कोलकाता: मध्य प्रदेश की आठ सदस्यीय रिकर्व पुरूष और महिला टीम 41वीं जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए देहरादून पहुंचने से एक घंटे पहले शनिवार को आग की चपेट में आ गई. ट्रेन के 'सी पांच' कोच में लगी आग से जान बचाने के लिए तीरंदाजों को दूसरी बोगी में भागना पड़ा लेकिन उनके उपकरण और अहम दस्तावेज जलकर खाक हो गए. उस डिब्बे में खिलाड़ियों के साथ प्रशिक्षक अशोक यादव भी शामिल थे.
खिलाड़ियों को रविवार को नए उपकरण मुहैया कराए गए लेकिन उन्होंने बिना किसी मैच पूर्व अभ्यास के रिकर्व वर्ग में दो रजत और एक कांस्य के अलावा कंपाउंड टीम वर्ग में रजत पदक के साथ अपने अभियान को खत्म किया. रैंकिंग चरण में दो रजत पदक जीतने वाली दसवीं कक्षा की छात्रा सोनिया ठाकुर सोमवार को ओलंपिक चरण में कांस्य पदक के करीबी मुकाबले में पिछड़ गई. टाई-ब्रेकर से निकला ये नतीजा हरियाणा की तीरंदाज के पक्ष में गया.
मध्यप्रदेश के मुख्य कोच रिचपाल सिंह ने देहरादून से एक समाचार एजेंसी से कहा, ''उन्होंने कुछ असंभव सा हासिल किया है. खेल में इस तरह के चमत्कार होते हैं. सिंह ने कहा कि जब उन्हें इस घटना के बारे में पता चला तो खिलाड़ियों का हालचाल पुछने के बाद उन्होंने उनके मनोबल को बढ़ने पर जोर दिया.
मध्य प्रदेश प्रशासन और भारतीय तीरंदाजी संघ के सहयोग से तीरंदाजों के लिए पटियाला से नए उपकरण मंगाए गए. सिंह ने कहा, ''हमें बताया गया था कि उपकरण सुबह दो बजे पहुंच जाएंगे, ऐसे में हम ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि तीरंदाजों को थोड़ा आराम मिले क्योंकि वे बहुत मुश्किल परिस्थितयों से बाहर निकले थे.''
कोचिंग टीम के सदस्य दो बजे होटल की लॉबी में पहुंच गए ताकि उपकरण को इस्तेमाल के लायक बनाया जा सके. इसके बाद वे प्रतियोगिता शुरू होने से तीन घंटे पहले सुबह छह बजे सर्वे मैदान (प्रतियोगिता स्थल) पहुंच गए.
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उन्होंने कहा, ''खिलाड़ियों को अपने तीर और धनुष के साथ सामंजस्य बैठाने में कई महीने लग जाते हैं ऐसे में नए उपकरण के साथ दो घंटे से कम के अभ्यास के साथ निशाना लगाना और खिताब जीतना असंभव की तरह है.''