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बेहतर प्रदर्शन करने के इरादे से विश्व चैम्पियनशिप में उतरेंगे भारतीय मुक्केबाज

ओलंपिक कोटा दांव पर नहीं होने के बावजूद भारतीय मुक्केबाज सोमवार से शुरू हो रही पुरूषों की विश्व चैम्पियनशिप में उतरेंगे तो उनका इरादा पिछले 20 सत्र में महज चार पदक जीतने के अपने रिकॉर्ड को बेहतर करने का होगा.

amit panghalamit panghal
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Published : Sep 8, 2019, 3:19 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 9:31 PM IST

एकातेरिनबर्ग: भारत के लिए अभी तक सिर्फ विजेंदर सिंह (2009), विकास कृष्णन (2011), शिवा थापा (2015) और गौरव बिधूड़ी (2017) विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीत सके हैं. इन सभी को कांस्य पदक मिले और भारत की नजरें पदक का रंग बेहतर करने पर भी होगी.

भारतीय मुक्केबाजी के हाई परफार्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा ने मीडिया से कहा, "यह कठिन होगा. हमारा मकसद पिछले प्रदर्शन को बेहतर करना है. हम उसी के लिए मेहनत कर रहे हैं."

यह टूर्नामेंट ओलंपिक क्वालीफायर होना था जिसमें पारंपरिक दस भारवर्ग की बजाय संशोधित आठ (52 किलो, 57, 63,69,74,81,91 और प्लस 91 किलो भारवर्ग रखे गए हैं.

संतीश कुमार
संतीश कुमार

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) में लंबे समय से चली आ रही प्रशासनिक अनियमितताओं के कारण इससे ओलंपिक क्वालीफायर का दर्जा छीन लिया. इसके बावजूद इसमें 87 देशों के 450 मुक्केबाज हिस्सा लेंगे.

अमित पंघाल से होंगी उम्मीदें

भारत की उम्मीदें अमित पंघाल (52 किलो) पर टिकी होंगी जो एक साल से शानदार फार्म में है. उसने एशियाई चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है.वह 2017 में विश्व चैम्पियनशिप पदक के करीब पहुंचा लेकिन क्वार्टर फाइनल में हार गया. उसके अलावा कविंदर बिष्ट (57 किलो) भी दावेदारों में है जो 2017 क्वार्टर फाइनल में लहुलूहान हो गए थे.

इस साल एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने विश्व चैम्पियन कैरात येरालियेव को हराया. सतीश कुमार (प्लस 91 किलो) के पास भी विश्व चैम्पियनशिप का अनुभव है. एशियाई खेलों के पूर्व कांस्य पदक विजेता की नजरें टूर्नामेंट में पहले पदक पर होगी.

पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता मनीष कौशिक (63 किलो) भी पदक के दावेदार होंगे संजीत (91 किलो) और आशीष कुमार (75 किलो) से भी उम्मीदें होंगी

भारतीय टीम: अमित पंघाल (52 किलो), कविंदर बिष्ट (57 किलो), मनीष कौशिक (63 किलो) , दुर्योधन सिंह नेगी (69 किलो) , आशीष कुमार (75 किलो), बृजेश यादव (81 किलो), संजीत (91 किलो) और संतीश कुमार (प्लस 91 किलो).

एकातेरिनबर्ग: भारत के लिए अभी तक सिर्फ विजेंदर सिंह (2009), विकास कृष्णन (2011), शिवा थापा (2015) और गौरव बिधूड़ी (2017) विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीत सके हैं. इन सभी को कांस्य पदक मिले और भारत की नजरें पदक का रंग बेहतर करने पर भी होगी.

भारतीय मुक्केबाजी के हाई परफार्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा ने मीडिया से कहा, "यह कठिन होगा. हमारा मकसद पिछले प्रदर्शन को बेहतर करना है. हम उसी के लिए मेहनत कर रहे हैं."

यह टूर्नामेंट ओलंपिक क्वालीफायर होना था जिसमें पारंपरिक दस भारवर्ग की बजाय संशोधित आठ (52 किलो, 57, 63,69,74,81,91 और प्लस 91 किलो भारवर्ग रखे गए हैं.

संतीश कुमार
संतीश कुमार

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) में लंबे समय से चली आ रही प्रशासनिक अनियमितताओं के कारण इससे ओलंपिक क्वालीफायर का दर्जा छीन लिया. इसके बावजूद इसमें 87 देशों के 450 मुक्केबाज हिस्सा लेंगे.

