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शीतकालीन ओलंपिक के साथ एक बार फिरी सभी की नजरें चीन पर - चीन बीजिंग ओलंपिक

बीजिंग ने इस समस्या का समाधान किया लेकिन इससे पहले यूरोप के चार शहर काफी विचार विमर्श के बाद मेजबानी की दौड़ से हट गए. इसका मुख्य कारण खर्चा और जनता से समर्थन नहीं मिलना था.

With the Winter Olympics, all eyes on China once again
With the Winter Olympics, all eyes on China once again
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Published : Feb 4, 2022, 4:38 PM IST

बीजिंग: कोविड-19 महामारी के खेलों पर असर डालने से पहले ही शुक्रवार को यहां शुरू हो रहे 2022 शीतकालीन ओलंपिक खेलों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था. शुरुआत में तो कई देश इन खेलों की मेजबानी करने से ही पीछे हट गए.

बीजिंग ने इस समस्या का समाधान किया लेकिन इससे पहले यूरोप के चार शहर काफी विचार विमर्श के बाद मेजबानी की दौड़ से हट गए. इसका मुख्य कारण खर्चा और जनता से समर्थन नहीं मिलना था.

अंतर में मुकाबला चीन और कजाखस्तान के बीच था और ICC ने चीन की राजधानी को इन खेलों की मेजबानी के लिए चुना.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के अध्यक्ष थॉमस बाक ने तब मतदान के बाद कहा था, "ये सुरक्षित विकल्प है."

मतदान के लगभग सात साल बाद दुनिया को अब पता चलेगा कि बाक सही थे या नहीं.

खेलों की शुरुआत शुक्रवार को बर्ड्स नेस्ट स्टेडियम में उद्घाटन समारोह के साथ होगी. इसके साथ ही नजरें एक बार फिर चीन पर होगी जिसका मानवाधिकार रिकॉर्ड काफी अच्छा नहीं है और कोविड के मामले में उसकी शून्य सहिष्णुता की नीति है.

ये भी पढ़ें- ओलंपिक के लिए PLA सैनिक को मशाल धारक चुनने को अमेरिकी सांसद ने 'शर्मनाक' कहा

अगर अगले ढाई हफ्ते में होने वाली स्कीइंग, स्केटिंग और स्लाइडिंग की स्पर्धाएं पिछले ओलंपिक की तरह होती हैं तो फिर अमेरिका की स्की खिलाड़ी हना सोर, स्नोबोर्ड खिलाड़ी क्लो किम, स्की खिलाड़ी मिकाइला शिफरिन और नॉर्वे के क्रॉस कंट्री चैंपियन योहानेस होसफ्लोट क्लेबो जैसे खिलाड़ियों को याद किया जाएगा.

शीतकालीन खेलों तक का सफर हालांकि बीजिंग के लिए आसान नहीं रहा. पश्चिम के लोकतांत्रिक देशों ने खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिए चीन पर लगातार दबाव बनाए रखा. अमेरिका की अगुआई में पश्चिम के कई लोकतांत्रिक देशों ने खेलों का राजनयिक बहिष्कार करने का फैसला किया है. अमेरिका और मानवाधिकार समूहों ने चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में लगभग 10 लाख उइगर मुस्लिमों की हत्या के आरोप में राजनयिक बहिष्कार का आह्वान किया.

कई देशों के प्रतिनिधि उद्घाटन समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे. जर्मनी की स्लाइडर नताली गेइसेनबर्गर उन खिलाड़ियों में शामिल थी जो इन खेलों में हिस्सा नहीं लेने पर विचार कर रही थी लेकिन बाद में उन्होंने लगभग 90 देशों के लगभग 2900 खिलाड़ियों साथ चीन आने का फैसला किया.

नताली का निष्कर्ष था: हम खिलाड़ियों का बीजिंग को ओलंपिक खेलों की मेजबानी सौंपने के फैसले से कोई लेना देना नहीं था-फैसला आईओसी ने किया और हम खिलाड़ियों को उपलब्धि के साथ पेश किया जाता है.

चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती खिलाड़ियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य होगा. देश को कोविड के प्रसार को रोकना होगा. सभी प्रतिभागियों के रोजना परीक्षण हो रहे हैं और किसी भी खिलाड़ी को होटल और आयोजन स्थलों से बाहर जाने की स्वीकृति नहीं है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने की उम्मीद है. इसे दो पक्षों के बीच इस मुद्दे के राजनीतिकरण के रूप में देखा जा रहा है. युक्रेन की सीमा पर तनाव बढ़ रहा है जिससे 2014 में पुतिन के देश में हुए ओलंपिक की याद ताजा हो गई जिस दौरान रूस ने हमला करके युक्रेन के क्षेत्र क्रीमिया को अपने कब्जे में ले लिया था.

