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फिडे उपाध्यक्ष बनने पर शतरंज के लोकप्रियता ग्राफ को और ऊपर ले जाना चाहूंगा : आनंद - विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद

जुलाई-अगस्त में महाबलीपुरम में होने वाले 44वें शतरंज ओलंपियाड के दौरान होने वाले चुनाव में अगर निवतृमान अध्यक्ष अर्काडी वोरकोविच फिर चुने जाते हैं तो आनंद अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (फिडे) के उपाध्यक्ष होंगे. वोरकोविच ने अपनी टीम में आनंद को इस पद के लिए नामित किया है.

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Viswanathan Anand
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Published : Jun 18, 2022, 7:58 PM IST

नई दिल्ली: उम्र के पांचवें दशक को पार कर चुके पांच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद का इरादा फिलहाल शतरंज को अलविदा कहने का नहीं है लेकिन खेल प्रशासक के तौर पर नई पारी के जरिए वह खेल की लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर ले जाने के लिए काम करेंगे.

आनंद ने भाषा को दिए विशेष इंटरव्यू में कहा, पिछले कुछ साल में शतरंज ने काफी प्रगति की है खासकर कोरोना महामारी के दौर में लोग काफी शतरंज खेलने लगे. डिजिटिल, आनलाइन, इंटरनेट पर शतरंज का चलन बढा जिसे मैं आगे बढाना चाहूंगा.

जुलाई-अगस्त में महाबलीपुरम में होने वाले 44वें शतरंज ओलंपियाड के दौरान होने वाले चुनाव में अगर निवतृमान अध्यक्ष अर्काडी वोरकोविच फिर चुने जाते हैं तो आनंद अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (फिडे) के उपाध्यक्ष होंगे. वोरकोविच ने अपनी टीम में आनंद को इस पद के लिए नामित किया है.

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आनंद ने कहा, मैं युवाओं के मामले में भारत को ध्यान में रखकर प्रयास करूंगा. कोशिश करूंगा कि ज्यादा से ज्यादा युवा खिलाड़ी आगे आयें और उनको पूरा सहयोग मिल सके. मैं अपना नजरिया और सुझाव रखूंगा.

उन्होंने कहा, फिडे उपाध्यक्ष पद के लिए मुझसे मार्च में पूछा गया तो मुझे यह दिलचस्प अवसर लगा. अब मैं काफी कम टूर्नामेंट खेल रहा हूं और अपनी अकादमी पर भी फोकस है लेकिन यह एक नई चुनौती है और मैं सीखने की कोशिश करूंगा. अब मैं वैसे भी चुनिंदा टूर्नामेंट खेल रहा हूं मसलन शतरंज ओलंपियाड नहीं खेल रहा तो इस नई चुनौती के लिये मैं तैयार हूं.

उन्होंनें हालांकि संन्यास की संभावना से इनकार करते हुए कहा, मेरा खेल को अलविदा कहने का कोई इरादा नहीं है. उम्मीद है कि फिडे उपाध्यक्ष बनने के बाद भी खेलना जारी रखूंगा. 1987 में भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने आनंद से उनकी विरासत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचता. मैं उम्मीद करता हूं कि मैने खेल को बहुत कुछ वापिस दिया. इसे आगे ले जाने में मदद की और इसमें लोगों का ध्यान खींचा. यह सुनिश्चित किया कि भारत की सशक्त उपस्थिति विश्व शतरंज के मानचित्र पर हो.

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इतने वर्ष में शतरंज में भारत ने लंबा सफर तय किया है और हाल ही में राहुल श्रीवास्तव देश के 74वें ग्रैंडमास्टर बने. भारत के सफर के बारे में पूछने पर आनंद ने कहा, पहली बात मानसिक बाधा होती है कि क्या हम ग्रैंडमास्टर बन सकते हैं लेकिन जब एक खिलाड़ी बन जाता है तो दूसरों के लिये राह आसान हो जाती है. लंबे समय तक चुनिंदा ग्रैंडमास्टर ही भारत को मिले लेकिन पिछले कुछ समय से संख्या बढी है जो अच्छी बात है.

