कोलकाता: कप्तान सुनील छेत्री ने कहा कि भारत को अपनी अंडर-23 टीम भेजनी चाहिए. इस तरह के कदम से युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी मिलेगा. दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ (सैफ) हालांकि उनकी टिप्पणियों को पसंद नहीं करेगा. भारत ने साल 2009 में अपनी अंडर-23 टीम के साथ सैफ खिताब जीता था. लेकिन ज्यादातर अंडर-23 खिलाड़ियों से सजी टीम 2018 सत्र में फाइनल में मालदीव से हार गई थी.
छेत्री की अगुवाई में भारत ने इस क्षेत्रीय टूर्नामेंट में अपना दबदबा बढ़ाते हुए पिछले साल अक्टूबर में नेपाल को 3-0 से शिकस्त देकर अपना आठवां खिताब जीता था. छेत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, इस टूर्नामेंट में वैसे खिलाड़ियों को मौका मिलना चाहिए, जिन्हें राष्ट्रीय टीम के लिए ज्यादा मौके नहीं मिलते या फिर अंडर-23 खिलाड़ियों को इस में जाना चाहिए. ताकि वे अनुभव प्राप्त कर सकें. इसमें हमारे लिए सबसे बुरी स्थिति यह होगी कि हमें हार का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, हमारे पास पहले से ही आठ ट्राफियां हैं, इसलिए हम इसे झेल सकते हैं. ऐसा नहीं है कि यह महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन क्योंकि हमने पिछले 15 साल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, इसलिए हम वह जोखिम उठा सकते हैं.
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उन्होंने कहा, इस बार हमें एक सीनियर टीम भेजनी पड़ी. शायद इसलिए क्योंकि एएफसी कप की तैयारियों के लिए हमारे पास ज्यादा मैच नहीं थे. पिछले कुछ मैचों में भारतीय टीम में कई खिलाड़ियों को आजमाने के बारे में पूछे जाने पर इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा, जॉर्डन, यूएई के खिलाफ कोच ने अधिक से अधिक खिलाड़ियों को खेलने की कोशिश की. इससे पहले हमारे पास एक कोच होता, जो कोशिश नहीं कर रहा था. तब लोग कहते थे कि वह कोशिश क्यों नहीं कर रहा है.
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छेत्री ने भले ही संन्यास के बारे में फैसला नहीं किया है, लेकिन उन्होंने खेल छोड़ने के बाद आत्मकथा लिखने के बारे में पहले ही सोच लिया है. देश के लिए 125 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले 37 साल के छेत्री आठ जून को साल्ट लेक स्टेडियम में कंबोडिया के खिलाफ अपने मैच से शुरू होने वाले एशियाई कप क्वॉलीफायर के आगामी अंतिम दौर में भारत का नेतृत्व करेंगे. छेत्री ने कहा, मैं एक किताब लिख सकता हूं. मैं छोटे उपाख्यानों का संग्रह कर रहा हूं, मैं छोटी, छोटी चीजें लिख रहा हूं जो मुझे पसंद हैं.