हैदराबाद: भारत के प्रतिष्ठित खेल संस्थान नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टिट्यूट (एनआईएस), पटियाला को लेकर शिकायत दर्ज की गई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हिमा दास और कुछ अन्य एथलीट ने एनआईएस के मेस के खराब क्वॉलिटी के भोजन को लेकर शिकायत की है. ये घटना अगस्त की है.
एथलीटों के शिकायत के बाद भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) एक्शन में आ गया है. शिकायत को देखते हुए 'फूड इंस्पेक्शन कमिटी' का गठन किया गया है.
साई ने हालांकि इस पूरी घटना का ब्यौरा नहीं दिया है. लेकिन सूत्रों का कहना है कि हिमा ने अपने भोजन में नाखून मिलने की शिकायत की थी. असम की इस धावक ने अपने मोबाइल से भोजन की तस्वीर लेकर एनआईएस प्रशासन को भेजी थी.
सूत्रों का कहना है कि हिमा ने इस मसले को खेल मंत्री किरन रिजिजू के साथ भी उठाया है जिसके बाद रिजिजू ने साई प्रशासन को इस मामले को सुलझाने के लिए कहा है.
साई के डायरेक्टर जनरल संदीप प्रधान, साई के सचिव रोहित भारद्वाज और अन्य अधिकारियों ने वर्चुअल रिव्यू मीटिंग की जिसमें हिमा और शिकायत करने वाले एथलीट्स शामिल हुए थे.
सूत्रों ने ये भी कहना है कि एथलीट्स ने इसके अलावा अन्य शिकायतें भी की थीं जिसमें खाने में बाल मिलने की शिकायत थी. साथ ही उन्होंने ये भी शिकायत की थी कि किचन स्टाफ हाथों पर छींक कर न तो अपने हाथ धो रहे थे और न ही उन्हें सैनेटाइज कर रहे थे.
साई ने बयान जारी कर एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि इस घटना के बाद विस्तृत एसओपी जारी किए गए हैं ताकि सामान की सप्लाई की क्वॉलिटी की जांच की जा सके.
साई ने बयान जारी कर कहा, 'कुछ एथलीट ने अगस्त के मध्य में एनआईएस, पटियाला में खाने की खराब क्वॉलिटी को लेकर सवाल उठाए हैं. जैसे ही यह बात हमारी जानकारी में लाई गई फौरन इस तरह के एक्शन लिए गए कि एथलीट्स को इस तरह के एक भी मामले का सामना न करना पड़े. साथ ही अधिकारियों, स्टाफ और खिलाड़ियों के साथ उसी दिन बैठक की गई और यह निर्देश जारी किया गया कि खाने की क्वॉलिटी एथलीट्स की जरूरत के हिसाब से हो. एथलीट्स की ओर से मिले फीडबैक से पुष्टि होती है कि भोजन अब उनकी पसंद और जरूरत के हिसाब से मिल रहा है.'
इसमें आगे कहा गया, 'नियम के अनुसार, साई ने फूड इंस्पेक्शन कमिटी का गठन किया और एनआईएस मे किचन स्टाफ को भी मजबूत किया. एथलीट के लिए खाने का सामान मंगवाने के लिए एक हेल्प लाइन नंबर भी बनाया गया है.'
इस बयान में हिमा के हवाले से कहा गया है, 'हमारी परेशानियों को फौरन सुना गया. हमने कहा था कि यहां बन रहे खाने से हम खुश नहीं हैं और जैसे ही हमने इस मुद्दे को उठाया, खाने की क्वॉलिटी में सुधार हो गया.'