टोक्यो : जापान अपनी आधुनिकता और रचानत्मकता के लिए काफी प्रसिद्ध है. अगले साल जापान में ही खेलों के महाकुम्भ यानि ओलम्पिक और पैरालम्पिक खेलों का आयोजन होना है. इन खेलों में पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है. ये पदक हर खिलाड़ी अपने देश में गर्व से धारण करता है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ होगा कि पदक किसी भी देश का खिलाड़ी जीते उसमें जापान के वासियों की छाप रहेगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जापान ने ओलम्पिक और पैरालम्पिक खेलों के लिए जो पदक तैयार किए हैं वे देश में चलाए गए एक विशेष अभियान का हिस्सा हैं. इस अभियान में जापान के 90 प्रतिशत शहर, गांव और कस्बों का योगदान रहा है.
जापान ने एक अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2019 तक एक विशेष अभियान चलाया था जिसके तहत जापान के लोगों ने अपने घर से छोटे-छोटे इलेक्ट्रोनिक उपकरण जैसे कि मोबाइल फोन आदि दान में दिए थे. ओलम्पिक आयोजन समिति ने उन इलेक्ट्रोनिक उपकरणों को रिसाइकल कर खेलों के पदक तैयार किए हैं. इस मुहीम को 'टोक्यो 2020 मेडल प्रोजेक्ट' नाम दिया गया था.
टोक्यो ओलंपिक में दिए जाने वाले तकरीबन 5000 पदकों को दान में दिए गए इलेक्ट्रोनिक उपकरणों की सहायता से बनाया गया है. इन उपकरणों को जब तोड़ा गया और उनमें से निकली धातुओं को पिघलाया गया तो इस प्रक्रिया में 32 किलोग्राम सोना, 3,500 किलोग्राम चांदी और 2,300 किलोग्राम कांसा निकाला, जिससे पदक तैयार हुए हैं.
इस पर आयोजकों ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि हमारा छोटे इलेक्ट्रोनिक उपकरणों को रिसाइकल करने और पर्यावरण को बचाने का प्रयास टोक्यो ओलम्पिक-2020 का विरासत बनेगा.'
जापान ने इन पदक के डिजाइन के लिए भी एक प्रतियोगिता रखी थी जिसमें पूरे देश से तमाम कलाकारों ने तकरीबन 400 डिजाइन भेजे और अंतत: एक डिजाइन को चुना गया. इस प्रतियोगिता की विजेता जुनिची कावानिशी बनीं.