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Madhya Pradesh Hockey Player : टेकचंद यादव के पास रहने को घर नहीं, सरकार से मदद की गुहार

कभी राष्ट्रीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team) का हिस्सा रहे टेकचंद यादव गरीबी के कारण झोंपड़ी में रहने को मजबूर हैं. उनको दो वक्त का खाना उनके भाई का परिवार देता है.

Madhya Pradesh Hockey Player tekchand yadav force to live in slum
Madhya Pradesh Hockey Player
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Published : Feb 8, 2023, 12:17 PM IST

Updated : Feb 8, 2023, 12:36 PM IST

नई दिल्ली : हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के साथ हॉकी खेलने वाले मध्य प्रदेश के सागर के रहने वाले टेकचंद यादव की हालत दयनीय हो गई है. 82 साल के टेकचंद सागर जिले के कैंट क्षेत्र में टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. वह भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं. वो हॉकी खिलाड़ी व रेफरी मोहर सिंह के गुरु हैं. साल 1961 में जिस भारतीय हॉकी टीम ने हॉलैंड को हॉकी मैच में धूल चटाई थी, टेकचंद उस टीम के अहम खिलाड़ी थे.

टेकचंद यादव (Tekchand Yadav) कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं बन पाए इसलिए शायद आज वो गुमनाम हैं. उनका जन्म आजादी से पहले 9 दिसंबर 1940 को हुआ था. उनके पिता दूध का व्यवसाय करते थे. टेकचंद ने जब स्कूल में लड़कों को हॉकी खेलते हुए देखा तो वो भी इस खेल में रुचि लेने लगे. उन्होंने पेड़ की डाली काटकर हॉकी बनाई और दोस्तों के साथ खेलना शुरू किया.

टेकचंद ने बताया कि कि जब उनके पिता ने खेल में उनकी रुचि देखी तो असली की हॉकी दिलाई. टेकचंद का खेल देखने के बाद उन्हें डिस्ट्रिक्ट हॉकी एसोसिएशन (डीएचए) की टीम में शामिल किया गया. उन्होंने डीएचए के लिए कई प्रतियोंगिताओं में भाग लिया. वो भोपाल, दिल्ली, चंडीगढ़ सहित देश के कई शहरों में टूर्नामेंट खेलने गए.

मेजर ध्यानचंद (Major Dhyanchand) के शिष्य रह टेकचंद कहते हैं कि साल 1960 में मेजर ध्यानचंद एमआरसी सागर आए थे. इस दौरान उन्होंने सागर और जबलपुर के हॉकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया था. टेकचंद भी उन खिलाड़ियों में शामिल थे. ध्यानचंद ने 3 महीने तक खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी थी. इसके एक साल बाद भोपाल में अंतरराष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट हुआ.

इसे भी पढ़ें- Border Gavaskar Trophy : इन तीन गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया शानदार प्रदर्शन

इस टूर्नामेंट में कई देशों की हॉकी टीमें शामिल हुईं थीं. इस दौरान टेकचंद को भारत की तरफ से खेलने का मौका मिला. ये मैच हॉलैंड के खिलाफ था. टेकचंद ने कहा कि उन्हें इतना याद है कि भारत इस मैच में बड़े अंतर से जीता था. टेकचंद यादव जैसे देश में बहुत से खिलाड़ी हैं जो देश के लिए खेले लेकिन आज दुर्दशा का शिकार हैं.

नई दिल्ली : हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के साथ हॉकी खेलने वाले मध्य प्रदेश के सागर के रहने वाले टेकचंद यादव की हालत दयनीय हो गई है. 82 साल के टेकचंद सागर जिले के कैंट क्षेत्र में टूटी-फूटी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं. वह भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं. वो हॉकी खिलाड़ी व रेफरी मोहर सिंह के गुरु हैं. साल 1961 में जिस भारतीय हॉकी टीम ने हॉलैंड को हॉकी मैच में धूल चटाई थी, टेकचंद उस टीम के अहम खिलाड़ी थे.

टेकचंद यादव (Tekchand Yadav) कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं बन पाए इसलिए शायद आज वो गुमनाम हैं. उनका जन्म आजादी से पहले 9 दिसंबर 1940 को हुआ था. उनके पिता दूध का व्यवसाय करते थे. टेकचंद ने जब स्कूल में लड़कों को हॉकी खेलते हुए देखा तो वो भी इस खेल में रुचि लेने लगे. उन्होंने पेड़ की डाली काटकर हॉकी बनाई और दोस्तों के साथ खेलना शुरू किया.

टेकचंद ने बताया कि कि जब उनके पिता ने खेल में उनकी रुचि देखी तो असली की हॉकी दिलाई. टेकचंद का खेल देखने के बाद उन्हें डिस्ट्रिक्ट हॉकी एसोसिएशन (डीएचए) की टीम में शामिल किया गया. उन्होंने डीएचए के लिए कई प्रतियोंगिताओं में भाग लिया. वो भोपाल, दिल्ली, चंडीगढ़ सहित देश के कई शहरों में टूर्नामेंट खेलने गए.

मेजर ध्यानचंद (Major Dhyanchand) के शिष्य रह टेकचंद कहते हैं कि साल 1960 में मेजर ध्यानचंद एमआरसी सागर आए थे. इस दौरान उन्होंने सागर और जबलपुर के हॉकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया था. टेकचंद भी उन खिलाड़ियों में शामिल थे. ध्यानचंद ने 3 महीने तक खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी थी. इसके एक साल बाद भोपाल में अंतरराष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट हुआ.

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इस टूर्नामेंट में कई देशों की हॉकी टीमें शामिल हुईं थीं. इस दौरान टेकचंद को भारत की तरफ से खेलने का मौका मिला. ये मैच हॉलैंड के खिलाफ था. टेकचंद ने कहा कि उन्हें इतना याद है कि भारत इस मैच में बड़े अंतर से जीता था. टेकचंद यादव जैसे देश में बहुत से खिलाड़ी हैं जो देश के लिए खेले लेकिन आज दुर्दशा का शिकार हैं.

Last Updated : Feb 8, 2023, 12:36 PM IST
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