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टोक्यो ओलंपिक 2020: भारत के टॉप 5 मैडल कंटेंडर - अमित पंघल

टोक्यो ओलंपिक के शुरू होने में कुछ 2 महीने का समय बाकि रह गया है वहीं इसे खेलों के विश्व का सबसे बड़ा आयोजन कहना गलत नहीं होगा. ऐसे में ईटीवी भारत ने चुने हैं वो 5 भारतीय खिलाड़ी जिनसे मेडल लाने की देश को होगी सबसे ज्यादा उम्मीद.

Tokyo Olympics: India's five top medal contenders
Tokyo Olympics: India's five top medal contenders
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Published : May 26, 2021, 7:08 PM IST

हैदराबाद: पिछले साल सीनियर एथलीटों द्वारा कई प्रकार के प्रतियोगिताओं से गुजरने के बाद अलग-अलग एसोसिएशन द्वारा टोक्यो ओलंपिक का टिकट कई एथलीटों को सौंपा गया. साथ ही उन सभी खिलाड़ियों के कंधों पर देश के लिए मेडल लाने की जिम्मेदारी भी दी गई.

अब उस खेलों के महासंगम उर्फ टोक्यो ओंलपिक को शुरू होने में लगभग 2 महीने बाकि हैं ऐसे में भारत के लिए मेडल लाने को लेकर 5 टॉप कंटेंडर हैं जिनसे देश को पूरी उम्मीद होगी कि वो निराश नहीं करेंगे.

इस लिस्ट में सबसे पहले नाम आता है:

पीवी सिंधु -- बैडमिंटन

बड़े मैच की बड़ी खिलाड़ी! 2019 में विश्व चैंपियनशिप में देश को गौरवान्वित करने के बाद, सिंधु आखिरकार रियो ओलंपिक में उपविजेता का टैग अपने ऊपर से हटाना चाहेंगी और आखिरकार सोने का स्वाद चखना चाहेंगी.

वर्तमान में विश्व रैंकिंग में सातवें नंबर पर स्थित, 25 वर्षीय बैडमिंटन खिलाड़ी जब से बैडमिंटन सर्किट का हिस्सा बनी हैं तब से एक सनसनी से कम नहीं है.

उनकी उपलब्धियों की विशाल सूची में शामिल हैं - 3 विश्व चैंपियनशिप फाइनल, एशियाई खेलों में व्यक्तिगत रजत और टीम कांस्य, राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक इत्यादि.

सिंधु इस एलीट टूर्नामेंट में देश के लिए न सिर्फ ओलंपिक मेडल बल्कि एक गोल्ड लाने के लिए बड़ी खिलाड़ी साबित हो सकती हैं.

अमित पंघल -- बॉक्सिंग

वो विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज हैं. पंघल ने 2018 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देते हुए एशियाई खेलों के फाइनल में रियो ओलंपिक चैंपियन हसनबॉय दुस्मातोव को हराया था. इसके अलावा 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और 2018 एशियाई खेलों में एक स्वर्ण जीतना शामिल हैं. केवल तीन वर्षों की अवधि में, पंघल ने ये सब कर दिखाया है.

वर्तमान में अपने भार वर्ग में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी के स्थान पर मौजूद पंघल ने 49 किग्रा से 52 किग्रा भार वर्ग (फ्लाईवेट डिवीजन) में बदलना पड़ा क्योंकि उनका भारवर्ग ओलंपिक से हटा दिया गया था. इन सबके बावजूद वो भारत के लिए एक बड़ी मेडल उम्मीद है.

विनेश फोगाट -- रेसलिंग

2016 के रियो ओलंपिक में विनेश एक असहाय खिलाड़ी की तरह मैट पर पड़ी दर्द से कराह रहीं थीं. चीन की सुन यानान के खिलाफ 48 किग्रा के क्वार्टर फाइनल मुकाबले के दौरान घुटने में चोट लगने के कारण उन्हें बीच मैच से स्ट्रेचर से वापस आना पड़ा.

उस दौरान भारत ने न केवल अपने टैली में एक और पदक जोड़ने का मौका गंवा दिया, बल्कि कुश्ती बिरादरी की सबसे प्रतिभाशाली प्रतिभाओं में से एक को खोने का खतरा भी बन गया था.

ठीक तीन साल बाद, विनेश फोगाट कजाकिस्तान के नूर-सुल्तान में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद ओलंपिक टिकट अर्जित करने वाली पहली महिला पहलवान बनीं. इससे ठीक एक साल पहले उन्होंने एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था.

53 किग्रा वर्ग में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी को अब तलाश होगी अपने शानदार करियर में एक और गौरव जोड़ने की.

एमसी मैरी कॉम -- बॉक्सिंग

खेल के प्रति उनकी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प सुनिश्चित करता है कि उन्हें कोई रोक नहीं सकता. वो छह बार की विश्व चैंपियन और लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता हैं. कॉम अभी 38 साल की हैं, लेकिन अभी तक उनकी रफ्तार धीमी नहीं हुई है. उन्होंने 2019 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया है. वहीं इस बार टोक्यो ओंलपिक के लिए भारत की बड़ी उम्मीद की तौर पर देखीं जा रही हैं.

