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EXCLUSIVE : मेरे पास 120 दिन हैं, पूरी तरह से तैयार हो कर ओलंपिक में जाना चाहती हूं - बॉक्सर पूजा रानी

भारत की मशहूर बॉक्सर पूजा रानी ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. उन्होंने अपनी ओलंपिक की तैयारियों, बॉक्सर बनने के लिए संघर्षों, लॉकडाउन के बीच ट्रेनिंग आदि के बारे में बात की.

pooja rani
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Published : Mar 25, 2021, 7:07 PM IST

Updated : Mar 26, 2021, 8:06 PM IST

हैदराबाद : एशियाई चैंपियन और भारत की स्टार बॉक्सर पूजा रानी (75 किलो) ने साल 2020 में टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल कर लिया था. 23 जुलाई 2021 को जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक खेलों का आयोजन होगा. खेल जगत के सबसे बड़े इवेंट से पहले पूजा ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. उन्होंने ओलंपिक की तैयारियों, साथी बॉक्सर्स आदि के बारे में बात की.

बॉक्सर पूजा रानी का एक्सक्लूजिव इंटरव्यू

सवाल : 8 मार्च 2020 को आप पहली भारतीय बनी थीं जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई किया था, इस बारे में क्या कहेंगी?

जवाब : उस दिन सबसे पहली बाउट मेरी थी और उस दिन विमेंस डे भी था. सुबह में मेरी बाउट हुई और जैसे ही मैं क्वॉलीफाई कर गई, सोशल मीडिया पर जहां भी मैं देख रही थी, सिर्फ मेरा नाम दिख रहा था. किरण रिजिजू ने भी मेरे लिए ट्वीट किया था. मुझे उम्मीद नहीं थी कि ऐसा कुछ होगा लेकिन मुझे बहुत खुशी हुई.

सवाल : हरियाणा में आप लड़कियों के लिए एक प्रेरणाश्रोत हैं. किस समाज से आप आती हैं वहां एक लड़की के लिए बॉक्सर बनने के लिए कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? जब आप बचपन में बॉक्सर बनना चाहती थीं तब समाज ने किस नजर से देखा और आज की तारीख में जब आप ओलंपिक्स के लिए टोक्यो जा रही हैं तो समाज आपको किस नजरिए से देखता है?

जवाब : दूसरे लोगों की क्या कहूं, मेरा परिवार ही बॉक्सिंग के खिलाफ था. जब मैं छोटी थी तब मेरे पिताजी हरियाणा पुलिस में थे, तब वे ज्यादा घर पर नहीं रहते थे तब मैंने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. वो ज्यादातर घर से बाहर ही रहते थे, जब वे एक दिन घर आए तब उनको पता लगा कि मैं बॉक्सिग की ट्रेनिंग कर रही हूं तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया था और काफी नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि कोई भी खेल खेलो लेकिन बॉक्सिंग नहीं करनी है. उनको लगता था कि ये अच्छे लोगों का खेल नहीं है. मैं इस बात को लेकर काफी रोई लेकिन मेरे पिताजी फिर भी नहीं माने. आखिरकार मैंने कहा कि आज मुझे जाने दीजिए ताकि मैं बता दूं उनको कि मैं अब नहीं आऊंगी ताकि उनको ये न लगे कि मैं डर गई हूं. जब मैंने ये स्थिति अपने कोच के साथ साझा की तब उन्होंने कहा कि हमको लगता है कि तुम अच्छा कर सकती हो. फिर मैंने अपने पिताजी को अपने कोच से मिलवाया और कोच सर ने उनको मेरे बॉक्सिंग करने की बात को मान ली.

सवाल : इन दिनों आप कहां और कैसे ट्रेनिंग कर रही हैं? Covid-19 को मद्देनजर रखते हुए कोई चुनौती सामने आई है?

जवाब : अभी तो दिल्ली में इंडिया कैंप लगा है, मैं वहीं हूं. लॉकडाउन में छह महीने तक हम ट्रेनिंग नहीं कर सके थे. घर में ज्यादा ट्रेनिंग नहीं कर सकते. एक आम आदमी फिट रहने के लिए जितनी ट्रेनिंग कर सकते हैं सिर्फ उतना ही कर पाती थी, एक खिलाड़ी के लिए जितनी ट्रेनिंग चाहिए होती है, वो नहीं हो पाती थी क्योंकि हमको बहुत फिटनेस चाहिए होती है. बॉक्सिंग में अगर एक महीने के लिए भी आप किसी के साथ ट्रेनिंग नहीं करते तो आंखें अपने आप बंद होने लगती हैं. जैसे कि अगर पंच आता है तो हम डरने लग जाते हैं. आदत की बात होती है. घर में थोड़ी-थोड़ी ट्रेनिंग कर रहे थे लेकिन फिर भी वो चीज नहीं आ पा रही थी. इन सबके बाद सबसे पहले हमारा ही कैंप लगा. कोविड के कारण बंद रह कर ट्रेनिंग करते रहे. अभी भी हम जहां भी जा रहे हैं, हमारा कोई न कोई खिलाड़ी पॉजिटिव आ रहा है.

