नई दिल्ली : विदित गुजराती के नेतृत्व वाली टीम को शतरंज ओलंपियाड में रूस के साथ संयुक्त विजेता घोषित किया गया था. भारतीय टीम में आनंद और कोनेरू हंपी जैसे खिलाड़ी भी थे. गुजराती के लिए ये महत्वपूर्ण पल था क्योंकि वो ऐसे खिलाड़ियों की अगुवाई रह रहे थे जिन्हें देखकर वह बड़े हुए.
इस 25 वर्षीय खिलाड़ी ने टेबल टेनिस खिलाड़ी मुदित दानी के कार्यक्रम में कहा, ''ये शानदार अहसास था कि आप उन खिलाड़ियों के साथ खेल रहे थे जिनको देखकर आप बड़े हुए. मैं भारत के शीर्ष पांच खिलाड़ियों में था लेकिन मुझे कभी उनके (आनंद) खिलाफ खेलने का मौका नहीं मिला. इसलिए मुझे लगता था कि मैं उस अनुभव से वंचित हूं.''
वर्ष 2013 में ग्रैंडमास्टर बनने वाले गुजराती ने कहा, ''वो 2018 था जब मुझे पहली बार आनंद के खिलाफ खेलने का मौका मिला. ये अलग तरह का अहसास था क्योंकि तब आपको उनके मजबूत और कमजोर पक्षों का पता चलता है. वो वास्तव में बहुत अच्छी याद थी जब मैंने 2019 में आखिरकार उनके खिलाफ जीत दर्ज की थी.''
कोविड-19 के कारण जब अन्य खेल प्रतियोगिताएं ठप्प पड़ी थी तब शतरंज की ऑनलाइन चैंपियनशिप का आयोजन होता रहा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण शतरंज ओलंपियाड रहा. गुजराती ने इसे देश में शतरंज के लिये नये युग की शुरुआत करार दिया.
उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व में ऑनलाइन शतरंज को विशेष महत्व नहीं दिया जाता था. भारत में कोई भी ऑनलाइन शतरंज नहीं खेलता था. धीरे धीरे लोगों को अहसास हुआ कि ये तो अच्छा है और यह दिन प्रतिदिन प्रगति करने लगा. ओलंपियाड ने दिखाया कि शतरंज वास्तव में दर्शनीय खेल बन सकता है.''