नई दिल्ली : राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी ( नाडा ) ने वेटलिफ्टर संजीता चानू पर चार साल का बैन लगाया है. संजीता के डोपिंग टेस्ट में सामने आया है कि उसने एनाबॉलिक स्टेरॉयड ड्रोस्तानोलोन कीमेटाबोलाइट का सेवन किया है. ये स्टेरॉयड विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी ( वाडा ) द्वारा बैन किया गया है. साल 2022 में गुजरात में हुए नेशनल गेम्स में चानू एनाबॉलिक स्टेरॉयड की पॉजिटिव पाई गई थी. जिस पर वाडा ( WADA ) ने अब एक्शन लिया है.
साल 2017 में अमेरिका में आयोजित विश्व चैंपियनशिप से पहले भी चानू एनाबॉलिक स्टेरॉयड टेस्टोस्टेरोन की पॉजिटिव पाई गई थी. इंटरनेशनल वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ने उन पर 2018 में बैन लगा दिया था. लेकिन 2020 में उनसे बैन हटा दिया गया. ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 ( Glasgow Commonwealth Games 2014 ) में संजीता ने 48 किग्रा भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता है. वो गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में भी गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हैं. 53 किग्रा भार वर्ग में चानु ने ये मेडल जीता था.
चानू ने एशियन चैंपियनशिप 2011 में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. इसके अलावा चानू ने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2012, 2015 और 2018 में भी गोल्ड मेडल जीते हैं. मणिपुर ( Manipur) की वेटलिफ्टर ( Weightlifter ) NADA के फैसले के खिलाफ अपील कर सकती हैं. उनके पास 21 दिन का समय है. संजीता पहले कह चुकी हैं कि मैं पहले भी टेस्ट में पॉजिटिव पाई गई थी. लेकिन बाद में मुझे आरोपों से मुक्त किया गया. मैं अपनी डाइट को ध्यान रखती हूं.
भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ( आईडब्ल्यूएफ ) के अध्यक्ष सहदेव यादव ने संजीता पर नाडा द्वारा लगाए गए चार साल के बैन की पुष्टि की. उन्होंने कहा चानुू ने नेशनल गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था जिस नाडा के एक्शन के बाद वापस ले लिया है. संजीता ने कहा, 'मैं अगर फैसले के खिलाफ अपील करुंगी तो इसमें काफी समय लगेगा. इसलिये उनका ध्यान ओलंपिक और एशियाई गेम्स के लिए क्वालिफाई करने पर है.
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