उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में तीसरी राष्ट्रीय शरीरिक दिव्यांग टी20 क्रिकेट चैंपियनशिप 2023 का आयोजन चल रहा है. इसमें 24 राज्यों के 400 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. यहां दिव्यांग खिलाड़ियों को चौके-छक्के मारते देखा जा सकता है. ये माहौल देख दर्शक और खिलाड़ी दंग रह जाते हैं. हालांकि इन दिव्यांग खिलाड़ियों को यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. इनकी कहानी ऐसी है जिसे सुनकर लोग दंग रह जाते हैं.
जुनून से भरी दिव्यांग खिलाड़ियों की कहानी: उदयपुर में राजस्थान रॉयल्स, डिफरेंटली एबल्ड क्रिकेट काउंसिल ऑफ इंडिया और नारायण सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस क्रिकेट प्रतियोगिता के कुछ दिव्यांग खिलाड़ियों के बचपन से ही एक हाथ नहीं है, तो किसी के एक पैर नहीं है. वहीं कई खिलाड़ियों की जिंदगी तो हादसे ने बदल कर रख दी. इस दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में भाग लेने आए चार राज्यों के ऐसे खिलाड़ियों की कहानी लाया है जिसे आप सुनकर उनके हौसलों की तारीफ करेंगे.
दिल्ली के राजीव का चारा काटने की मशीन से कट गया था एक हाथ: दिल्ली के रहने वाले राजीव ने बताया कि उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था, लेकिन 7 साल की उम्र में घर पर चारा काटने वाली मशीन से उनका एक हाथ कट गया. इसके बाद वह कई सालों तक परेशान रहे. जब उन्हें दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता के बारे में पता चला, तो क्रिकेट खेलना शुरू किया. हालांकि इस दौरान कुछ लोगों ने डिमोटिवेट करने की कोशिश की, लेकिन बुलंद इरादे और हौसलों के बल पर उन्होंने नई लकीर खींचने का काम किया. अब उनसे जलने वाले लोग उनकी तारीफों के कसीदे पढ़ते हैं. आज उनकी दिल्ली दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में विशेष तौर की पहचान है. राजीव की किराना की दुकान भी है.
हैदराबाद के रियाजुद्दीन को लगा था करंट, चला गया एक हाथ: दिव्यांग प्रतियोगिता में हैदराबाद की टीम से भाग लेने आए रियाजुद्दीन ने बताया कि बचपन से ही वह क्रिकेट खेल रहे हैं. लेकिन इस दौरान बिजली का करंट लगने से उनका एक हाथ चला गया. लेकिन उन्होंने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा. माता-पिता का पूरा सहयोग रहा और आज दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में वह बेहतरीन खिलाड़ी बनकर उभरे हैं. कोरोना के दौरान रियाजुद्दीन के माता-पिता की मौत हो गई. रियाजुद्दीन ने बताया कि उन्होंने क्रिकेट में दिन-रात मेहनत की और आज वह हैदराबाद की टीम के लिए खेल रहे हैं. जब रियाजुद्दीन मैदान में एक हाथ से बोलिंग करते हैं, तो बड़े से बड़ा खिलाड़ी भी उनकी बोलिंग को देख दंग रह जाता है. क्रिकेट के साथ वह होटल व्यवसाय से भी जुड़े हुए हैं.
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पंजाब के अवतार एक हाथ से लगाते हैं चौके-छक्के: पंजाब टीम के खिलाड़ी अवतार ने बताया कि 7 साल की उम्र में एक मशीन की सफाई के दौरान उनका बांया हाथ कट गया था. लेकिन क्रिकेट खेलने का जुनून नहीं उतरा. एक हाथ से अवतार इस कदर बैटिंग करते हैं कि चौके और छक्कों की बौछार हो जाती है. संघर्ष के दौरान उन्हें परिवार का भरपूर सहयोग मिला. उन्होंने कहा कि क्रिकेट मेरे लिए खेल नहीं बल्कि धर्म के रूप में है. अवतार ने बताया कि वह पंजाब सरकार में गवर्नमेंट नौकरी भी कर रहे हैं.
राजस्थान के जसवंत की कहानी: जसवंत सिंह ने कहा कि उन्हें बचपन से ही एक पैर से पैरालाइज है. लेकिन क्रिकेट के खेल में वह ऑलराउंडर हैं. बचपन से क्रिकेट खेलने का जुनून था. एक पैर नहीं होने के बावजूद भी वे दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में इस कदर बोलिंग करते हैं कि सामने वाला खिलाड़ी ज्यादा समय तक मैदान पर टिक नहीं पाता है. इन खिलाड़ियों ने बताया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के मैचों में भी विपक्षियों के छक्के छुड़ा दिए थे.
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11 दिनों तक चलेगी प्रतियोगिता: नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि 11 दिनों तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में कुल 63 मुकाबले खेले जाएंगे. इसमें दो सेमीफाइनल और एक फाइनल का मुकाबला भी शामिल है. प्रतियोगिता का हर मैच 20 ओवर का होगा और इसमें आईसीसी की ओर से बनाए गए नियमों की पालना की जाएगी. प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि इस प्रतियोगिता में 24 राज्यों के 400 दिव्यांग क्रिकेटर्स और 100 से अधिक खेल अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं. मैचों का आयोजन शहर के 4 ग्राउंडों में हो रहा है.