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भारत में हॉकी विश्व कप के आयोजन पर खतरा, मामला समझ लीजिए

अगले साल होने वाले हॉकी विश्व कप की मेजबानी भारत से छिन सकती है. विश्व हॉकी की शीर्ष संस्था एफआईएच ने कहा, अगर भारत को अगले साल हॉकी विश्व कप की मेजबानी करनी है तो नए संविधान को अपनाना होगा.

FIH Hockey World Cup  हॉकी विश्व कप  राष्ट्रीय खेल  भारतीय हॉकी  एफआईएच अधिकारी थियरी वील  कार्यवाहक अध्यक्ष सैफ अहमद  अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ  हॉकी इंडिया  National Games  Indian Hockey  FIH Official Thierry Weil  Acting President Saif Ahmed  International Hockey Federation  Hockey India
FIH Hockey World Cup हॉकी विश्व कप राष्ट्रीय खेल भारतीय हॉकी एफआईएच अधिकारी थियरी वील कार्यवाहक अध्यक्ष सैफ अहमद अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ हॉकी इंडिया National Games Indian Hockey FIH Official Thierry Weil Acting President Saif Ahmed International Hockey Federation Hockey India
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Published : Jul 21, 2022, 9:02 PM IST

नई दिल्ली: नवनियुक्त कार्यवाहक अध्यक्ष सैफ अहमद की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) का तीन सदस्यीय दल नए संविधान को लागू करने की दिशा में प्रगति का जायजा लेने 15 अगस्त को भारत आएगा. भारत को साल 2023 में होने वाले विश्व कप की मेजबानी बरकरार रखने के लिए हर हालत में नया संविधान लागू करना है. एफआईएच सीईओ थियरी वील और कार्यकारी बोर्ड के सदस्य तैयब इकराम दल में शामिल होंगे.

एफआईएच ने बुधवार को अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति से संशोधित संविधान लागू करने और हॉकी इंडिया के ताजा चुनाव कराने को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी थी. हॉकी इंडिया अगर खेल कोड के अनुरूप संविधान लागू नहीं करती है तो देश को 13 से 29 जनवरी 2023 तक होने वाले विश्व कप की मेजबानी गंवानी पड़ सकती है. एफआईएच सीईओ वील ने कहा, उन्होंने भारत दौरे के लिए संभावित तारीख बताई है. उन्हें सीओए से पुष्टि का इंतजार है. उन्होंने लुसाने से पीटीआई से कहा, हम 15 अगस्त को दो या तीन दिन के लिए भारत आने की सोच रहे हैं. हम इस मसले को सुलझाने के लिए जो कुछ भी हो सकता है करेंगे, लेकिन हमें सीओए के जवाब का इंतजार है.

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उन्होंने कहा, कार्यवाहक अध्यक्ष सैफ अहमद की अगुवाई में तीन सदस्यीय दल भारत आएगा. हम हर किसी से मिलने और मसले का हल निकालने के लिए तैयार हैं. एफआईएच इस मामले में सीओए को तीन बार लिख चुका है, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. वील ने कहा, एफआईएच को उम्मीद है कि विश्व कप भुवनेश्वर और राउरकेला में होगा. लेकिन अगले महीने कोई हल नहीं निकलता है तो हॉकी इंडिया पर प्रतिबंध लग सकता है. उन्होंने कहा, वादा पूरा नहीं करने के लिए हॉकी इंडिया को दंडित किया जा सकता है और इसमें अंतरराष्ट्रीय हॉकी से प्रतिबंध की संभावना शामिल है.

उन्होंने विश्व कप की मेजबानी का करार किया है, जो उन्हें पूरा करना है. उन्होंने कहा, लेकिन हम उस दिशा में नहीं सोच रहे हैं. सजा का सबसे ज्यादा असर खिलाड़ियों पर पड़ता है. इसके साथ ही भारत के हॉकीप्रेमी विश्व स्तरीय हॉकी से वंचित रह जाएंगे, जो हम नहीं चाहते. एफआईएच ने अभी तक प्लान बी नहीं बनाया है और उसका मानना है कि इसकी नौबत नहीं आनी चाहिए. वील ने कहा, हमने विकल्प के बारे में नहीं सोचा है. क्योंकि हम चाहते हैं कि विश्व कप भारत में ही हो. हमारा दौरा विफल रहने पर प्लान बी के बारे में सोचेंगे. विश्व कप भारत में नहीं होना शर्मनाक होगा.

यह भी पढ़ें: करोड़ों खर्च कर वेस्टइंडीज पहुंची टीम इंडिया, चार्टर्ड फ्लाइट के लिए चुकाई इतनी रकम

क्यों बनी सीओए?