उन्होंने कहा, जब मैने कास्पोरोव के खिलाफ विश्व चैम्पियनशिप मैच खेला तो भारत के अधिकांश मौजूदा ग्रैंडमास्टर पैदा भी नहीं हुए थे. नए और युवा ग्रैंडमास्टर आ रहे हैं और अब सहयोगी स्टाफ भी अच्छा है. पूर्व ग्रैंडमास्टर उन्हें सिखा रहे हैं और महासंघ का भी पूरा सहयोग है.

भारत में पहली बार 28 जुलाई से महाबलीपुरम में होने जा रहे शतरंज ओलंपियाड को देश में खेल को लोकप्रिय बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम बताते हुए उन्होंने कहा, यह सबसे बड़ा शतरंज टूर्नामेंट है. अधिकांश टूर्नामेंटों में 10 , 20 या अधिकतम 50 खिलाड़ी होते हैं लेकिन यहां 2000 के करीब खिलाड़ी होंगे तो इसकी तुलना ही नहीं हो सकती.

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उन्होंने कहा, इसका बड़ा प्रभाव होगा क्योंकि इसमें इतने सारे खिलाड़ियों को खेलते देखना शतरंजप्रेमियों को लंबे समय तक याद रहेगा. इसके साथ ही इसकी व्यापक कवरेज होगी और तीन सप्ताह तक शतरंज के खबरों में बने रहने भी खेल की लोकप्रियता ग्राफ को ऊपर ले जायेगा. आने वाले समय में लोग इसकी मिसाल देंगे.

आनंद इस बार बतौर मेंटोर भारतीय टीम के साथ हैं और भारत की संभावना के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, मेरी सोच ऐसी है कि अगर मैं खिताब के लिए फेवरिट भी हूं तो भी मुझे बड़बोलापन पसंद नहीं. अपने खेल पर फोकस करने पर जोर रहता हूं. पदक और जीत के बारे में लोग बात कर सकते हैं लेकिन खिलाड़ी को अच्छा खेलने पर ही ध्यान देना चाहिए.

नई दिल्ली: उम्र के पांचवें दशक को पार कर चुके पांच बार के विश्व चैम्पियन विश्वनाथन आनंद का इरादा फिलहाल शतरंज को अलविदा कहने का नहीं है लेकिन खेल प्रशासक के तौर पर नई पारी के जरिए वह खेल की लोकप्रियता का ग्राफ ऊपर ले जाने के लिए काम करेंगे.

आनंद ने भाषा को दिए विशेष इंटरव्यू में कहा, पिछले कुछ साल में शतरंज ने काफी प्रगति की है खासकर कोरोना महामारी के दौर में लोग काफी शतरंज खेलने लगे. डिजिटिल, आनलाइन, इंटरनेट पर शतरंज का चलन बढा जिसे मैं आगे बढाना चाहूंगा.

जुलाई-अगस्त में महाबलीपुरम में होने वाले 44वें शतरंज ओलंपियाड के दौरान होने वाले चुनाव में अगर निवतृमान अध्यक्ष अर्काडी वोरकोविच फिर चुने जाते हैं तो आनंद अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ (फिडे) के उपाध्यक्ष होंगे. वोरकोविच ने अपनी टीम में आनंद को इस पद के लिए नामित किया है.

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आनंद ने कहा, मैं युवाओं के मामले में भारत को ध्यान में रखकर प्रयास करूंगा. कोशिश करूंगा कि ज्यादा से ज्यादा युवा खिलाड़ी आगे आयें और उनको पूरा सहयोग मिल सके. मैं अपना नजरिया और सुझाव रखूंगा.