जिन पर्वतों पर एक्शन खेलों और क्रॉस कंट्री स्कीइंग का आयोजन किया जाना है वे गोबी मरूस्थल से सिर्फ लगभग 150 मील की दूरी पर हैं जहां साल में औसत एक फुट से भी कम बर्फ पड़ती है. ओलंपिक स्थलों पर बर्फ का निर्माण करना कोई नई बात नहीं है और बीजिंग खेलों को पहले खेल माना जा रहा है जो पूरी तरह से कृत्रिम बर्फ पर निर्भर होंगे.

बीजिंग: कोविड-19 महामारी के खेलों पर असर डालने से पहले ही शुक्रवार को यहां शुरू हो रहे 2022 शीतकालीन ओलंपिक खेलों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था. शुरुआत में तो कई देश इन खेलों की मेजबानी करने से ही पीछे हट गए.

बीजिंग ने इस समस्या का समाधान किया लेकिन इससे पहले यूरोप के चार शहर काफी विचार विमर्श के बाद मेजबानी की दौड़ से हट गए. इसका मुख्य कारण खर्चा और जनता से समर्थन नहीं मिलना था.

अंतर में मुकाबला चीन और कजाखस्तान के बीच था और ICC ने चीन की राजधानी को इन खेलों की मेजबानी के लिए चुना.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के अध्यक्ष थॉमस बाक ने तब मतदान के बाद कहा था, "ये सुरक्षित विकल्प है."

मतदान के लगभग सात साल बाद दुनिया को अब पता चलेगा कि बाक सही थे या नहीं.

खेलों की शुरुआत शुक्रवार को बर्ड्स नेस्ट स्टेडियम में उद्घाटन समारोह के साथ होगी. इसके साथ ही नजरें एक बार फिर चीन पर होगी जिसका मानवाधिकार रिकॉर्ड काफी अच्छा नहीं है और कोविड के मामले में उसकी शून्य सहिष्णुता की नीति है.

ये भी पढ़ें- ओलंपिक के लिए PLA सैनिक को मशाल धारक चुनने को अमेरिकी सांसद ने 'शर्मनाक' कहा

अगर अगले ढाई हफ्ते में होने वाली स्कीइंग, स्केटिंग और स्लाइडिंग की स्पर्धाएं पिछले ओलंपिक की तरह होती हैं तो फिर अमेरिका की स्की खिलाड़ी हना सोर, स्नोबोर्ड खिलाड़ी क्लो किम, स्की खिलाड़ी मिकाइला शिफरिन और नॉर्वे के क्रॉस कंट्री चैंपियन योहानेस होसफ्लोट क्लेबो जैसे खिलाड़ियों को याद किया जाएगा.

शीतकालीन खेलों तक का सफर हालांकि बीजिंग के लिए आसान नहीं रहा. पश्चिम के लोकतांत्रिक देशों ने खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिए चीन पर लगातार दबाव बनाए रखा. अमेरिका की अगुआई में पश्चिम के कई लोकतांत्रिक देशों ने खेलों का राजनयिक बहिष्कार करने का फैसला किया है. अमेरिका और मानवाधिकार समूहों ने चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में लगभग 10 लाख उइगर मुस्लिमों की हत्या के आरोप में राजनयिक बहिष्कार का आह्वान किया.

कई देशों के प्रतिनिधि उद्घाटन समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे. जर्मनी की स्लाइडर नताली गेइसेनबर्गर उन खिलाड़ियों में शामिल थी जो इन खेलों में हिस्सा नहीं लेने पर विचार कर रही थी लेकिन बाद में उन्होंने लगभग 90 देशों के लगभग 2900 खिलाड़ियों साथ चीन आने का फैसला किया.

नताली का निष्कर्ष था: हम खिलाड़ियों का बीजिंग को ओलंपिक खेलों की मेजबानी सौंपने के फैसले से कोई लेना देना नहीं था-फैसला आईओसी ने किया और हम खिलाड़ियों को उपलब्धि के साथ पेश किया जाता है.

चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती खिलाड़ियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य होगा. देश को कोविड के प्रसार को रोकना होगा. सभी प्रतिभागियों के रोजना परीक्षण हो रहे हैं और किसी भी खिलाड़ी को होटल और आयोजन स्थलों से बाहर जाने की स्वीकृति नहीं है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने की उम्मीद है. इसे दो पक्षों के बीच इस मुद्दे के राजनीतिकरण के रूप में देखा जा रहा है. युक्रेन की सीमा पर तनाव बढ़ रहा है जिससे 2014 में पुतिन के देश में हुए ओलंपिक की याद ताजा हो गई जिस दौरान रूस ने हमला करके युक्रेन के क्षेत्र क्रीमिया को अपने कब्जे में ले लिया था.

जिन पर्वतों पर एक्शन खेलों और क्रॉस कंट्री स्कीइंग का आयोजन किया जाना है वे गोबी मरूस्थल से सिर्फ लगभग 150 मील की दूरी पर हैं जहां साल में औसत एक फुट से भी कम बर्फ पड़ती है. ओलंपिक स्थलों पर बर्फ का निर्माण करना कोई नई बात नहीं है और बीजिंग खेलों को पहले खेल माना जा रहा है जो पूरी तरह से कृत्रिम बर्फ पर निर्भर होंगे.

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