ETV Bharat / sports

'पुरस्कार से नहीं पदक से है प्यार' - indian boxing news

अमित पंघल ने कहा है कि उन्हें पुरस्कार से नहीं बल्कि पदक से है प्यार. विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में अमित ने रजत पदक जीता है.

panghal
author img

By

Published : Sep 22, 2019, 8:51 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 1:18 PM IST

एकातेरिनबर्ग : विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने अमित पंघल ने कहा कि उन्हें पुरस्कार से नहीं बल्कि पदकों से प्यार है.

अमित ने जारी विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के 52 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में हार कर रजत पदक तक ही सीमित रह गए. रियो ओलम्पिक-2016 में स्वर्ण जीतने वाले उज्बेकिस्तान के शाखोबिदीन जोइरोव ने अमित को कड़े मुकाबले में 5-0 हराया.

अमित पंघल
अमित पंघल

विश्व चैम्पियनशिप में ये किसी भी भारतीय पुरुष मुक्केबाजों का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. अमित से पहले कोई भी भारतीय पुरुष मुक्केबाज फाइनल तक भी नहीं पहुंच सका था.

पंघल को इस साल अर्जुन अवार्ड के लिए नहीं चुना गया था.

पंघल ने पदक जीतने के बाद अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कहा, "उम्मीद तो स्वर्ण की लेकर आए थे लेकिन कुछ कमिया रहीं हैं जो मुकाबले में दिखीं, आगे के लिए उन पर काम करेंगे.

उज्बेकिस्तान के इस मुक्केबाज को हम ओलम्पिक में अच्छी टक्कर देंगे. अवार्ड से ज्यादा मेरे लिए देश के लिए पदक जीतना ज्यादा जरूरी है. मुझे देश के लिए पदकों से प्यार है न कि अवार्ड से। अवार्ड मुझे दिए जाएं या ना दिए जाएं, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता. मैं अपने देश के लिए पदक जीतता आया हूं और जीतता रहूंगा."

ये भी पढ़े- PKL -7 : जयपुर और गुजरात के बीच मैच 28-28 से रहा ड्रॉ

अमित से पहले तक पांच भारतीय पुरुष मुक्केबाजों ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य जीता है. विजेंद्र सिंह ने 2009 में ये उपलब्धि हासिल की थी जबकि विकास कृष्णन ने 2011 और शिवा थापा ने 2015 में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था. गौरव बिधुड़ी ने 2017 में कांस्य जीता था.

पंघल ने कहा है कि वे अपनी इस ऐतिहासिक सफलता को ओलम्पिक में भी जारी रखना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, "मेरी कोशिश हमेशा अपने देश के लिए पदक जीतने की होती है. इस जीत से देश की मुक्केबाजी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. ये देश के लिए अच्छी बात है. जैसे यहां पर इतिहास रचा है वैसे ही ओलम्पिक में इतिहास रचेंगे."

एकातेरिनबर्ग : विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने अमित पंघल ने कहा कि उन्हें पुरस्कार से नहीं बल्कि पदकों से प्यार है.

अमित ने जारी विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के 52 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में हार कर रजत पदक तक ही सीमित रह गए. रियो ओलम्पिक-2016 में स्वर्ण जीतने वाले उज्बेकिस्तान के शाखोबिदीन जोइरोव ने अमित को कड़े मुकाबले में 5-0 हराया.

अमित पंघल
अमित पंघल

विश्व चैम्पियनशिप में ये किसी भी भारतीय पुरुष मुक्केबाजों का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. अमित से पहले कोई भी भारतीय पुरुष मुक्केबाज फाइनल तक भी नहीं पहुंच सका था.

पंघल को इस साल अर्जुन अवार्ड के लिए नहीं चुना गया था.

पंघल ने पदक जीतने के बाद अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कहा, "उम्मीद तो स्वर्ण की लेकर आए थे लेकिन कुछ कमिया रहीं हैं जो मुकाबले में दिखीं, आगे के लिए उन पर काम करेंगे.