उन्होंने कहा, फिडे उपाध्यक्ष पद के लिए मुझसे मार्च में पूछा गया तो मुझे यह दिलचस्प अवसर लगा. अब मैं काफी कम टूर्नामेंट खेल रहा हूं और अपनी अकादमी पर भी फोकस है लेकिन यह एक नई चुनौती है और मैं सीखने की कोशिश करूंगा. अब मैं वैसे भी चुनिंदा टूर्नामेंट खेल रहा हूं मसलन शतरंज ओलंपियाड नहीं खेल रहा तो इस नई चुनौती के लिये मैं तैयार हूं.

उन्होंनें हालांकि संन्यास की संभावना से इनकार करते हुए कहा, मेरा खेल को अलविदा कहने का कोई इरादा नहीं है. उम्मीद है कि फिडे उपाध्यक्ष बनने के बाद भी खेलना जारी रखूंगा. 1987 में भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने आनंद से उनकी विरासत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचता. मैं उम्मीद करता हूं कि मैने खेल को बहुत कुछ वापिस दिया. इसे आगे ले जाने में मदद की और इसमें लोगों का ध्यान खींचा. यह सुनिश्चित किया कि भारत की सशक्त उपस्थिति विश्व शतरंज के मानचित्र पर हो.

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इतने वर्ष में शतरंज में भारत ने लंबा सफर तय किया है और हाल ही में राहुल श्रीवास्तव देश के 74वें ग्रैंडमास्टर बने. भारत के सफर के बारे में पूछने पर आनंद ने कहा, पहली बात मानसिक बाधा होती है कि क्या हम ग्रैंडमास्टर बन सकते हैं लेकिन जब एक खिलाड़ी बन जाता है तो दूसरों के लिये राह आसान हो जाती है. लंबे समय तक चुनिंदा ग्रैंडमास्टर ही भारत को मिले लेकिन पिछले कुछ समय से संख्या बढी है जो अच्छी बात है.

उन्होंने कहा, जब मैने कास्पोरोव के खिलाफ विश्व चैम्पियनशिप मैच खेला तो भारत के अधिकांश मौजूदा ग्रैंडमास्टर पैदा भी नहीं हुए थे. नए और युवा ग्रैंडमास्टर आ रहे हैं और अब सहयोगी स्टाफ भी अच्छा है. पूर्व ग्रैंडमास्टर उन्हें सिखा रहे हैं और महासंघ का भी पूरा सहयोग है.

भारत में पहली बार 28 जुलाई से महाबलीपुरम में होने जा रहे शतरंज ओलंपियाड को देश में खेल को लोकप्रिय बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम बताते हुए उन्होंने कहा, यह सबसे बड़ा शतरंज टूर्नामेंट है. अधिकांश टूर्नामेंटों में 10 , 20 या अधिकतम 50 खिलाड़ी होते हैं लेकिन यहां 2000 के करीब खिलाड़ी होंगे तो इसकी तुलना ही नहीं हो सकती.

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उन्होंने कहा, इसका बड़ा प्रभाव होगा क्योंकि इसमें इतने सारे खिलाड़ियों को खेलते देखना शतरंजप्रेमियों को लंबे समय तक याद रहेगा. इसके साथ ही इसकी व्यापक कवरेज होगी और तीन सप्ताह तक शतरंज के खबरों में बने रहने भी खेल की लोकप्रियता ग्राफ को ऊपर ले जायेगा. आने वाले समय में लोग इसकी मिसाल देंगे.

आनंद इस बार बतौर मेंटोर भारतीय टीम के साथ हैं और भारत की संभावना के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, मेरी सोच ऐसी है कि अगर मैं खिताब के लिए फेवरिट भी हूं तो भी मुझे बड़बोलापन पसंद नहीं. अपने खेल पर फोकस करने पर जोर रहता हूं. पदक और जीत के बारे में लोग बात कर सकते हैं लेकिन खिलाड़ी को अच्छा खेलने पर ही ध्यान देना चाहिए.

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