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CWG 2022: क्या कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय पहलवान इतिहास दोहराएंगे?

ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहलवानों ने काफी सारे मेडल दिलाए हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में कुश्ती में काफी मेडल मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसे में रेसलर बजरंग पुनिया सहित अन्य भारतीय पहलवानों से स्वर्ण पदक की आस होगी. बजरंग ने पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया था.

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Published : Jul 26, 2022, 10:57 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के पहलवानों ने अब तक 102 पदक जीते हैं, जिसमें 43 स्वर्ण शामिल हैं. हर बार की तरह इस बार भी पांच अगस्त को बर्मिंघम में शुरू हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स 2022) में कुश्ती भारत के लिए पदकों का सबसे मजबूत स्रोत हो सकती है. स्टार खिलाड़ियों और ओलंपिक रजत पदक विजेता रवि कुमार दहिया, ओलंपिक कांस्य विजेता बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट से उम्मीदें अधिक होंगी.

इसके इतिहास के बारे में विस्तृत तरीके से बात करें तो कुश्ती ने 1930 में कॉमनवेल्थ गेम्स के उद्घाटन के दौरान ही अपनी शुरुआत कर दी थी. तब से लेकर अभी तक यह खेल 19वीं बार और विशेष रूप से इंग्लैंड के भीतर तीसरी बार आयोजित हो रहा है. ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 2018 में हुए सीडब्ल्यूजी में, भारत पांच स्वर्ण सहित 12 पदकों के साथ कुश्ती में शीर्ष पर रहा था. साल 2014 में भारत कनाडा के बाद दूसरे नंबर पर था. प्रतिस्पर्धा के स्तर को देखते हुए बर्मिंघम में भारत की संभावना वास्तव में बहुत अधिक है. यह एथलीटों के लिए एशियाड और ओलंपिक जैसे प्रमुख टूनार्मेंटों से पहले अपने कौशल को सुधारने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है.

यह भी पढ़ें: CWG 2022: क्या भारत इस बार 100 पदकों का आंकड़ा पार कर पाएगा?

कुछ स्टार भारतीय पहलवान, विशेष रूप से महिलाएं (साक्षी मलिक और विनेश फोगाट) कठिन समय से गुजर रही हैं और यह उनके लिए फॉर्म और आत्मविश्वास हासिल करने का एक आदर्श अवसर हो सकता है. विनेश टोक्यो खेलों से पहले कुश्ती की दुनिया में सबसे प्रभावशाली ताकतों में से एक थीं. लेकिन जापान की राजधानी से उनके चौंकाने वाले पदक-विहीन प्रदर्शन ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया, तब से उन्होंने काफी संघर्ष किया है.

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भारतीय पहलवान

इसी तरह, साक्षी के लिए भी राष्ट्रमंडल खेल काफी महत्वपूर्ण होगा. क्योंकि उन्हें भी अपना आत्मविश्वास बढ़ाने की काफी जरूरत है. वह मनोवैज्ञानिक तौर पर भी मजबूती पा सकती हैं. वह युवा खिलाड़ी से सीधे चार मुकाबले हारने के बाद सेमीफाइनल में सीडब्ल्यूजी ट्रायल में सोनम मलिक को हराने में सफल रहीं. रियो ओलंपिक कांस्य पदक जीतने के बाद से 29 साल की खिलाड़ी को कोई बड़ा पदक नहीं मिला है.

यह भी पढ़ें: उम्मीद की बुलंदियों पर, बर्मिंघम में टोक्यो जैसी गूंज फिर से चाहता है भारत

पुरुषों के वर्ग में, टोक्यो खेलों के रजत पदक विजेता रवि दहिया (57 किग्रा) भारत की सबसे बड़ी पदक संभावनाओं में से एक हैं. कुश्ती समुदाय का मानना है कि रवि जिस प्रकार की लय में हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वह निश्चित तौर पर स्वर्ण जीतेंगे. बजरंग पुनिया (65 किग्रा) और दीपक पुनिया (86 किग्रा) के लिए भी यह कठिन कार्य नहीं होना चाहिए. नवीन (74 किग्रा), दीपक (97 किग्रा) और मोहित ग्रेवाल (125 किग्रा) के लिए भी बड़ी स्पर्धा में पदक जीतने का अच्छा मौका है.

कुश्ती के लिए भारतीय लाइनअप:

पुरुष फ्रीस्टाइल: रवि कुमार दहिया (57 किग्रा), बजरंग पुनिया (65 किग्रा), नवीन (74 किग्रा), दीपक पुनिया (86 किग्रा), दीपक (97 किग्रा) और मोहित ग्रेवाल (125 किग्रा).

