नई दिल्ली : रूस में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की महिला मुक्केबाज लवलिना बोरगोहेन का सेमीफाइनल मुकाबला निराशा से भरा था क्योंकि उनके और प्रशिक्षकों के मुताबिक वो मुकाबला जीती हुई थीं, लेकिन जजों ने उनके खिलाफ फैसला दिया. भारत ने इस पर अपना विरोध भी जताया था लेकिन उनकी अपील को नियमों का हवाला देकर खारिज कर दिया गया था.
लवलिना उस फैसले से निरााश तो थीं लेकिन अब वह उसे याद नहीं करना चाहतीं क्योंकि अब उनका ध्यान आने वाले ओलम्पिक क्वालीफायर टूर्नामेंट्स में बेहतर करने और अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों का टिकट हासिल करने पर है.
भारत लौटने के बाद लवलिना ने कहा, "मेरी यह दूसरी विश्व चैम्पियनशिप थी. मैं कांस्य पदक से खुश हूं. सेमीफाइनल में मुकाबला काफी करीबी था. मेरे हिसाब से मैं जीती हुई थी. सभी ने कहा कि मैं जीती हुई थी, लेकिन जजों का फैसला कुछ और था. अब जो हुआ सो हुआ. अब क्वॉलीफिकेशन टूर्नामेंट की तैयारी करनी है. अपनी कमियों पर काम करना है."
लवलिना को 69 किलोग्राम भारवर्ग के सेमीफाइनल में चीन की यांग लियू के खिलाफ करीबी मुकाबले में 2-3 से हार झेलनी पड़ी थी. इसके बाद भारत ने येलो कार्ड प्रोटेस्ट किया था, लेकिन टैक्निकल ऑब्र्जवर ने भारत की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि जजों के फैसलों में निरंतरता है, ऐसे में अपील पर सुनवाई नहीं हो सकती.