सवाल : अब ओलंपिक्स ज्यादा दूर नहीं हैं, इस बड़े इवेंट के लिए आप किस तरह खुद को तैयार कर रही हैं?

जवाब : मैं पहले इतनी फिट नहीं थी. बेलारी में हमारा कैंप लगा था, वो जगह मुझे बहुत अच्छी लगी क्योंकि कई लोग देखने को मिले. तो ऐसा लग रहा था कि कोई महामारी चल रही है. वहां दिमाग सकारात्मक था. हमारी अभी ट्रेनिंग काफी अच्छी चल रही है. स्पेन में जो टूर्नामेंट (बॉक्सम इंटरनेशनल टूर्नामेंट) हुआ था, वहां मेरी सभी बाउट अच्छे बॉक्सर के साथ ही थी. पहली इटली के साथ थी, दूसरी पनामा से थी वर्ल्ड चैंपियन थीं तो मैंने काफी सुधार किया और मेरा आत्मविश्वास भी काफी बढ़ा. रही फाइनल की बात, मुझे यूएसए की मेलिसा ग्राहम से हार मिली थी. वहां कमी माइंडसेट की थी. उस मैच से पहले कोविड के कारण हमारी टीम को दो घंटे तक सुनिश्चित नहीं किया जा रहा था कि हम खेलेंगे कि नहीं खेलेंगे. ऐसे में माइंड सेट नहीं हो सका था. लेकिन अगर अब उससे मेरी अगली बाउट होगी तो मैं काफी अच्छा कर सकती हूं.

सवाल : एशिया ओसिआना बॉक्सिंग ओलंपिक क्वॉलीफायर्स में खेल कर कोटा हासिल किया था. इस बात को एक साल हो चुका है, तब की लय और अभी की लय में आपको क्या अंतर लगता है? या फिर आपके लिए सबकुछ वैसा ही है जैसा पहले था?

जवाब : उस समय मैं काफी लय में थी और काफी फिट थी. अभी भी फिट हूं और मेरे पास 120 दिन हैं. अभी मैं उससे भी ज्यादा फिट हो सकती हूं और उससे भी बेहतर करूंगी.

सवाल : सरकार ने बोला है कि ओलंपिक्स में जो भी खिलाड़ी जाने वाले हैं, उनको कोविड-19 वैक्सीन दिया जाएगा, इसके बारे में आपका क्या ख्याल है?

जवाब : एक बार हमको बोला गया था कि ओलंपिक खिलाड़ियों को वैक्सीन दी जाएगी. लेकिन मैंने ऐसा सुना है, हालांकि मुझे पता नहीं है कि इंडिया वाली वैक्सीन सही नहीं हैं. यूएस और यूके वाली वैक्सीन सही हैं. मैंने सुना है कि इसके काफी साइड एफेक्ट भी हैं. जितना मैंने सुना है कि उस हिसाब से ये बताया है कि बुखार आता है और कमजोरी आती है. लेकिन कोविड का जो डर है उससे तो अच्छा ही है.

सवाल : आप भिवानी से हैं, भिवानी की छवि ऐसी है कि वहां से अच्छे बॉक्सर निकलते हैं. इस बात का प्रेशर कभी महसूस हुआ?

जवाब : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये दबाव नहीं होता लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ये होता है क्योंकि नेशनल लेवल पर जब से मैंने अच्छा किया है तब से मैं हारी नहीं हूं. 2012 में पहली बार मैं नेशनल चैंपियन बनी थी. इंडिया में मैं अपनी हार बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकती क्योंकि मुझे यहां जीतने की आदत हो गई है. मैं जब हारती हूं तो मेरे मन में कसक रह जाती है कि अगर मैं ऐसा करती तो जीत सकती थी, वो करती तो जीत सकती थी. लेकिन अब ओलंपिक में मैं ऐसा नहीं करना चाहती. मैं पूरी तरह से तैयार हो कर ओलंपिक में जाना चाहती हूं.

सवाल : किस भारतीय बॉक्सर का ओलंपिक मेडल पक्का लग रहा है?

जवाब : वैसे तो सभी बॉक्सर बेहतरीन हैं. हमारे साथ कई अनुभवी बॉक्सर भी हैं जैसे एमसी मैरीकॉम और विकास कृष्ण यादव हैं. इन दोनों के लिए मैं यकीन से कह सकती हूं कि इनका मेडल जरूर आएगा. इनके अलावा 60 किलो में सिमरनजीत कौर हैं, वो भी काफी अच्छा करेंगी.

