हैदराबाद : सुनील छेत्री भारत के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक हैं लेकिन जब वो पहली बार ट्रायल के लिए मोहन बागान की टीम के पास गए थे तब तत्कालीन कोच सुब्रत भट्टाचार्य को लगता था कि छोटे कद और दुबले शरीर के कारण 'वो गोल नहीं कर पाएंगे'.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले छेत्री को 2002 में 12वीं कक्षा की परीक्षा देने के बाद कोलकाला के इस ऐतिहासिक क्लब में ट्रायल के लिए बुलाया गया था. वो तब महज 17 साल के थे. छेत्री भी ये कह चुके हैं कि उन्हें पेशेवर खिलाड़ी के तौर पर पहली बार में ही जब मोहन बागान से तीन साल का अनुबंध मिला था तब वो चौंक गए थे.
भट्टाचार्या ने कहा, "ये लगभग 17 साल पहले की बात है जब एक सुबह मैं मोहन बागान के मैदान में गया वहां ट्रायल के लिए कई युवा खिलाड़ी मौजूद थे. ये क्लब हमेशा कम उम्र के खिलाड़ियों को टीम से जोड़ना चाहता है."
उन्होंने कहा कि पहली नजर में उन्हें सुनील छेत्री में कोई खास काबिलियत नहीं दिखी.
उन्होंने कहा, "जब आप युवा फुटबॉलरों का आकलन करते है तो कभी कभी ऐसा होता है कि कोई खिलाड़ी कमाल का लगता है लेकिन उस सुबह को ऐसा कुछ नहीं हुआ था. मुझे हालांकि दो खिलाड़ी ऐसे दिखे जिनमें अच्छा करने की ललक थी. ये दोनो खिलाड़ी सुनील छेत्री और सुब्रत पॉल थे."
भारतीय टीम की रक्षापंक्ति के 67 साल के इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा कि छेत्री ने शीर्ष स्ट्राइकर बनने की काबिलियत दिखाई थी लेकिन उन्हें छेत्री की क्षमता पर संदेह था.
उन्होंने कहा, "उसके (छेत्री) पास अच्छी गति थी, और गेंद पर तेज प्रहार करता था. उसकी इस प्रतिभा ने मुझे प्रभावित किया. जब मैं उसे खुद जैसे लंबे डिफेंडर के नजरिए से देख रहा था तो उसके छोटे कद से विश्वास नहीं हो रहा था कि वह गोल कर पाएगा."
पूर्व कोच ने कहा, "उसने दिखाया कि खेल को लेकर उसकी समझ शानदार थी. वो गेंद (फुटबॉल) को अपने पास रखने की कोशिश करता था. पांच फुट सात इंच का का ये खिलाड़ी आसानी से लंबे डिफेंडरों को छका देता था."
भट्टाचार्या अब छेत्री के ससुर भी हैं. उन्होंने कहा, "कोच के लिए सबसे जरूरी ये होता है कि वो खिलाड़ी के जुनून को देखे, जो छेत्री में था."
35 साल के छेत्री ने 115 अंतरराष्ट्रीय मैच में 72 गोल किए हैं. वो 12 जून को अंतरराष्ट्रीय करियर में 15 साल पूरा कर लेंगे.