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ग्रेटर नोएडा में किसानों का हल्ला बोल प्रदर्शन, हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग

ग्रेटर नोएडा में सोमवार को किसानों ने कलेक्ट्रेट पर जोरदार हल्ला बोला. इस दौरान सैकड़ों की ताकत में किसान इकट्ठा होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे.

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ग्रेटर नोएडा में किसानों का हल्ला बोल प्रदर्शन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 14, 2024, 5:24 PM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: सोमवार को ग्रेटर नोएडा के किसानों ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत कलेक्ट्रेट पर एक विशाल हल्ला बोल प्रदर्शन किया. इसमें सैकड़ों किसान एकत्रित हुए और अपनी मांगों के लेकर ज्ञापन सौंपा. प्रदर्शन के दौरान किसानों और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई. अंततः, प्रदर्शन समाप्त होने के बाद किसान कलेक्ट्रेट परिसर में ही धरने पर बैठ गए.

किसानों का यह प्रदर्शन भूमि अधिकरण से प्रभावित किसानों की समस्याओं के समाधान और उनकी मांगों को लेकर था. किसानों ने कहा कि इस दिशा में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया था, जिसने अपनी सिफारिशें शासन में 31 अगस्त को जमा की थीं. किसानों का आरोप है कि इन सिफारिशों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक इन सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, उनका आंदोलन जारी रहेगा.

प्रदर्शन में विभिन्न किसान संगठनों ने भाग लिया, जिसमें किसान सभा, किसान परिषद, जय जवान जय किसान मोर्चा, किसान संघर्ष समिति ऐछर और संयुक्त किसान मोर्चा शामिल थे. किसानों ने अपनी मांगों को लेकर हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को सार्वजनिक करने, आबादियों की बैकलीज करने, और भूमिहीनों की दुकानों में आरक्षण के प्रावधान को लागू करने की मांग की.

ग्रेटर नोएडा में सोमवार को किसानों ने कलेक्ट्रेट पर जोरदार हल्ला बोला (ETV Bharat)

यह भी पढ़ें- 14 अक्टूबर को ग्रेटर नोएडा में किसानों का बड़ा आंदोलन, ये है मांग

किसान नेता बृजेश भाटी ने बताया कि कुछ समय पूर्व किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था. इस आंदोलन के परिणामस्वरूप, सरकार ने उनकी समस्याओं को हल करने के लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया. उन्होंने बताया कि किसानों ने अपनी सभी मांगों से इस समिति को अवगत कराया है, लेकिन अभी तक रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करना सरकार की नियत पर सवाल उठाता है.

किसान नेता मोहित भाटी ने कहा कि सरकार किसान हितों को नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुद्दों के समाधान के बजाय सिफारिशों को दबाया जा रहा है. किसानों की नाराजगी इस बात को दर्शाती है कि वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए गंभीर हैं और वह तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं.

यह भी पढ़ें- UP सरकार को अल्टीमेंटम, ग्रेटर नोएडा में आज किसानों का हल्ला बोल आंदोलन, जानिए वजह

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: सोमवार को ग्रेटर नोएडा के किसानों ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत कलेक्ट्रेट पर एक विशाल हल्ला बोल प्रदर्शन किया. इसमें सैकड़ों किसान एकत्रित हुए और अपनी मांगों के लेकर ज्ञापन सौंपा. प्रदर्शन के दौरान किसानों और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई. अंततः, प्रदर्शन समाप्त होने के बाद किसान कलेक्ट्रेट परिसर में ही धरने पर बैठ गए.

किसानों का यह प्रदर्शन भूमि अधिकरण से प्रभावित किसानों की समस्याओं के समाधान और उनकी मांगों को लेकर था. किसानों ने कहा कि इस दिशा में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया गया था, जिसने अपनी सिफारिशें शासन में 31 अगस्त को जमा की थीं. किसानों का आरोप है कि इन सिफारिशों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक इन सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, उनका आंदोलन जारी रहेगा.

प्रदर्शन में विभिन्न किसान संगठनों ने भाग लिया, जिसमें किसान सभा, किसान परिषद, जय जवान जय किसान मोर्चा, किसान संघर्ष समिति ऐछर और संयुक्त किसान मोर्चा शामिल थे. किसानों ने अपनी मांगों को लेकर हाई पावर कमेटी की सिफारिशों को सार्वजनिक करने, आबादियों की बैकलीज करने, और भूमिहीनों की दुकानों में आरक्षण के प्रावधान को लागू करने की मांग की.

ग्रेटर नोएडा में सोमवार को किसानों ने कलेक्ट्रेट पर जोरदार हल्ला बोला (ETV Bharat)

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किसान नेता बृजेश भाटी ने बताया कि कुछ समय पूर्व किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था. इस आंदोलन के परिणामस्वरूप, सरकार ने उनकी समस्याओं को हल करने के लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया. उन्होंने बताया कि किसानों ने अपनी सभी मांगों से इस समिति को अवगत कराया है, लेकिन अभी तक रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करना सरकार की नियत पर सवाल उठाता है.

किसान नेता मोहित भाटी ने कहा कि सरकार किसान हितों को नजरअंदाज कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुद्दों के समाधान के बजाय सिफारिशों को दबाया जा रहा है. किसानों की नाराजगी इस बात को दर्शाती है कि वे अपनी समस्याओं के समाधान के लिए गंभीर हैं और वह तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं.

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