अमित पंघाल से होंगी उम्मीदें

भारत की उम्मीदें अमित पंघाल (52 किलो) पर टिकी होंगी जो एक साल से शानदार फार्म में है. उसने एशियाई चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है.वह 2017 में विश्व चैम्पियनशिप पदक के करीब पहुंचा लेकिन क्वार्टर फाइनल में हार गया. उसके अलावा कविंदर बिष्ट (57 किलो) भी दावेदारों में है जो 2017 क्वार्टर फाइनल में लहुलूहान हो गए थे.

इस साल एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने विश्व चैम्पियन कैरात येरालियेव को हराया. सतीश कुमार (प्लस 91 किलो) के पास भी विश्व चैम्पियनशिप का अनुभव है. एशियाई खेलों के पूर्व कांस्य पदक विजेता की नजरें टूर्नामेंट में पहले पदक पर होगी.

पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता मनीष कौशिक (63 किलो) भी पदक के दावेदार होंगे संजीत (91 किलो) और आशीष कुमार (75 किलो) से भी उम्मीदें होंगी

भारतीय टीम: अमित पंघाल (52 किलो), कविंदर बिष्ट (57 किलो), मनीष कौशिक (63 किलो) , दुर्योधन सिंह नेगी (69 किलो) , आशीष कुमार (75 किलो), बृजेश यादव (81 किलो), संजीत (91 किलो) और संतीश कुमार (प्लस 91 किलो).

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एकातेरिनबर्ग: ओलंपिक कोटा दांव पर नहीं होने के बावजूद भारतीय मुक्केबाज सोमवार से शुरू हो रही पुरूषों की विश्व चैम्पियनशिप में उतरेंगे तो उनका इरादा पिछले 20 सत्र में महज चार पदक जीतने के अपने रिकॉर्ड को बेहतर करने का होगा.



भारत के लिए अभी तक सिर्फ विजेंदर सिंह (2009), विकास कृष्णन (2011), शिवा थापा (2015) और गौरव बिधूड़ी (2017) विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीत सके हैं. इन सभी को कांस्य पदक मिले और भारत की नजरें पदक का रंग बेहतर करने पर भी होगी.



भारतीय मुक्केबाजी के हाई परफार्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा ने मीडिया से कहा, "यह कठिन होगा. हमारा मकसद पिछले प्रदर्शन को बेहतर करना है. हम उसी के लिए मेहनत कर रहे हैं."

यह टूर्नामेंट ओलंपिक क्वालीफायर होना था जिसमें पारंपरिक दस भारवर्ग की बजाय संशोधित आठ (52 किलो, 57, 63,69,74,81,91 और प्लस 91 किलो भारवर्ग रखे गए हैं.



अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) में लंबे समय से चली आ रही प्रशासनिक अनियमितताओं के कारण इससे ओलंपिक क्वालीफायर का दर्जा छीन लिया. इसके बावजूद इसमें 87 देशों के 450 मुक्केबाज हिस्सा लेंगे.



अमित पंघाल से होंगी उम्मीदें



भारत की उम्मीदें अमित पंघाल (52 किलो) पर टिकी होंगी जो एक साल से शानदार फार्म में है. उसने एशियाई चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है.वह 2017 में विश्व चैम्पियनशिप पदक के करीब पहुंचा लेकिन क्वार्टर फाइनल में हार गया. उसके अलावा कविंदर बिष्ट (57 किलो) भी दावेदारों में है जो 2017 क्वार्टर फाइनल में लहुलूहान हो गए थे.



इस साल एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने विश्व चैम्पियन कैरात येरालियेव को हराया. सतीश कुमार (प्लस 91 किलो) के पास भी विश्व चैम्पियनशिप का अनुभव है. एशियाई खेलों के पूर्व कांस्य पदक विजेता की नजरें टूर्नामेंट में पहले पदक पर होगी.



पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता मनीष कौशिक (63 किलो) भी पदक के दावेदार होंगे संजीत (91 किलो) और आशीष कुमार (75 किलो) से भी उम्मीदें होंगी

भारतीय टीम: अमित पंघाल (52 किलो), कविंदर बिष्ट (57 किलो), मनीष कौशिक (63 किलो) , दुर्योधन सिंह नेगी (69 किलो) , आशीष कुमार (75 किलो), बृजेश यादव (81 किलो), संजीत (91 किलो) और संतीश कुमार (प्लस 91 किलो).


Conclusion:
Last Updated : Sep 29, 2019, 9:31 PM IST
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