चंडीगढ़: महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार की शाम चंडीगढ़ सेक्टर-25 के शमशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया. सोमवार सुबह एक निजी अस्पताल में उनका निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे.
सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत के चलते उन्हें आठ मई को अस्पताल में भर्ती करवाया गया थे. पिछले करीब 15 दिनों से अस्पताल में उपचाराधीन थे. जहां सोमवार सुबह करीब 6 बजकर 17 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली.
बलबीर सिंह सीनियर चंडीगढ़ सेक्टर-36 के कोठी नंबर 1067 में अपनी बेटी के साथ रहते थे. बलबीर सिंह सीनियर को सांस लेने में तकलीफ के चलते मोहाली के फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था. जहां उनका सोमवार को निधन हो गया. हॉकी के लिए अपने अहम योगदान के लिए हमेशा उन्हें याद रखा जाएगा.
उनके निधन के बाद पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने उनके लिए भारत रत्न की मांग की है.
कौन थे बलबीर सिंह?
आपको बता दें कि बलबीर सिंह सीनियर दुनियाभर में गोल मशीन के नाम से मशहूर थे. वे 1948 के लंदन ओलंपिक, 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक और 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के सदस्य थे.
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मेलबर्न ओलंपिक में बलबीर सिंह सीनियर ने भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व किया था.
वह 1975 में विश्व कप जीतने वाली टीम के कोच थे साथ ही उन्हीं के कोच रहते हुए हुए टीम ने 1971 के विश्व कप में कांस्य पदक जीता था. 1957 में उन्हें पद्मश्री मिला था.
साल 1948 के लंदन ओलंपिक में अर्जेंटिना के खिलाफ उन्होंने 6 गोल दागे थे, इस मैच में भारत 9-1 से जीता था. इसी ओलंपिक के फाइनल में भारत ने इंग्लैंड को 4-0 से हराया था, इस मैच में उन्होंने पहले 15 मिनट में दो गोल किए थे. गौरतलब है कि बलबीर सिंह सीनियर के 3 बेटे और एक बेटी है. उनकी बेटी उनके साथ रहती है. उनके तीनों बेटे विदेश में रहते हैं.