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कतर विश्व कप में Off Side फैसलों के लिए नई तकनीक लाएगा फीफा - लिंब ट्रैकिंग कैमरा

फीफा ने शुक्रवार को कहा कि वह सेमी-ऑटोमेटिड ऑफसाइड तकनीक (एसएओटी) लांच करने के लिए तैयार है, जिसमें कई कैमरे खिलाड़ी के मूवमेंट पर नजर रखते हैं. साथ ही गेंद में एक सेंसर लगा होगा, जिससे स्टेडियम की स्क्रीन पर तुरंत ही त्रि-आयामी छवियां दिखेंगी.

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Published : Jul 1, 2022, 5:47 PM IST

जिनेवा: फीफा इस साल कतर में होने वाले फुटबॉल विश्व कप में ऑफ साइड फैसलों को बेहतर करने के लिए नई तकनीक शुरू करेगा, जिसमें लिंब-ट्रैकिंग कैमरा (पैर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए) प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा.

फीफा ने शुक्रवार को कहा, वह सेमी-ऑटोमेटिड ऑफसाइड तकनीक (एसएओटी) लांच करने के लिए तैयार है. इसमें कई कैमरे खिलाड़ी के मूवमेंट पर नजर रखते हैं और साथ ही गेंद में एक सेंसर लगा होगा, जिससे स्टेडियम की स्क्रीन पर तुरंत ही त्रि-आयामी छवियां दिखेंगी, जिससे प्रशंसकों को रैफरी के फैसले को समझने में मदद मिलेगी.

यह लगातार तीसरा विश्व कप होगा, जिसमें फीफा ने रैफरी की मदद के लिए नई तकनीक शुरू की है. ब्राजील में साल 2014 टूर्नामेंट के लिए गोल लाइन तकनीक तैयार की गई थी. क्योंकि साल 2010 में कई रैफरी ने काफी गलतियां की थीं.

यह भी पढ़ें: इंटरव्यू: डायमंड लीग प्रदर्शन पर बोले नीरज चोपड़ा- ओलंपिक चैंपियन होने का नहीं महसूस हुआ दबाव

फिर साल 2018 में वीडियो रिव्यू लाया गया, जिससे कई मौकों पर रैफरी को मैच का रूख बदलने वाली घटनाओं पर फैसला करने में मदद मिली थी. इस नई ऑफ साइड प्रणाली में वीडियो सहायक रैफरी (वीएआर) प्रणाली की तुलना में बेहद सटीक और जल्दी फैसला आएगा. हालांकि, साल 2018 विश्व कप में ऑफसाइड की बड़ी गलतियां नहीं हुई थीं.

फीफा के रैफरिंग कार्यक्रम की अगुआई करने वाले और तकनीक पूर्व युग में साल 2002 विश्व कप फाइनल में काम कर चुके पिएरलुईजी कोलिना ने कहा, ये उपकरण काफी सटीक है, इसमें शायद और सुधार हो सकता है.

जिनेवा: फीफा इस साल कतर में होने वाले फुटबॉल विश्व कप में ऑफ साइड फैसलों को बेहतर करने के लिए नई तकनीक शुरू करेगा, जिसमें लिंब-ट्रैकिंग कैमरा (पैर की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए) प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा.

फीफा ने शुक्रवार को कहा, वह सेमी-ऑटोमेटिड ऑफसाइड तकनीक (एसएओटी) लांच करने के लिए तैयार है. इसमें कई कैमरे खिलाड़ी के मूवमेंट पर नजर रखते हैं और साथ ही गेंद में एक सेंसर लगा होगा, जिससे स्टेडियम की स्क्रीन पर तुरंत ही त्रि-आयामी छवियां दिखेंगी, जिससे प्रशंसकों को रैफरी के फैसले को समझने में मदद मिलेगी.

यह लगातार तीसरा विश्व कप होगा, जिसमें फीफा ने रैफरी की मदद के लिए नई तकनीक शुरू की है. ब्राजील में साल 2014 टूर्नामेंट के लिए गोल लाइन तकनीक तैयार की गई थी. क्योंकि साल 2010 में कई रैफरी ने काफी गलतियां की थीं.

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फिर साल 2018 में वीडियो रिव्यू लाया गया, जिससे कई मौकों पर रैफरी को मैच का रूख बदलने वाली घटनाओं पर फैसला करने में मदद मिली थी. इस नई ऑफ साइड प्रणाली में वीडियो सहायक रैफरी (वीएआर) प्रणाली की तुलना में बेहद सटीक और जल्दी फैसला आएगा. हालांकि, साल 2018 विश्व कप में ऑफसाइड की बड़ी गलतियां नहीं हुई थीं.

फीफा के रैफरिंग कार्यक्रम की अगुआई करने वाले और तकनीक पूर्व युग में साल 2002 विश्व कप फाइनल में काम कर चुके पिएरलुईजी कोलिना ने कहा, ये उपकरण काफी सटीक है, इसमें शायद और सुधार हो सकता है.

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