नई दिल्ली: देश के दो शीर्ष फुटबॉल क्लबों-मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में शामिल होने पर उन्हें थोड़ा निराशा हो सकती है, लेकिन प्रतिस्पर्धा करने के लिए आई-लीग क्लबों के बीच प्रेरणा की कमी नहीं है.
मोहन बागान की टीम पहले ही आईएसएल का हिस्सा बन चुकी है और वह एटीके के साथ जुड़ चुकी है. अब ईस्ट बंगाल की टीम भी आईएसएल से जुड़ गई है और वह इस बार लीग के सातवें सीजन में भाग लेगी.
आई-लीग क्लब गोकुलम एफसी के अध्यक्ष वीसी प्रवीण ने कहा, "मोहन बागान का आईएसएल से जुड़ना, मेरे लिए आश्चर्यजनक है क्योंकि वे एक ऐसी क्लब थी, जो हमेशा यह कहती थी कि आई-लीग को आईएसएल से ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए. लेकिन आईएसएल में खेलने के लिए अब वह एटीके से जुड़ गए हैं."
उन्होंने कहा, "जहां तक ईस्ट-बंगाल का संबंध है, तो उनके पास पिछले साल एक अलग मालिक था, लेकिन इस साल स्वामित्व बदल गया है. मुझे नहीं पता कि आईएसएल में खेलने वाले ये क्लब, जो भी नाम के साथ, भारतीय फुटबॉल की मदद करने जा रहे हैं. मैं केवल इतना ही कह सकता हूं कि इन क्लबों के फुटबॉलरों को अब भारतीय टीम में चुने जाने का मौका मिलेगा."
रियल कश्मीर के सह-मालिक संदीप चट्टू का मानना है कि देश के दो शीर्ष फुटबॉल क्लबों-मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के आईएसएल में शामिल होने से दूसरे क्लबों को सूर्खियों में आने का मौका मिलेगा.
उन्होंने कहा, "मोहन बागान और ईस्ट बंगाल दोनों आईएसएल में चले गए हैं, हालांकि यह आई-लीग के लिए यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन साथ ही आई-लीग में अन्य क्लबों के लिए लाइमलाइट में आने एक बड़ा अवसर है."
चट्टू ने कहा, " उनके लिए अच्छा है, लेकिन आप देखते हैं कि इन क्लबों के आसपास एक आभा है और हम इन क्लबों के साथ खेलने के लिए तत्पर हैं. लेकिन यह दो साल की बात है और इसके बाद आईएसएल में भी प्रमोशन होगा."
मिनर्वा पंजाब एफसी के मालिक रंजीत बजाज का कहना है कि आईएसएल प्रबंधन हमेशा आई-लीग की तीन शीर्ष टीमों-ईस्ट बंगाल, मोहन बागान और बेंगलुरू एफसी को अपने साथ जोड़ना चाहती थी.
उन्होंने कहा, "बेंगलुरु कुछ साल पहले शामिल हुआ था और अब वे ईस्ट बंगाल और मोहन बागान को अपने साथ शामिल करने में सफल रहे हैं. वास्तव में ये वे टीमें थीं, जो अन्य आई-लीग क्लबों के खिलाफ खेलने के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं."
बजाज ने कहा, "ये ऐसे क्लब थे जो दर्शकों को मैदान तक लेकर आए और टीवी दर्शकों की संख्या में इजाफा किया. लेकिन, केवल समय ही बताएगा कि आईएसएल जैसी बंद लीग भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ाने में कैसे मदद करेगी."