-- वर्षा सिंह

हैदराबाद : एशियाई चैंपियन और भारत की स्टार बॉक्सर पूजा रानी (75 किलो) ने साल 2020 में टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल कर लिया था. 23 जुलाई 2021 को जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक खेलों का आयोजन होगा. खेल जगत के सबसे बड़े इवेंट से पहले पूजा ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. उन्होंने ओलंपिक की तैयारियों, साथी बॉक्सर्स आदि के बारे में बात की.

बॉक्सर पूजा रानी का एक्सक्लूजिव इंटरव्यू

सवाल : 8 मार्च 2020 को आप पहली भारतीय बनी थीं जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई किया था, इस बारे में क्या कहेंगी?

जवाब : उस दिन सबसे पहली बाउट मेरी थी और उस दिन विमेंस डे भी था. सुबह में मेरी बाउट हुई और जैसे ही मैं क्वॉलीफाई कर गई, सोशल मीडिया पर जहां भी मैं देख रही थी, सिर्फ मेरा नाम दिख रहा था. किरण रिजिजू ने भी मेरे लिए ट्वीट किया था. मुझे उम्मीद नहीं थी कि ऐसा कुछ होगा लेकिन मुझे बहुत खुशी हुई.

सवाल : हरियाणा में आप लड़कियों के लिए एक प्रेरणाश्रोत हैं. किस समाज से आप आती हैं वहां एक लड़की के लिए बॉक्सर बनने के लिए कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? जब आप बचपन में बॉक्सर बनना चाहती थीं तब समाज ने किस नजर से देखा और आज की तारीख में जब आप ओलंपिक्स के लिए टोक्यो जा रही हैं तो समाज आपको किस नजरिए से देखता है?

जवाब : दूसरे लोगों की क्या कहूं, मेरा परिवार ही बॉक्सिंग के खिलाफ था. जब मैं छोटी थी तब मेरे पिताजी हरियाणा पुलिस में थे, तब वे ज्यादा घर पर नहीं रहते थे तब मैंने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. वो ज्यादातर घर से बाहर ही रहते थे, जब वे एक दिन घर आए तब उनको पता लगा कि मैं बॉक्सिग की ट्रेनिंग कर रही हूं तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया था और काफी नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि कोई भी खेल खेलो लेकिन बॉक्सिंग नहीं करनी है. उनको लगता था कि ये अच्छे लोगों का खेल नहीं है. मैं इस बात को लेकर काफी रोई लेकिन मेरे पिताजी फिर भी नहीं माने. आखिरकार मैंने कहा कि आज मुझे जाने दीजिए ताकि मैं बता दूं उनको कि मैं अब नहीं आऊंगी ताकि उनको ये न लगे कि मैं डर गई हूं. जब मैंने ये स्थिति अपने कोच के साथ साझा की तब उन्होंने कहा कि हमको लगता है कि तुम अच्छा कर सकती हो. फिर मैंने अपने पिताजी को अपने कोच से मिलवाया और कोच सर ने उनको मेरे बॉक्सिंग करने की बात को मान ली.

सवाल : इन दिनों आप कहां और कैसे ट्रेनिंग कर रही हैं? Covid-19 को मद्देनजर रखते हुए कोई चुनौती सामने आई है?

जवाब : अभी तो दिल्ली में इंडिया कैंप लगा है, मैं वहीं हूं. लॉकडाउन में छह महीने तक हम ट्रेनिंग नहीं कर सके थे. घर में ज्यादा ट्रेनिंग नहीं कर सकते. एक आम आदमी फिट रहने के लिए जितनी ट्रेनिंग कर सकते हैं सिर्फ उतना ही कर पाती थी, एक खिलाड़ी के लिए जितनी ट्रेनिंग चाहिए होती है, वो नहीं हो पाती थी क्योंकि हमको बहुत फिटनेस चाहिए होती है. बॉक्सिंग में अगर एक महीने के लिए भी आप किसी के साथ ट्रेनिंग नहीं करते तो आंखें अपने आप बंद होने लगती हैं. जैसे कि अगर पंच आता है तो हम डरने लग जाते हैं. आदत की बात होती है. घर में थोड़ी-थोड़ी ट्रेनिंग कर रहे थे लेकिन फिर भी वो चीज नहीं आ पा रही थी. इन सबके बाद सबसे पहले हमारा ही कैंप लगा. कोविड के कारण बंद रह कर ट्रेनिंग करते रहे. अभी भी हम जहां भी जा रहे हैं, हमारा कोई न कोई खिलाड़ी पॉजिटिव आ रहा है.

