नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल टीम के डिफेंडर प्रीतम कोटाल ने अपने शुरुआती दिनों में संघर्षो को देखा है और वो चाहते हैं कि किसी को भी उस तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े जैसा कि उन्होंने किया था. कोटाल ने एआईएफएफ से कहा, " मैंने अपने बचपन के दिनों में कठिनाई का सामना किया था. मैं चाहता हूं कि कोई भी उस तरह की परेशानियों का सामना न करे. मेरे छोटे से प्रयासों के पीछे यही कारण है ताकि उनकी मदद की जा सके, जिन्हें इसकी जरूरत है."
उन्होंने कहा, "हम भाग्यशाली थे कि हमें अपने सीनियरों का समर्थन मिला. अगर हम इसे आज उन्हें वापस नहीं देते हैं तो ईमानदारी से कहूं तो हमें उस जगह पर रहने का कोई हक नहीं है, जहां आज हम हैं."
26 वर्षीय डिफेंडर ने कहा कि कैसे बचपन के दिनों में उनके सपने को पूरा करने के लिए उनके माता पिता ने संघर्ष किया.
उन्होंने कहा, " मेरे पास जूते, जर्सी, बॉल नहीं थीं. मुझे दूसरों की मदद लेनी थी. लेकिन मेरे माता-पिता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और उन्होंने मुझे हमेशा सुरक्षित रखा. फुटबॉल में हर तरह की चीज है और आपको जीवन में आगे देखने की जरूरत है. आपको आगे बढ़ने की आवश्यकता है, आपको अपनी जगह खोजने की आवश्यकता है, आपको दूसरों की मदद करने की आवश्यकता है. अंत में ये सब बहुत आसान है."