दुबई: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा और उनके पति तथा पाकिस्तानी क्रिकेट स्टार शोएब मलिक को 10 साल का बहुप्रतीक्षित यूएई गोल्डन वीजा प्रदान किया है. हैदराबाद की रहने वाली 34 साल की मिर्जा और पाकिस्तान के सियालकोट के रहने वाले 39 साल के मलिक ने साल 2010 में शादी की थी. पिछले कई साल से वे दोनों दुबई में रह रहे हैं. इस बहुचर्चित स्पोर्ट्स कपल का एक तीन साल का बेटा है, जिसका नाम इजहान है.
यूएई सरकार की ओर से साल 2019 में दीर्घकालिक निवास वीजा के लिए एक नई प्रणाली के रूप में गोल्डन वीजा की स्थापना की गई थी.
इसने विदेशियों को राष्ट्रीय प्रायोजक की आवश्यकता के बिना देश में रहने, काम करने, अध्ययन करने और संयुक्त अरब अमीरात की मुख्य भूमि पर अपने व्यवसाय के 100 प्रतिशत स्वामित्व के साथ सक्षम बनाया. ये वीजा पांच या 10 साल की अवधि के लिए होते हैं और स्वचालित रूप से नवीनीकृत हो जाते हैं.
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रेजिडेंस परमिट संगठन का यूएई कैबिनेट संकल्प संख्या 56 निवेशकों (न्यूनतम 10 मिलियन एईडी) उद्यमियों और विज्ञान और ज्ञान के क्षेत्र में पेशेवर और विशिष्ट प्रतिभाओं को इसके लिए आवेदन करने की अनुमति देता है.
गोल्डन वीजा के दायरे को हाल ही में नेशनल प्रोग्राम फॉर कोडर्स के तहत उज्जवल छात्रों और 1 लाख कोडर्स के लिए शामिल किया गया था.
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गुरुवार को, मिर्जा और मलिक ने एक संक्षिप्त प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें कहा गया था, सानिया और शोएब दोनों अपने बेटे के साथ संयुक्त अरब अमीरात में समय बिताने और देश का भ्रमण ने के लिए उत्साहित हैं. वे दुबई खेल उद्योग में अपना उद्यम शुरू करने के इच्छुक हैं.
जिन अन्य खिलाड़ियों को गोल्डन वीजा दिया गया है, उनमें फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लुइस फिगो और टेनिस की दुनिया के नंबर- 1 खिलाड़ी नोवाक जोकोविच शामिल हैं. मनोरंजन उद्योग से, बॉलीवुड सितारों शाहरुख खान और संजय दत्त को यह वीजा मिला है.
दुबई में 10 साल का रेजीडेंसी परमिट है गोल्डन वीजा
गोल्डन वीजा दुबई में 10 साल का रेजिडेंसी परमिट है. पहली बार साल 2019 में दुबई के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शासक हिज हाइनेस शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम द्वारा निवेशकों और व्यापारियों के लिए की गई थी. साल 2020 में इसमें विशेष डिग्री, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और प्रोफेशन के लोगों के लिए इसके इस्तेमाल की इजाजत दी गई थी.
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क्या होता है गोल्डन वीजा
निवेश को बढ़ावा देने के लिए कुछ खास देश गोल्डन वीजा जारी करते हैं. रेंजिडेंस बाई इंवेस्टमेंट कार्यक्रम के जरिए आवेदक संबंधित देश से गोल्डन वीजा की गुहार लगा सकता है. वो देश आवेदक के दस्तावेजों की जांच करता है और पूर्ण रूप से आश्वस्त होने के बाद गोल्डन वीजा जारी किया जाता है.