सवाल : अब ओलंपिक्स ज्यादा दूर नहीं हैं, इस बड़े इवेंट के लिए आप किस तरह खुद को तैयार कर रही हैं?

जवाब : मैं पहले इतनी फिट नहीं थी. बेलारी में हमारा कैंप लगा था, वो जगह मुझे बहुत अच्छी लगी क्योंकि कई लोग देखने को मिले. तो ऐसा लग रहा था कि कोई महामारी चल रही है. वहां दिमाग सकारात्मक था. हमारी अभी ट्रेनिंग काफी अच्छी चल रही है. स्पेन में जो टूर्नामेंट (बॉक्सम इंटरनेशनल टूर्नामेंट) हुआ था, वहां मेरी सभी बाउट अच्छे बॉक्सर के साथ ही थी. पहली इटली के साथ थी, दूसरी पनामा से थी वर्ल्ड चैंपियन थीं तो मैंने काफी सुधार किया और मेरा आत्मविश्वास भी काफी बढ़ा. रही फाइनल की बात, मुझे यूएसए की मेलिसा ग्राहम से हार मिली थी. वहां कमी माइंडसेट की थी. उस मैच से पहले कोविड के कारण हमारी टीम को दो घंटे तक सुनिश्चित नहीं किया जा रहा था कि हम खेलेंगे कि नहीं खेलेंगे. ऐसे में माइंड सेट नहीं हो सका था. लेकिन अगर अब उससे मेरी अगली बाउट होगी तो मैं काफी अच्छा कर सकती हूं.

सवाल : एशिया ओसिआना बॉक्सिंग ओलंपिक क्वॉलीफायर्स में खेल कर कोटा हासिल किया था. इस बात को एक साल हो चुका है, तब की लय और अभी की लय में आपको क्या अंतर लगता है? या फिर आपके लिए सबकुछ वैसा ही है जैसा पहले था?

जवाब : उस समय मैं काफी लय में थी और काफी फिट थी. अभी भी फिट हूं और मेरे पास 120 दिन हैं. अभी मैं उससे भी ज्यादा फिट हो सकती हूं और उससे भी बेहतर करूंगी.

सवाल : सरकार ने बोला है कि ओलंपिक्स में जो भी खिलाड़ी जाने वाले हैं, उनको कोविड-19 वैक्सीन दिया जाएगा, इसके बारे में आपका क्या ख्याल है?

जवाब : एक बार हमको बोला गया था कि ओलंपिक खिलाड़ियों को वैक्सीन दी जाएगी. लेकिन मैंने ऐसा सुना है, हालांकि मुझे पता नहीं है कि इंडिया वाली वैक्सीन सही नहीं हैं. यूएस और यूके वाली वैक्सीन सही हैं. मैंने सुना है कि इसके काफी साइड एफेक्ट भी हैं. जितना मैंने सुना है कि उस हिसाब से ये बताया है कि बुखार आता है और कमजोरी आती है. लेकिन कोविड का जो डर है उससे तो अच्छा ही है.

सवाल : आप भिवानी से हैं, भिवानी की छवि ऐसी है कि वहां से अच्छे बॉक्सर निकलते हैं. इस बात का प्रेशर कभी महसूस हुआ?

जवाब : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये दबाव नहीं होता लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ये होता है क्योंकि नेशनल लेवल पर जब से मैंने अच्छा किया है तब से मैं हारी नहीं हूं. 2012 में पहली बार मैं नेशनल चैंपियन बनी थी. इंडिया में मैं अपनी हार बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं कर सकती क्योंकि मुझे यहां जीतने की आदत हो गई है. मैं जब हारती हूं तो मेरे मन में कसक रह जाती है कि अगर मैं ऐसा करती तो जीत सकती थी, वो करती तो जीत सकती थी. लेकिन अब ओलंपिक में मैं ऐसा नहीं करना चाहती. मैं पूरी तरह से तैयार हो कर ओलंपिक में जाना चाहती हूं.

सवाल : किस भारतीय बॉक्सर का ओलंपिक मेडल पक्का लग रहा है?

जवाब : वैसे तो सभी बॉक्सर बेहतरीन हैं. हमारे साथ कई अनुभवी बॉक्सर भी हैं जैसे एमसी मैरीकॉम और विकास कृष्ण यादव हैं. इन दोनों के लिए मैं यकीन से कह सकती हूं कि इनका मेडल जरूर आएगा. इनके अलावा 60 किलो में सिमरनजीत कौर हैं, वो भी काफी अच्छा करेंगी.

-- वर्षा सिंह

Last Updated : Mar 26, 2021, 8:06 PM IST
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