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कार्थी के लिए हॉकी जीवन में वित्तीय स्थिरता के लिए जरूरी

जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर चुके एस. कार्थी का कहना है कि हॉकी की वजह से खिलाड़ियों को पहचान और अच्छी नौकरी मिली है और बाकियों की तरह उनका भी लक्ष्य देश के लिए हॉकी खेलना है.

कार्थी
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Published : Jan 10, 2021, 7:22 PM IST

बेंगलुरू: तमिलनाडु के चेन्नई से 350 किलोमीटर दूर स्थित अरियालुर गांव अपनी उपजाऊ मिट्टी और सीमेंट फैक्ट्री के लिए जाना जाता है, लेकिन वहां के रहने वाले एस. कार्थी ने हॉकी में करियर बनाने का फैसला किया.

तमिलनाडु की तरफ से जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें 2018 में भारतीय टीम के कैम्प में शामिल होने का मौका मिला.

वह इस समय जूनियर पुरुष राष्ट्रीय कोचिंग कैम्प का हिस्सा हैं. घर की माली हालत ठीक न होने के कारण कार्थी इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि हॉकी में शानदार करियर उन्हें नौकरी और वित्तीय स्थिरता दिला सकता है जिससे वे अपने परिवार की मदद कर सकते हैं.

भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम
भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम

भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम करेगी चिली का दौरा

19 साल के स्ट्राइकर ने कहा, "मेरे पिता सरकारी कॉलेज में चौकीदार की नौकरी करते हैं. उनका वेतन 5000 है. मेरी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है और मेरा एक छोटा भाई है जिसने 12वीं पास कर ली है. मैं जानतां हूं कि भारतीय टीम में कई खिलाड़ी हैं जो अलग-अलग वित्तीय बैकग्राउंड से आते हैं और मैं कोई अलग नहीं हूं, लेकिन हॉकी ने उनकी मदद की है."

उन्होंने कहा, "हॉकी की वजह से उन्हें पहचान और अच्छी नौकरी मिली है. बाकियों की तरह मेरा भी लक्ष्य देश के लिए हॉकी खेलना है और मैं जूनियर भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए काफी मेहनत कर रहा हूं."

बेंगलुरू: तमिलनाडु के चेन्नई से 350 किलोमीटर दूर स्थित अरियालुर गांव अपनी उपजाऊ मिट्टी और सीमेंट फैक्ट्री के लिए जाना जाता है, लेकिन वहां के रहने वाले एस. कार्थी ने हॉकी में करियर बनाने का फैसला किया.

तमिलनाडु की तरफ से जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें 2018 में भारतीय टीम के कैम्प में शामिल होने का मौका मिला.

वह इस समय जूनियर पुरुष राष्ट्रीय कोचिंग कैम्प का हिस्सा हैं. घर की माली हालत ठीक न होने के कारण कार्थी इस बात को बहुत अच्छे से जानते हैं कि हॉकी में शानदार करियर उन्हें नौकरी और वित्तीय स्थिरता दिला सकता है जिससे वे अपने परिवार की मदद कर सकते हैं.

भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम
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19 साल के स्ट्राइकर ने कहा, "मेरे पिता सरकारी कॉलेज में चौकीदार की नौकरी करते हैं. उनका वेतन 5000 है. मेरी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है और मेरा एक छोटा भाई है जिसने 12वीं पास कर ली है. मैं जानतां हूं कि भारतीय टीम में कई खिलाड़ी हैं जो अलग-अलग वित्तीय बैकग्राउंड से आते हैं और मैं कोई अलग नहीं हूं, लेकिन हॉकी ने उनकी मदद की है."

उन्होंने कहा, "हॉकी की वजह से उन्हें पहचान और अच्छी नौकरी मिली है. बाकियों की तरह मेरा भी लक्ष्य देश के लिए हॉकी खेलना है और मैं जूनियर भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए काफी मेहनत कर रहा हूं."

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