नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां इंदिरा गांधी स्टेडियम में 44वें शतरंज ओलंपियाड के लिए ऐतिहासिक मशाल रिले का शुभारंभ किया. एफआईडीई के अध्यक्ष अर्कडी ड्वोरकोविच ने प्रधानमंत्री को मशाल सौंपी, जिन्होंने इसे ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद को बाद में थमा दिए. इस मशाल को चेन्नई के पास महाबलीपुरम में अंतिम समापन से पहले 40 दिनों की अवधि में 75 शहरों में ले जाया जाएगा. हर स्थान पर प्रदेश के शतरंज महारथियों को मशाल मिलेगी.
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर और निसिथ प्रमाणिक, शतरंज के खिलाड़ी और उत्साही, राजदूत, शतरंज अधिकारी उपस्थित थे. ड्वोरकोविच ने मशाल रिले की नई परंपरा की शुरुआत में पहल करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया, जो दुनिया भर में इस खेल को लोकप्रिय और प्रेरित करेगा.
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A historic moment for all chess lovers !
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PM Sh @narendramodi plays the ceremonial ♟️move with Indian Grandmaster @humpy_koneru at the launch event of 1st ever Torch Relay for Chess Olympiad !#India4ChessOlympiad pic.twitter.com/p66HmZUsHp
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उन्होंने कहा, एफआईडीई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति और सम्मान देने के लिए आभार जताया है. उन्होंने कहा 2010 में एक स्थान पर शतरंज खेलने वाले प्रधानमंत्री के भाषण को याद किया और सफलता की ओर ले जाने में शिक्षा और खेल के संयोजन की भूमिका की सराहना की.
एफआईडीई अध्यक्ष ने आशा व्यक्त की है कि शतरंज पूरे भारत और दुनिया भर के सभी स्कूलों का हिस्सा बन जाएगा. उन्होंने कहा, भारत आज सबसे तेजी से बढ़ने वाला शतरंज देश है और आपके पास इस पर गर्व करने के लिए सभी आधार हैं. हम आपके नेतृत्व के लिए आभारी हैं कि आप शतरंज के हित में जो काम कर रहे हैं, वह शानदार हैं.
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सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, आज शतरंज ओलंपियाड खेलों के लिए पहला मशाल रिले भारत से शुरू हो रहा है. पहली बार इस वर्ष भारत भी शतरंज ओलंपियाड खेलों की मेजबानी करने जा रहा है. हमें गर्व है कि अपने जन्मस्थान से शुरू होकर और पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ रहा है.
पीएम मोदी ने कहा, सदियों पहले इस खेल की मशाल भारत से पूरी दुनिया में फैली थी. आज शतरंज की पहली ओलंपियाड मशाल भी भारत से निकल रही है. आज जब भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है, अमृत महोत्सव यह शतरंज ओलंपियाड मशाल देश के 75 शहरों में भी जाएगी.
उन्होंने आगे कहा, एफआईडीई ने फैसला किया है कि प्रत्येक शतरंज ओलंपियाड खेल के लिए मशाल रिले भारत से ही शुरू होगा. यह सम्मान न केवल भारत का सम्मान है, बल्कि शतरंज की इस गौरवशाली विरासत का सम्मान भी है. मैं इसके लिए एफआईडीई और इसके सभी सदस्यों को बधाई देता हूं.
प्रधानमंत्री ने शतरंज में भारत की विरासत पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा, हमारे पूर्वजों ने विश्लेषणात्मक और समस्या सुलझाने वाले दिमाग के लिए शतरंज जैसे खेलों का आविष्कार किया था. शतरंज, भारत के माध्यम से, दुनिया के कई देशों में पहुंचा और बहुत लोकप्रिय हो गया.
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षो में भारत शतरंज में अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार कर रहा है. इस साल शतरंज ओलंपियाड में भारत का दल अब तक का सबसे बड़ा दल है. मोदी ने उम्मीद जताई कि भारत इस साल पदकों का नया कीर्तिमान बनाएगा. उन्होंने कई सबक के बारे में बात की जो शतरंज हमें हमारे जीवन में देता है.
जीवन में हर किसी के लिए सही समर्थन की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, जैसे शतरंज के हर मोहरे की अपनी अनूठी ताकत और एक अनूठी क्षमता होती है. यदि आप एक मोहरे के साथ सही कदम उठाते हैं और इसकी शक्ति का उपयोग करते हैं. शतरंज की बिसात की यह विशेषता हमें जीवन का बड़ा संदेश देती है. यदि सही समर्थन और सही वातावरण दिया जाए, तो सबसे कमजोर के लिए भी कोई लक्ष्य असंभव नहीं है.
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शतरंज के एक और सबक पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, शतरंज के खेल की एक और बड़ी विशेषता दूरदर्शिता है. शतरंज हमें बताता है कि वास्तविक सफलता अल्पकालिक सफलता के बजाय दूरदर्शिता से आती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पाठ भारत की खेल नीति और लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) जैसी योजनाओं को सूचित करता है, जिसके परिणाम सामने आने लगे हैं.
टोक्यो ओलंपिक, पैरालंपिक, थॉमस कप और बॉक्सिंग में भारत की हालिया सफलताओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. देश के युवाओं में साहस, समर्पण और ताकत की कोई कमी नहीं है. इससे पहले ये हमारे युवाओं को सही मंच का इंतजार करना पड़ा. आज 'खेलो इंडिया' अभियान के तहत देश इन प्रतिभाओं को खोज रहा है और आकार दे रहा है.
खेलो इंडिया के तहत देश के दूर-दराज के क्षेत्रों से खेल प्रतिभाएं उभर रही हैं और देश के विभिन्न कस्बों और जिलों में आधुनिक खेल का बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत खेलों को अन्य शैक्षणिक विषयों के रूप में माना गया है. उन्होंने कहा कि फिजियो, स्पोर्ट्स साइंस जैसे खेलों के कई नए आयाम सामने आ रहे हैं और देश में कई खेल विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने खिलाड़ी पर उम्मीदों के दबाव को स्वीकार किया और उन्हें जीरो फीसदी टेंशन या दबाव के साथ अपना शत-प्रतिशत देने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि देश आपकी मेहनत और समर्पण को देखता है. जितनी जीत खेल का हिस्सा है, उतनी ही फिर से जीतने की तैयारी भी खेल का हिस्सा है.
शतरंज में एक गलत चाल की कीमत का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि खेल में शांत रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने सुझाव दिया कि योग और ध्यान इसमें बहुत मदद कर सकते हैं. उन्होंने योग को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने और आगामी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में उत्साहपूर्वक भाग लेने की अपील की.
44वां शतरंज ओलंपियाड 28 जुलाई से 10 अगस्त तक चेन्नई में आयोजित किया जाएगा. 1927 से आयोजित इस प्रतियोगिता की मेजबानी पहली बार भारत में और 30 साल बाद एशिया में हो रही है. 189 देशों के भाग लेने के साथ, यह किसी भी शतरंज ओलंपियाड में सबसे बड़ी भागीदारी होगी.