ETV Bharat / sports

लोगों के सपने पूरा करने में मदद कर रहे हैं प्रीतम कोटाल

प्रीतम कोटाल ने कहा, "हम भाग्यशाली थे कि हमें अपने सीनियरों का समर्थन मिला. अगर हम इसे आज उन्हें वापस नहीं देते हैं तो ईमानदारी से कहूं तो हमें उस जगह पर रहने का कोई हक नहीं है, जहां आज हम हैं."

Pritam Kotal
Pritam Kotal
author img

By

Published : Jul 9, 2020, 8:16 AM IST

नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल टीम के डिफेंडर प्रीतम कोटाल ने अपने शुरुआती दिनों में संघर्षो को देखा है और वो चाहते हैं कि किसी को भी उस तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े जैसा कि उन्होंने किया था. कोटाल ने एआईएफएफ से कहा, " मैंने अपने बचपन के दिनों में कठिनाई का सामना किया था. मैं चाहता हूं कि कोई भी उस तरह की परेशानियों का सामना न करे. मेरे छोटे से प्रयासों के पीछे यही कारण है ताकि उनकी मदद की जा सके, जिन्हें इसकी जरूरत है."

उन्होंने कहा, "हम भाग्यशाली थे कि हमें अपने सीनियरों का समर्थन मिला. अगर हम इसे आज उन्हें वापस नहीं देते हैं तो ईमानदारी से कहूं तो हमें उस जगह पर रहने का कोई हक नहीं है, जहां आज हम हैं."

Pritam Kotal
प्रीतम कोटाल

26 वर्षीय डिफेंडर ने कहा कि कैसे बचपन के दिनों में उनके सपने को पूरा करने के लिए उनके माता पिता ने संघर्ष किया.

उन्होंने कहा, " मेरे पास जूते, जर्सी, बॉल नहीं थीं. मुझे दूसरों की मदद लेनी थी. लेकिन मेरे माता-पिता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और उन्होंने मुझे हमेशा सुरक्षित रखा. फुटबॉल में हर तरह की चीज है और आपको जीवन में आगे देखने की जरूरत है. आपको आगे बढ़ने की आवश्यकता है, आपको अपनी जगह खोजने की आवश्यकता है, आपको दूसरों की मदद करने की आवश्यकता है. अंत में ये सब बहुत आसान है."

नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल टीम के डिफेंडर प्रीतम कोटाल ने अपने शुरुआती दिनों में संघर्षो को देखा है और वो चाहते हैं कि किसी को भी उस तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े जैसा कि उन्होंने किया था. कोटाल ने एआईएफएफ से कहा, " मैंने अपने बचपन के दिनों में कठिनाई का सामना किया था. मैं चाहता हूं कि कोई भी उस तरह की परेशानियों का सामना न करे. मेरे छोटे से प्रयासों के पीछे यही कारण है ताकि उनकी मदद की जा सके, जिन्हें इसकी जरूरत है."

उन्होंने कहा, "हम भाग्यशाली थे कि हमें अपने सीनियरों का समर्थन मिला. अगर हम इसे आज उन्हें वापस नहीं देते हैं तो ईमानदारी से कहूं तो हमें उस जगह पर रहने का कोई हक नहीं है, जहां आज हम हैं."

Pritam Kotal
प्रीतम कोटाल

26 वर्षीय डिफेंडर ने कहा कि कैसे बचपन के दिनों में उनके सपने को पूरा करने के लिए उनके माता पिता ने संघर्ष किया.

उन्होंने कहा, " मेरे पास जूते, जर्सी, बॉल नहीं थीं. मुझे दूसरों की मदद लेनी थी. लेकिन मेरे माता-पिता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और उन्होंने मुझे हमेशा सुरक्षित रखा. फुटबॉल में हर तरह की चीज है और आपको जीवन में आगे देखने की जरूरत है. आपको आगे बढ़ने की आवश्यकता है, आपको अपनी जगह खोजने की आवश्यकता है, आपको दूसरों की मदद करने की आवश्यकता है. अंत में ये सब बहुत आसान है."

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.