चंडीगढ़: महान हॉकी खिलाड़ी और तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर की कई बार दिल का दौरा पड़ने और निमोनिया के कारण बुधवार को भी हालत गंभीर बनी हुई है. अस्पताल के सूत्रों के अनुसार उन्हें मंगलवार को सुबह का दिल का दौरा पड़ा था लेकिन रात में देर रात कई बार दिल के दौरे पड़े.
बलबीर सीनियर अभी मोहाली के फोर्टिस अस्पताल के मेडिकल आईसीयू में भर्ती हैं. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है.
इस 96 वर्षीय दिग्गज के नाती कबीर सिंह भोमिया ने उनकी हालत पर अपडेट देते हुए बताया, 'नाना जी को आज सुबह नौ बजे दिल का दौरा पड़ा. उन्हें अभी मेडिकल आईसीयू में रखा गया है. कई अंगों के प्रभावित होने के कारण शुक्रवार आठ मई को उन्हें काफी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी हालत में थोड़ा सुधार हुआ था लेकिन अब उनकी हालत नाजुक है.'
बलबीर सिंह सीनियर की उपलब्धियां
- बलबीर लंदन ओलंपिक-1948, हेलसिंकी ओलंपिक-1952 और मेलबर्न ओलंपिक-1956 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे. 1952 ओलंपिक खेलों के स्वर्ण पदक के मैच में बलबीर ने नीदरलैंड्स के खिलाफ पांच गोल किए थे और भारत को 6-1 से जीत दिलाई थी.
- इसके साथ ही फाइनल मैच में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड उन्होंने अपने नाम किया था और यह रिकॉर्ड अभी भी बरकरार है.
- हेलसिंकी ओलंपिक में उन्हें टीम का उप-कप्तान बनाया गया है. इसमें वे भारत की ओर से धव्ज वाहक रहे थे. इस साल उन्होंने कुल 13 गोल किए थे.
- साथ ही बलबीर विश्व कप-1971 में कांस्य और विश्व कप-1975 जीतने वाली भारतीय टीम के मुख्य कोच थे.
- उन्होंने साल 1948 में अर्जेंटीना के खिलाफ लंदन ओलंपिक में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरूआत की थी. इस मैच में उन्होंने अपने प्रदर्शन से सबसे चौंका दिया था. मैच में बलबीर सिंह ने कुल छह गोल किए थे जिसमें हैट्रिक भी शामिल थी.
- मेलबर्न ओलंपिक-1956 में बलबीर सिंह बतौर भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बनकर गए थे. हालांकि वे पहले ही मैच में घायल हो गए थे.
- बलबीर सिंह की उपलब्धियों की लिस्ट काफी लंबी हैं. ओलंपिक गेम्स में उन्होंने बहुत कुछ हासिल किया. इसके साथ ही वे एशियन गेम्स (1958-1962) में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे.
- वह 1975 विश्व कप विजेता भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर भी रहे.
- उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें साल 1957 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया. ये सम्मान पाने वाले वे पहले स्पोर्टस पर्सन थे.
- साल 2015 में उन्हें हॉकी इंडिया द्वारा मेजर ध्यान चंद लाइफ टाइम एचीवमेंट अवॉर्ड के लिए चुना गया था.