एलावेनिल वलारिवन -- शूटिंग

आने वाले युवा सुपरस्टार वलारिवन के लगातार प्रदर्शन ने उन्हें टोक्यो ओलंपिक के लिए उड़ान भरने का टिकट दिलाया था. पदक के लिए आश्वस्त होने की भावना इस तथ्य से ली जा सकती है कि उन्हें लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता गगन नारंग द्वारा सलाह दी जा रही है.

हैदराबाद: पिछले साल सीनियर एथलीटों द्वारा कई प्रकार के प्रतियोगिताओं से गुजरने के बाद अलग-अलग एसोसिएशन द्वारा टोक्यो ओलंपिक का टिकट कई एथलीटों को सौंपा गया. साथ ही उन सभी खिलाड़ियों के कंधों पर देश के लिए मेडल लाने की जिम्मेदारी भी दी गई.

अब उस खेलों के महासंगम उर्फ टोक्यो ओंलपिक को शुरू होने में लगभग 2 महीने बाकि हैं ऐसे में भारत के लिए मेडल लाने को लेकर 5 टॉप कंटेंडर हैं जिनसे देश को पूरी उम्मीद होगी कि वो निराश नहीं करेंगे.

इस लिस्ट में सबसे पहले नाम आता है:

पीवी सिंधु -- बैडमिंटन

बड़े मैच की बड़ी खिलाड़ी! 2019 में विश्व चैंपियनशिप में देश को गौरवान्वित करने के बाद, सिंधु आखिरकार रियो ओलंपिक में उपविजेता का टैग अपने ऊपर से हटाना चाहेंगी और आखिरकार सोने का स्वाद चखना चाहेंगी.

वर्तमान में विश्व रैंकिंग में सातवें नंबर पर स्थित, 25 वर्षीय बैडमिंटन खिलाड़ी जब से बैडमिंटन सर्किट का हिस्सा बनी हैं तब से एक सनसनी से कम नहीं है.

उनकी उपलब्धियों की विशाल सूची में शामिल हैं - 3 विश्व चैंपियनशिप फाइनल, एशियाई खेलों में व्यक्तिगत रजत और टीम कांस्य, राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक इत्यादि.

सिंधु इस एलीट टूर्नामेंट में देश के लिए न सिर्फ ओलंपिक मेडल बल्कि एक गोल्ड लाने के लिए बड़ी खिलाड़ी साबित हो सकती हैं.

अमित पंघल -- बॉक्सिंग

वो विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज हैं. पंघल ने 2018 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देते हुए एशियाई खेलों के फाइनल में रियो ओलंपिक चैंपियन हसनबॉय दुस्मातोव को हराया था. इसके अलावा 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और 2018 एशियाई खेलों में एक स्वर्ण जीतना शामिल हैं. केवल तीन वर्षों की अवधि में, पंघल ने ये सब कर दिखाया है.

वर्तमान में अपने भार वर्ग में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी के स्थान पर मौजूद पंघल ने 49 किग्रा से 52 किग्रा भार वर्ग (फ्लाईवेट डिवीजन) में बदलना पड़ा क्योंकि उनका भारवर्ग ओलंपिक से हटा दिया गया था. इन सबके बावजूद वो भारत के लिए एक बड़ी मेडल उम्मीद है.

विनेश फोगाट -- रेसलिंग

2016 के रियो ओलंपिक में विनेश एक असहाय खिलाड़ी की तरह मैट पर पड़ी दर्द से कराह रहीं थीं. चीन की सुन यानान के खिलाफ 48 किग्रा के क्वार्टर फाइनल मुकाबले के दौरान घुटने में चोट लगने के कारण उन्हें बीच मैच से स्ट्रेचर से वापस आना पड़ा.

उस दौरान भारत ने न केवल अपने टैली में एक और पदक जोड़ने का मौका गंवा दिया, बल्कि कुश्ती बिरादरी की सबसे प्रतिभाशाली प्रतिभाओं में से एक को खोने का खतरा भी बन गया था.

ठीक तीन साल बाद, विनेश फोगाट कजाकिस्तान के नूर-सुल्तान में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद ओलंपिक टिकट अर्जित करने वाली पहली महिला पहलवान बनीं. इससे ठीक एक साल पहले उन्होंने एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था.

53 किग्रा वर्ग में दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी को अब तलाश होगी अपने शानदार करियर में एक और गौरव जोड़ने की.

एमसी मैरी कॉम -- बॉक्सिंग

खेल के प्रति उनकी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प सुनिश्चित करता है कि उन्हें कोई रोक नहीं सकता. वो छह बार की विश्व चैंपियन और लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता हैं. कॉम अभी 38 साल की हैं, लेकिन अभी तक उनकी रफ्तार धीमी नहीं हुई है. उन्होंने 2019 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया है. वहीं इस बार टोक्यो ओंलपिक के लिए भारत की बड़ी उम्मीद की तौर पर देखीं जा रही हैं.

एलावेनिल वलारिवन -- शूटिंग

आने वाले युवा सुपरस्टार वलारिवन के लगातार प्रदर्शन ने उन्हें टोक्यो ओलंपिक के लिए उड़ान भरने का टिकट दिलाया था. पदक के लिए आश्वस्त होने की भावना इस तथ्य से ली जा सकती है कि उन्हें लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता गगन नारंग द्वारा सलाह दी जा रही है.

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