भारतीय हॉकी में खेल सहिंता के उल्लंघन का मामला सामने आने के बाद अदालत ने सीओए का गठन किया था. असलम शेर खान ने भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को हॉकी इंडिया का आजीवन सदस्य नियुक्त किए जाने को चुनौती दी थी. इसके बाद अदालत ने कहा, बत्रा को आजीवन सदस्य और एलेना नॉर्मन को सीईओ नियुक्त करना अवैध था. बेंच ने ही कहा था कि भारत सरकार ऐसे राष्ट्रीय खेल महासंघ को मान्यता नहीं दे सकती, जिसका संविधान स्पोर्ट्स कोड के अंतर्गत नहीं हो. राष्ट्रीय खेल महासंघ में आजीवन अध्यक्ष, आजीवन सदस्य और प्रबंधन समिति में सीईओ का पद के पद अवैध हैं, इन पद को हटाया जाता है.

नई दिल्ली: नवनियुक्त कार्यवाहक अध्यक्ष सैफ अहमद की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) का तीन सदस्यीय दल नए संविधान को लागू करने की दिशा में प्रगति का जायजा लेने 15 अगस्त को भारत आएगा. भारत को साल 2023 में होने वाले विश्व कप की मेजबानी बरकरार रखने के लिए हर हालत में नया संविधान लागू करना है. एफआईएच सीईओ थियरी वील और कार्यकारी बोर्ड के सदस्य तैयब इकराम दल में शामिल होंगे.

एफआईएच ने बुधवार को अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति से संशोधित संविधान लागू करने और हॉकी इंडिया के ताजा चुनाव कराने को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी थी. हॉकी इंडिया अगर खेल कोड के अनुरूप संविधान लागू नहीं करती है तो देश को 13 से 29 जनवरी 2023 तक होने वाले विश्व कप की मेजबानी गंवानी पड़ सकती है. एफआईएच सीईओ वील ने कहा, उन्होंने भारत दौरे के लिए संभावित तारीख बताई है. उन्हें सीओए से पुष्टि का इंतजार है. उन्होंने लुसाने से पीटीआई से कहा, हम 15 अगस्त को दो या तीन दिन के लिए भारत आने की सोच रहे हैं. हम इस मसले को सुलझाने के लिए जो कुछ भी हो सकता है करेंगे, लेकिन हमें सीओए के जवाब का इंतजार है.

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उन्होंने कहा, कार्यवाहक अध्यक्ष सैफ अहमद की अगुवाई में तीन सदस्यीय दल भारत आएगा. हम हर किसी से मिलने और मसले का हल निकालने के लिए तैयार हैं. एफआईएच इस मामले में सीओए को तीन बार लिख चुका है, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. वील ने कहा, एफआईएच को उम्मीद है कि विश्व कप भुवनेश्वर और राउरकेला में होगा. लेकिन अगले महीने कोई हल नहीं निकलता है तो हॉकी इंडिया पर प्रतिबंध लग सकता है. उन्होंने कहा, वादा पूरा नहीं करने के लिए हॉकी इंडिया को दंडित किया जा सकता है और इसमें अंतरराष्ट्रीय हॉकी से प्रतिबंध की संभावना शामिल है.

उन्होंने विश्व कप की मेजबानी का करार किया है, जो उन्हें पूरा करना है. उन्होंने कहा, लेकिन हम उस दिशा में नहीं सोच रहे हैं. सजा का सबसे ज्यादा असर खिलाड़ियों पर पड़ता है. इसके साथ ही भारत के हॉकीप्रेमी विश्व स्तरीय हॉकी से वंचित रह जाएंगे, जो हम नहीं चाहते. एफआईएच ने अभी तक प्लान बी नहीं बनाया है और उसका मानना है कि इसकी नौबत नहीं आनी चाहिए. वील ने कहा, हमने विकल्प के बारे में नहीं सोचा है. क्योंकि हम चाहते हैं कि विश्व कप भारत में ही हो. हमारा दौरा विफल रहने पर प्लान बी के बारे में सोचेंगे. विश्व कप भारत में नहीं होना शर्मनाक होगा.

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क्यों बनी सीओए?

भारतीय हॉकी में खेल सहिंता के उल्लंघन का मामला सामने आने के बाद अदालत ने सीओए का गठन किया था. असलम शेर खान ने भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को हॉकी इंडिया का आजीवन सदस्य नियुक्त किए जाने को चुनौती दी थी. इसके बाद अदालत ने कहा, बत्रा को आजीवन सदस्य और एलेना नॉर्मन को सीईओ नियुक्त करना अवैध था. बेंच ने ही कहा था कि भारत सरकार ऐसे राष्ट्रीय खेल महासंघ को मान्यता नहीं दे सकती, जिसका संविधान स्पोर्ट्स कोड के अंतर्गत नहीं हो. राष्ट्रीय खेल महासंघ में आजीवन अध्यक्ष, आजीवन सदस्य और प्रबंधन समिति में सीईओ का पद के पद अवैध हैं, इन पद को हटाया जाता है.

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