो ओलंपिक 1964 गोरखपुर के लिए बहुत विशेष है.
बता दें, अब तक का यह एकमात्र ऐसा ओलंपिक था, जब स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम में गोरखपुर का खिलाड़ी भी शामिल था. उस खिलाड़ी का नाम ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अली सईद है.
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टोक्यो ओलंपिक 1964 में भारत से मात्र हॉकी टीम ने हिस्सा लिया था. उस समय भारतीय हॉकी टीम पर जीत का बहुत दबाव था. ऐसे इसलिए भी था कि इससे पहले रोम ओलंपिक 1960 का फाइनल मुकाबला भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया और यह मैच भारत हार गया था.
- साल 1964 में भी यही दोनों टीमें फाइनल में पहुंची थीं. भारत पाकिस्तान को हराकर पुरानी हार का बदला लेना चाहता था.
- जानकारी के मुताबिक, उस समय भारतीय हॉकी टीम के चयन में काफी सावधानी बरती गई थी. खिलाड़ियों को अभ्यास के बहुत मौके दिए गए.
- कैंप में पहले 80 खिलाड़ियों का चयन किया गया. उनमें से 40 खिलाड़ियों को अलग रखा गया. अंत में 18 खिलाड़ियों की टीम बनी थी. तब एस्ट्रोटर्फ नहीं था, घास के मैदान पर ही हॉकी खेला जाता था.
- भारत और पाकिस्तान का मुकाबला हमेशा से कड़ा रहा है. ऐसे में इस मैच के दौरान भी तनाव बहुत बढ़ गया था. खेल के मैदान में मैच के बीच कई बार अंपायरों को दखल देना पड़ा था. अंतत: मोहिंदर लाल के शानदार गोल की बदौलत भारत ने वह मैच 1-0 से जीत लिया था.
- पूर्व ओलंपियन अली सईद के मुताबिक, इस बार भारतीय टीम इतिहास को दोहराएगी. इस बार खिलाड़ियों को आखिरी क्षण तक पूरी क्षमता के साथ खेलना होगा. भारतीय टीम हर खेल में शानदार प्रदर्शन कर रही है.
- अली सईद टोक्यो ओलंपिक 1964 में हॉकी में स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य थे. वह आउट साइड लेफ्ट खिलाड़ी थे. वहीं प्रेम माया मास्को ओेलंपिक 1980 में महिला हॉकी टीम की सदस्य थीं. वह फॉरवर्ड की बेहतरीन खिलाड़ी थी.
- उस साल कोई पदक नहीं मिला था. वहीं प्रीति दुबे रियो डी जेनेरियो 2016 ओलंपिक में महिला हॉकी टीम से खेली थीं. वह फारवर्ड खिलाड़ी हैं. इस बार चयन नहीं किया गया है.
अब कोई याद भी नहीं करता
10 जुलाई 1942 को जन्मे सईद 75 साल पूरे कर चुके हैं और स्वास्थ्य के मोर्चे पर इस समय संघर्ष कर रहे हैं. पैर से चलने में उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. तिवारीपुर थाने के पास पुस्तैनी 'नवाब हाउस' में वह अपने दिन बिता रहे हैं. अली सईद बताते हैं कि बड़ी प्रतियोगिताओं में भी अब नहीं बुलाया जाता.
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अली सईद की उपलब्धियों पर एक नजर
अली सईद शुरुआती दिनों में स्टेट बैंक आफ इंडिया में अधिकारी रहे हैं. इसके बाद वह सउदी अरब के जेद्दाह में भारतीय दूतावास में सचिव वाणिच्य रहे. पिता एसएम अली सगीर को कैंसर हो जाने के बाद वह साल 1991 में गोरखपुर लौट आए.
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उन्होंने भारतीय हॉकी टीम के लिए करीब 35 टेस्ट मैच खेले. कई अंतरराष्ट्रीय दौरों पर भारतीय हॉकी टीम के साथ रहे. राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उत्तर प्रदेश, बंगाल व मुंबई के लिए खेले. अली सईद साल 1980 से 1983 तक भारतीय जूनियर हॉकी टीम के चयनकर्ता भी रहे हैं.