महिला टीम: पूजा गहलोत (50 किग्रा), विनेश फोगाट (53 किग्रा) अंशु मलिक (57 किग्रा), साक्षी मलिक (62 किग्रा), दिव्या काकरान (68 किग्रा) और पूजा सिहाग (76 किग्रा).

नई दिल्ली: राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के पहलवानों ने अब तक 102 पदक जीते हैं, जिसमें 43 स्वर्ण शामिल हैं. हर बार की तरह इस बार भी पांच अगस्त को बर्मिंघम में शुरू हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों (कॉमनवेल्थ गेम्स 2022) में कुश्ती भारत के लिए पदकों का सबसे मजबूत स्रोत हो सकती है. स्टार खिलाड़ियों और ओलंपिक रजत पदक विजेता रवि कुमार दहिया, ओलंपिक कांस्य विजेता बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट से उम्मीदें अधिक होंगी.

इसके इतिहास के बारे में विस्तृत तरीके से बात करें तो कुश्ती ने 1930 में कॉमनवेल्थ गेम्स के उद्घाटन के दौरान ही अपनी शुरुआत कर दी थी. तब से लेकर अभी तक यह खेल 19वीं बार और विशेष रूप से इंग्लैंड के भीतर तीसरी बार आयोजित हो रहा है. ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 2018 में हुए सीडब्ल्यूजी में, भारत पांच स्वर्ण सहित 12 पदकों के साथ कुश्ती में शीर्ष पर रहा था. साल 2014 में भारत कनाडा के बाद दूसरे नंबर पर था. प्रतिस्पर्धा के स्तर को देखते हुए बर्मिंघम में भारत की संभावना वास्तव में बहुत अधिक है. यह एथलीटों के लिए एशियाड और ओलंपिक जैसे प्रमुख टूनार्मेंटों से पहले अपने कौशल को सुधारने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है.

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कुछ स्टार भारतीय पहलवान, विशेष रूप से महिलाएं (साक्षी मलिक और विनेश फोगाट) कठिन समय से गुजर रही हैं और यह उनके लिए फॉर्म और आत्मविश्वास हासिल करने का एक आदर्श अवसर हो सकता है. विनेश टोक्यो खेलों से पहले कुश्ती की दुनिया में सबसे प्रभावशाली ताकतों में से एक थीं. लेकिन जापान की राजधानी से उनके चौंकाने वाले पदक-विहीन प्रदर्शन ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया, तब से उन्होंने काफी संघर्ष किया है.

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भारतीय पहलवान

इसी तरह, साक्षी के लिए भी राष्ट्रमंडल खेल काफी महत्वपूर्ण होगा. क्योंकि उन्हें भी अपना आत्मविश्वास बढ़ाने की काफी जरूरत है. वह मनोवैज्ञानिक तौर पर भी मजबूती पा सकती हैं. वह युवा खिलाड़ी से सीधे चार मुकाबले हारने के बाद सेमीफाइनल में सीडब्ल्यूजी ट्रायल में सोनम मलिक को हराने में सफल रहीं. रियो ओलंपिक कांस्य पदक जीतने के बाद से 29 साल की खिलाड़ी को कोई बड़ा पदक नहीं मिला है.

यह भी पढ़ें: उम्मीद की बुलंदियों पर, बर्मिंघम में टोक्यो जैसी गूंज फिर से चाहता है भारत

पुरुषों के वर्ग में, टोक्यो खेलों के रजत पदक विजेता रवि दहिया (57 किग्रा) भारत की सबसे बड़ी पदक संभावनाओं में से एक हैं. कुश्ती समुदाय का मानना है कि रवि जिस प्रकार की लय में हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वह निश्चित तौर पर स्वर्ण जीतेंगे. बजरंग पुनिया (65 किग्रा) और दीपक पुनिया (86 किग्रा) के लिए भी यह कठिन कार्य नहीं होना चाहिए. नवीन (74 किग्रा), दीपक (97 किग्रा) और मोहित ग्रेवाल (125 किग्रा) के लिए भी बड़ी स्पर्धा में पदक जीतने का अच्छा मौका है.

कुश्ती के लिए भारतीय लाइनअप:

पुरुष फ्रीस्टाइल: रवि कुमार दहिया (57 किग्रा), बजरंग पुनिया (65 किग्रा), नवीन (74 किग्रा), दीपक पुनिया (86 किग्रा), दीपक (97 किग्रा) और मोहित ग्रेवाल (125 किग्रा).

महिला टीम: पूजा गहलोत (50 किग्रा), विनेश फोगाट (53 किग्रा) अंशु मलिक (57 किग्रा), साक्षी मलिक (62 किग्रा), दिव्या काकरान (68 किग्रा) और पूजा सिहाग (76 किग्रा).

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