उज्बेकिस्तान के इस मुक्केबाज को हम ओलम्पिक में अच्छी टक्कर देंगे. अवार्ड से ज्यादा मेरे लिए देश के लिए पदक जीतना ज्यादा जरूरी है. मुझे देश के लिए पदकों से प्यार है न कि अवार्ड से। अवार्ड मुझे दिए जाएं या ना दिए जाएं, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता. मैं अपने देश के लिए पदक जीतता आया हूं और जीतता रहूंगा."

ये भी पढ़े- PKL -7 : जयपुर और गुजरात के बीच मैच 28-28 से रहा ड्रॉ

अमित से पहले तक पांच भारतीय पुरुष मुक्केबाजों ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य जीता है. विजेंद्र सिंह ने 2009 में ये उपलब्धि हासिल की थी जबकि विकास कृष्णन ने 2011 और शिवा थापा ने 2015 में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था. गौरव बिधुड़ी ने 2017 में कांस्य जीता था.

पंघल ने कहा है कि वे अपनी इस ऐतिहासिक सफलता को ओलम्पिक में भी जारी रखना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, "मेरी कोशिश हमेशा अपने देश के लिए पदक जीतने की होती है. इस जीत से देश की मुक्केबाजी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. ये देश के लिए अच्छी बात है. जैसे यहां पर इतिहास रचा है वैसे ही ओलम्पिक में इतिहास रचेंगे."

Intro:Body:

'पुरस्कार से नहीं पदक से है प्यार'

 





अमित पंघल ने कहा है कि उन्हें पुरस्कार से नहीं बल्कि पदक से है प्यार. विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में अमित ने रजत पदक जीता था.



एकातेरिनबर्ग : विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने अमित पंघल ने कहा कि उन्हें पुरस्कार से नहीं बल्कि पदकों से प्यार है.

अमित ने जारी विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप के 52 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में हार कर रजत पदक तक ही सीमित रह गए. रियो ओलम्पिक-2016 में स्वर्ण जीतने वाले उज्बेकिस्तान के शाखोबिदीन जोइरोव ने अमित को कड़े मुकाबले में 5-0 हराया.



विश्व चैम्पियनशिप में ये किसी भी भारतीय पुरुष मुक्केबाजों का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. अमित से पहले कोई भी भारतीय पुरुष मुक्केबाज फाइनल तक भी नहीं पहुंच सका था.



पंघल को इस साल अर्जुन अवार्ड के लिए नहीं चुना गया था.



पंघल ने पदक जीतने के बाद अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कहा, "उम्मीद तो स्वर्ण की लेकर आए थे लेकिन कुछ कमिया रहीं हैं जो मुकाबले में दिखीं, आगे के लिए उन पर काम करेंगे.

उज्बेकिस्तान के इस मुक्केबाज को हम ओलम्पिक में अच्छी टक्कर देंगे. अवार्ड से ज्यादा मेरे लिए देश के लिए पदक जीतना ज्यादा जरूरी है. मुझे देश के लिए पदकों से प्यार है न कि अवार्ड से। अवार्ड मुझे दिए जाएं या ना दिए जाएं, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता. मैं अपने देश के लिए पदक जीतता आया हूं और जीतता रहूंगा."



अमित से पहले तक पांच भारतीय पुरुष मुक्केबाजों ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य जीता है. विजेंद्र सिंह ने 2009 में ये उपलब्धि हासिल की थी जबकि विकास कृष्णन ने 2011 और शिवा थापा ने 2015 में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था. गौरव बिधुड़ी ने 2017 में कांस्य जीता था.



पंघल ने कहा है कि वे अपनी इस ऐतिहासिक सफलता को ओलम्पिक में भी जारी रखना चाहते हैं.



उन्होंने कहा, "मेरी कोशिश हमेशा अपने देश के लिए पदक जीतने की होती है. इस जीत से देश की मुक्केबाजी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. ये देश के लिए अच्छी बात है. जैसे यहां पर इतिहास रचा है वैसे ही ओलम्पिक में इतिहास रचेंगे."






Conclusion:
Last Updated : Oct 1, 2019, 1:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.